Shaheen Bagh protest: 20 लाख लोगों को शाहीन बाग करता रहेगा परेशान, 60 दिन से 13 A रोड है बंद
Shaheen Bagh protest शाहीन बाग प्रदर्शन की वजह से कालिंदी कुंज-नोएडा मार्ग पूरी तरह से बंद है। इससे दिल्ली नोएडा फरीदाबाद जाने आने वाले करीब बीस लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। Shaheen Bagh protest : शाहीन बाग में करीब दो माह पहले शुरू हुआ नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन खत्म होता नहीं दिख रहा है। आयोजक इसमें फिर से जान फूंकने में जुटे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार जब तक सीएए को वापस नहीं लेगी तब तक वह प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे। शाहीन बाग प्रदर्शन की वजह से कालिंदी कुंज-नोएडा मार्ग पूरी तरह से बंद है। इससे दिल्ली, नोएडा फरीदाबाद जाने आने वाले करीब बीस लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी जिद पर अड़े हैं। उन्हें लाखों लोगों को हो रही मुसीबत के बजाय इस बात की चिंता है कि शाहीन बाग को फिर से गुलजार कैसे किया जाये?
धरनास्थल के आसपास करीब 100 शोरूम हैं। जहां रोज करोड़ों का कारोबार होता था ऐसे में कारोबारियों को अब तक कई करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। नाम न छापने की शर्त कई कारोबारियों ने बताया कि उन्हें काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन प्रदर्शन का विरोध नहीं कर सकते। अगर हम अपनी बात रखते भी हैं तो प्रदर्शनकारी हमें कौम का गद्दार कहने लगते हैं। ऐसे में नुकसान बर्दाश्त करना ही विकल्प है क्योंकि हमें इन्ही लोगों के बीच में रहना है।
जामिया मिल्लिया और शाहीन बाग को जोड़ने वाले मार्ग पर डीटीसी की बस सेवा बंद हो गई है। बस सेवा बंद होने के कारण लोगों को ई-रिक्शा और ऑटो से सफर करना पड़ रहा है। इसका फायदा उठाते हुए ई-रिक्शा चालकों ने किराया दोगुना तक बढ़ा दिया है। जहां पहले शाहीन बाग से अबुल फजल एन्क्लेव तक किराया 5 रुपये था वहीं अब लोगों को 10 से 15 रुपये देने पड़ रहे हैं। वहीं, शाहीन बाग की ठोकर संख्या नौ से जामिया मिल्लिया विवि तक ई-रिक्शा का किराया 20 रुपये तक हो गया है।
कोर्ट की सुनवाई के बाद लोग बनाएंगे धरने के खिलाफ रणनीति
धरने के दौरान सड़क बंद करने को लेकर स्थानीय आरडब्ल्यूए और अन्य संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय में सड़क खुलवाने को लेकर याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दिल्ली पुलिस और सरकार को नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख दी है। ऐसे में स्थानीय आरडब्ल्यूए और संगठन 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के बाद ही आगे की रणनीति बनाएंगे।