जानिए- मोदी की नजर में क्या है 'नाकामपंथी मॉडल', केजरीवाल व राहुल दोनों को घेरा
आम आदमी पार्टी को पीएम मोदी ने नाकामपंथी राजनीतिक संस्कृति वाली पार्टी बताते हुए दिल्ली के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के रामलीला मैदान में बुधवार शाम आयोजित विजय संकल्प महारैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां अपने पांच वर्षों के कामकाज का हिसाब दिया। वहीं, बिना नाम लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखे हमले भी किए। आम आदमी पार्टी को उन्होंने नाकामपंथी राजनीतिक संस्कृति वाली पार्टी बताते हुए दिल्ली के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया और उससे 1984 के सिख विरोधी दंगों में हुए अन्याय का हिसाब मांगा।
मोदी ने कहा कि आज जब हम सभी 21वीं सदी का भारत बनाने के लिए, देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए ईमानदार कोशिश कर रहे हैं, तब देश की राजधानी के गवर्नेस मॉडल का मूल्यांकन करना भी जरूरी है। आजादी के बाद से देश में चार तरह की राजनीतिक संस्कृति नामपंथी, वामपंथी, दाम व दमन पंथी और विकासपंथी देखी गई हैं। नामपंथियों के लिए वंश व विरासत का नाम ही विजन है। विदेशी विचार व व्यवहार ही वामपंथियों की रोजी-रोटी है। दमनपंथियों के गणतंत्र की परिभाषा गुंडातंत्र है, जबकि विकासपंथियों के लिए सबका साथ और सबका विकास ही सर्वोपरि है। वहीं, दिल्ली देश का इकलौता राज्य है जिसने राजनीति का पांचवां मॉडल देखा है जिसका नाम है नाकामपंथी। यानी जो दिल्ली के विकास से जुड़े हर काम को ना कहते हैं और जो काम करने की कोशिश भी करते हैं, उसमें भी नाकाम रहते हैं। इस नाकामपंथी की राजनीति ने दिल्ली में न सिर्फ अराजकता फैलाई, बल्कि देश के लोगों के साथ विश्वासघात भी किया है। इन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन को नाकाम करने का पाप करने के साथ ही एक आम आदमी की छवि को बदनाम किया और करोड़ों युवाओं के विश्वास व भरोसे को चकनाचूर कर दिया। इन्होंने देश में नई राजनीति के प्रयासों को भी नाकाम किया है। ये लोग देश बदलने आए थे, लेकिन खुद ही बदल गए। ये लोग नई व्यवस्था देने आए थे, लेकिन खुद ही अव्यवस्था व अराजकता का दूसरा नाम बन गए। ये लोग पहले हर किसी पर आरोप लगाते हैं और फिर घुटनों के बल चलकर माफी मांग लेते हैं। इन लोगों ने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए हर बात से यू-टर्न लेने का काम किया। देश की हर संवैधानिक संस्था, हर पद, हर व्यक्ति को गालियां देकर इन्होंने अपने कुसंस्कार प्रकट किए और अपनी हर नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने का काम किया। ये लोग टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थन में जाकर खड़े हो गए। पंजाब में देश के विरोधियों और खालिस्तान समर्थकों को इन्होंने ताकत दी। विदेश जाकर देशविरोधी ताकतों से संपर्क करने में भी इन्होंने कोई संकोच नहीं किया। ये इतनी नकारात्मकता से भरे हुए लोग हैं कि गरीबों से जुड़ी योजनाओं के सामने भी दीवार बनकर खड़े हो गए हैं। इसका उदाहरण दिल्ली में केंद्र व राज्य सरकार के अस्पतालों में दिखता है। केंद्र सरकार के अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को हर साल पांच लाख रुपये का इलाज सुनिश्चित हुआ है, लेकिन राज्य सरकार के अस्पतालों में यह सुविधा नहीं मिल रही है। क्योंकि नाकामपंथियों ने राज्य सरकार के अस्पतालों में इसे लागू नहीं किया है। इन्होंने सिर्फ अपनी राजनीति के लिए गरीब के जीवन से खिलवाड़ करने का काम किया है।
पूरे देश में सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के लिए दस फीसद आरक्षण लागू हो चुका है, लेकिन दिल्ली में गरीब बच्चों को यह सुविधा भी नहीं मिल रही है। नाकामपंथी मॉडल स्थापित करने के लिए कांग्रेस भी दोषी दिल्ली में नाकामपंथियों के मॉडल को स्थापित करने के लिए नामपंथी कांग्रेस भी उतनी ही जिम्मेदार है। जब मैं इनके वंशवाद पर सवाल खड़ा करता हूं तो इन्हें दिक्कत होने लगती है। इन्हें अपने पूर्वजों के नाम पर वोट तो चाहिए, लेकिन जब उन्हीं पूर्वजों के कारनामे खंगाले जाते हैं तो इनको मिर्ची लग जाती है। अगर आप किसी के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो उनके कारनामों का हिसाब भी देना ही होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस आजकल अचानक न्याय की बात करने लगी है। कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि 1984 में सिख विरोधी दंगों में हुए अन्याय का हिसाब कौन देगा। कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि सिखों के खिलाफ जो दंगे हुए और उससे जुड़ा होने का जिनपर आरोप है, उन्हें मुख्यमंत्री बनाना कौन सा न्याय है। कांग्रेस ने देश के साथ जो अन्याय किया, हम उसे निरंतर कम करने की कोशिश कर रहे हैं। तीन दशक बाद पहली बार सिखों के कत्लेआम करने वालों के गिरेबां तक कानून पहुंचा है। वो सलाखों के पीछे पहुंचे हैं फांसी के फंदे तक पहुंचे हैं।
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