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निर्भया के माता-पिता ने लिया 12 मई को मतदान नहीं करने का फैसला, जानिये- क्या है वजह

उनका कहना है कि नेताओं से लेकर अधिकारियों तक के कार्यालय के कई चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं मिला कि आखिर दोषियों फांसी पर कब लटकाया जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 09:47 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 08:15 AM (IST)
निर्भया के माता-पिता ने लिया 12 मई को मतदान नहीं करने का फैसला, जानिये- क्या है वजह
निर्भया के माता-पिता ने लिया 12 मई को मतदान नहीं करने का फैसला, जानिये- क्या है वजह

नई दिल्ली, जेएनएन। वर्ष-2012 में दिल्ली के वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों को कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा पर अमल नहीं होने से आहत पीड़िता के माता-पिता ने तय किया है कि इस बार वे मतदान नहीं करेंगे। उनका कहना है कि पूरे देश को झकझोर देने वाले इस सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद से केंद्र में दो अलग-अलग दलों की सरकारें आईं, लेकिन दोषियों को सजा नहीं मिली। ऐसे में भला हम किस पर भरोसा करें? किसे अपना वोट दें? बड़े भारी मन से हमने यह फैसला किया है कि हम इस बार मतदान नहीं करेंगे।

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यह पूछने पर कि आपके पास नोटा का भी विकल्प है, फिर मतदान नहीं करने का फैसला क्यों, इस पर पीड़िता के पिता बताते हैं कि आप चाहे नोटा का बटन दबाएं या मतदान नहीं करें, दोनों एक ही तरह की बात हुई।

पीड़िता की मां का कहना है कि वसंत विहार मामले के तत्काल बाद देश में महिला सुरक्षा को सभी राजनीतिक दलों की ओर से एक अहम मुद्दा करार दिया गया था। देश की जनता सड़कों पर उतर आई थी। ऐसा लग रहा था कि सरकार अब महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर है, लेकिन हकीकत यह है कि दोषियों को फांसी की सजा पर अमल अभी तक नहीं हुआ।

नेताओं से लेकर अधिकारियों तक के कार्यालय के कई चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं मिला कि आखिर दोषियों फांसी पर कब लटकाया जाएगा। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए सूचना के अधिकार का भी सहारा लिया, लेकिन तमाम प्रयास का नतीजा कुछ नहीं निकला। ऐसे में वे पूरी व्यवस्था से वे आहत हैं।

जेल में सुरक्षित जीवन जी रहे दुष्कर्मी

पीड़िता की मां ने कहा कि आज भी देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आते रहते हैं। महिलाएं खुद को पूरी तरह असुरक्षित महसूस करती हैं। इसकी एक बड़ी वजह अपराधियों की सोच है। वे सोचते हैं कि वे चाहे कुछ भी करें, उन्हें कुछ नहीं होगा। कुछ दिन जेल में रहकर वे बाहर आ जाएंगे। ऐसी स्थिति देखकर यह नहीं लगता है कि दोषियों को फांसी के तख्ते पर कभी ले जाया जाएगा। यदि सरकारें इस मसले पर गंभीर होतीं तो दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया होता।

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