JNU Violence case: जेएनयू के शिक्षक और छात्र कैंपस के बाहर कर रहे प्रदर्शन
JNU Violence case सोमवार को दिन पुलिस की गाड़ियां परिसर के आसपास मंडराती रहीं। पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
नई दिल्ली, एएनआइ। JNU Violence case : जेएनयू हिंसा के दो दिन बाद मंगलवार को वीसी एम. जगदीश कुमार मीडिया के सामने आए और अपनी बात रखी।
वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जांच तेज कर दी है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच अपनी टीम के साथ मंगलवार को कैंपस पहुंची और हिंसा को लेकर जांच में जुट गई है। कुछ देर बाद फॉरेंसिक टीम भी पहुंची और जांच के लिए अहम सबूत और तथ्य जुटा रही है।
JNU Violence case:
- दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि जेएनयू हिंसा में शामिल लोगों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। 3 जनवरी को सर्वर के नुकसान के कारण पुलिस को सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल रहा है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि व्हाट्सएप के स्क्रीनशॉट से कुछ लोगों की पहचान की गई है लेकिन ज्यादातर लोगों के मोबाइल फोन बंद पड़े हैं।
- वहीं, डीसीपी दक्षिण-पश्चिमी देवेंद्र आर्या (Deputy Commissioner of Police (Southwest) Devender Arya) का कहना है कि जेएनयू में हिंसा का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। कैंपस के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर सुरक्षा बल तैनात है।
- जेएनयू के रजिस्ट्रार डॉ. प्रमोद कुमार का कहना है कि हम जल्द ही छात्रों के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं। संस्थान ऐसे छात्रों के भी संपर्क में है, जो प्रदर्शन कर रहे हैं। यह अफवाह गलत है कि हम उनसे बातचीत नहीं कर रहे हैं।
- वहीं, छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष (JNUSU President Aishe Ghosh) के अलावा 19 अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया है। इन पर आरोप है कि चार जनवरी को सर्वर रूम में तोड़फोड़ की थी और सुरक्षाकर्मियों को भी पीटा था। इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर 5 जनवरी को एफआइआर दर्ज की गई है।
- जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार शाम को हुई जबरदस्त हिंसा के बाद लगातार तीसरे दिन कैंपस में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इसके मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
वहीं, इससे पहले जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा पर सोमवार को जबर्दस्त सियासी घमासान दिखा। पूरे दिन राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने ¨हसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, सरकार ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को राजनीति का अड्डा नहीं बनने देंगे। जेएनयू में हिंसा के खिलाफ देश में कुछ जगहों पर प्रदर्शन भी हुआ। सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में तनावपूर्ण शांति रही। पूरे दिन पुलिस की गाड़ियां परिसर के आसपास मंडराती रहीं। पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
गौरतलब है कि कुछ नकाबपोश लोगों ने रविवार को जेएनयू के छात्रों व शिक्षकों को निशाना बनाया था। हमले में दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उपद्रवी तत्वों को सरकारी पक्ष का प्रोत्साहन मिल रहा है। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला ने भी भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने तो घटना की तुलना मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले से कर दी। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने घटना को ‘फासीवादी सर्जिकल स्ट्राइक’ की संज्ञा दी। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने छात्रों की सुरक्षा में विफल रहने को लेकर दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा है। हिंसा और उसके बाद की राजनीति पर मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि शिक्षण संस्थानों का काम छात्रों को शिक्षा देना है। इनका राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। मंत्रलय ने जेएनयू के अधिकारियों को बुलाकर मामले की जानकारी भी ली।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘मैं जेएनयू में हुई हिंसा की निंदा करता हूं। कांग्रेस, आप और वाम दलों के कुछ लोग हैं जो देश में विशेषतौर पर विश्वविद्यालयों में हिंसा और अस्थिरता का माहौल बनाने की कोशिश में हैं। हिंसा की घटना के 10 मिनट के भीतर ही योगेंद्र यादव वहां पहुंच गए। अन्य भी वहां उपस्थित थे। ऐसा कैसे संभव है।’ गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को ही दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से बात कर जेएनयू में तत्काल शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने और उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया था। उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से भी जेएनयू के सभी पक्षों से बात कर कारण जानने और हल निकालने को कहा है।