UP-Unnao case: कोर्ट ने कहा- 'हमें सच्चे लगते हैं पीड़ित के बयान', MLA पर भी की अहम टिप्पणी
UP-Unnao case कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि सीबीआइ ने पीड़ित लड़की के पास जाकर बयान लेने जगह उसे ही दफ्तर बुलाया गया।
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। UP-Unnao case: उन्नाव केस में सोमवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट (Tis hazari court delhi) ने अहम फैसले में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (kuldeep singh sengar) को दोषी करार दे दिया है। इस दौरान कोर्ट ने यूपी के दोषी विधायक के साथ पुलिस प्रशासन पर भी कई टिप्णियां कीं। वहीं, पूरे मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी (Central Bureau of Investigation) को भी फटकार लगाई है। यह फटकार इस मामले में चार्जशीट देरी से दायर करने पर लगी।
कोर्ट ने पीड़िता को माना नाबालिग
सोमवार को तीस हजारी कोर्ट ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देने के साथ सामूहिक दुष्कर्म की शिकार लड़की को नाबालिग माना है। वहीं, जज धर्मेंश शर्मा ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया, जबकि लड़की नाबालिग थी।
सीबीआइ के पास नहीं थी महिला अफसर
सोमवार को हुई सुनवाई के दौैरान कोर्ट सीबीआइ को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए सीबीआइ के पास कोई महिला अफसर नहीं था, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसके लेकर भी सीबीआइ को फटकार पड़ी। कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि सीबीआइ ने पीड़ित लड़की के पास जाकर बयान लेने जगह उसे ही दफ्तर बुलाया गया।
दोषी ताकवतर को पीड़िता गांव की एक साधारण लड़की
कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराने के दौरान यह टिप्पणी की कि दोषी एक ताकतवर इंसान है, जबकि पीड़ित गांव की एक साधारण लड़की है। वह किसी बड़े शहर से नहीं है, इसी वजह से केस दर्ज करवाने में देरी हुई।
पीड़िता के बयान सच्चे, उसके साथ हुआ दुष्कर्म
कोर्ट ने यह भी कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पीड़िता के दुष्कर्म हुआ और उसकी जान को भी खतरा था। बदले के लिए ही पीड़ित के परिजन के खिलाफ ही केस दर्ज करवाए गए। कुलदीप सिंह सेंगर के रुतबे के चलते ही पीड़िता के पिता के खिलाफ बयान दर्ज हुआ।