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JNUSU Result 2018: लेफ्ट का दबदबा बरकरार, सभी सीटों पर जीत दर्ज

JNUSU मतगणना में भारी हंगामे और विरोध के 14 घंटे बाद मतगणना शनिवार शाम दोबारा शुरू हुई है। फिलहाल अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट मोर्चा आगे है। दोपहर बाद परिणाम आने का अनुमान है।

By Edited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 07:22 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 02:55 PM (IST)
JNUSU Result 2018:  लेफ्ट का दबदबा बरकरार, सभी सीटों पर जीत दर्ज
JNUSU Result 2018: लेफ्ट का दबदबा बरकरार, सभी सीटों पर जीत दर्ज

नई दिल्ली (जेएनएऩ)। भारी हंगामे और उपद्रव के बाद आखिरकार रविवार दोपहर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) चुनाव 2018 की मतगणना पूरी कर ली गई है। लेफ्ट ने जेएनयू में अपना दबदबा बरकरार रखते हुए चारों सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की है। ABVP को चारों पदों पर दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा है। परिणाम घोषित होते ही जेएनयू में लेफ्ट के पैनल में खुशी की लहर है। लेफ्ट समर्थकों ने इस मौके पर एक दूसरे को रंग लगाकर और अपने झंडे फहराकर खुशी मनाई।

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अध्यक्ष
एन साई बालाजी(लेफ्ट)- 2161
ललित पांडेय(abvp)- 982

उपाध्यक्ष
सारिका चौधरी( लेफ्ट)- 2692
गीताश्री बरुआ (abvp)- 1012

महासचिव
एजाज़ अहमद(लेफ्ट)- 2423
गणेश गुजर (abvp)- 1123

सह सचिव
अमूथा जयदीप(लेफ्ट)- 2047
वैंकट चौबे (abvp)- 1290

JNUSU चुनाव 2018 की मतगणना शुक्रवार रात 10 बजे शुरू हुई थी। ABVP के भारी हंगामे, हिंसा और उपद्रव के बाद शनिवार तड़के चार बजे मतगणना रोक दी गई थी। करीब 14 घंटों के गतिरोध के बाद शनिवार शाम करीब साढ़े छह बजे उपद्रव शांत करा मतगणना दोबारा शुरू की गई। साथ ही शिकायत प्रकोष्ठ सेल के दो शिक्षकों को मतगणना स्थल पर बतौर ऑब्जर्वर तैनात किया गया है। साथ ही वहां सीआरपीएफ तैनात कर दी गई है। इससे पहले शनिवार तड़के निर्वाचन अधिकारियों ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर मतगणना स्थल पर जबरन प्रवेश करने, मारपीट करने और मतपेटियां छीनने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए मतगणना रोक दी थी।

एबीवीपी ने निर्वाचन अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों से इंकार किया है। एबीवीपी ने चुनाव अधिकारियों पर वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए अदालत जाने की धमकी दी थी। एबीवीपी का आरोप है कि उन्हें मतगणना प्रक्रिया की जानकारी नहीं दी गई थी। पहले राउंड में उनके पोलिंग एजेंटों को मतगणना के लिए बुलाया ही नहीं गया और चुनाव अधिकारियों ने वामपंथी गठबंधन के साथ मतगणना शुरू कर दी थी। इसे लेकर शनिवार सुबह एबीवीपी ने विरोध जताया था। कुछ देर बाद मतगणना स्थल पर मारपीट, तोड़फोड़, नारेबाजी और भारी उपद्रव शुरू हो गया था। इसके बाद मतगणना स्थगित कर दी गई थी।

चुनाव समिति का कहना है कि मतगणना एजेंटों के आने के लिये घोषणा की गई थी। सभी नियमों का पालन किया गया है। उसने मतगणना शुरू होने से पहले तीन बार घोषणा की और लाउडस्पीकर के जरिये मतगणना स्थल के बाहर खड़े छात्रों को भी इसकी जानकारी दी गई थी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों को सूचना देकर मतगणना एजेंटों को एकत्र करने को कहा गया था। 10 उम्मीदवारों के 14 मतगणना एजेंट मतगणना स्थल पर पहुंचने के बाद मतगणना प्रक्रिया शुरू गई थी। मतगणना एजेंटों की मौजूदगी में सीलबंद बक्सों को खोला गया था।

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शुरुआती रुझान में आगे थी एबीवीपी
जेएनयू छात्र संघ के शुरुआत रुझाने में एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ललित पांडे 50 में से 24 मत पाकर सबसे आगे चल रहे थे। वहीं लेफ्ट यूनिटी के एनसाइ बालाजी को 9 वोट मिले थे। राजद के जयंत जिज्ञासु को भी पहले बैलेट बॉक्स के वोटो की गिनती में से 50 वोटों में चार वोट मिले थे। प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान जयंत के भाषण को विद्यार्थियों ने खूब पसंद किया था और सबसे ज्यादा तालियां उन्हीं के ही भाषण में बजी थीं।

परिणाम पर राजनीतिक दलों की नजर
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों की नजरें जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव के परिणाम पर टिक गई हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार जेएनयू में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। यदि वामपंथियों के गढ़ में एबीवीपी जीत हासिल कर लेती है तो भाजपा को इसका सियासी लाभ मिलेगा।

डूसू में शानदार प्रदर्शन करते हुए एबीवीपी ने अध्यक्ष समेत चार में से तीन पदों पर कब्जा जमाया है। इस जीत को भाजपा युवाओं के बीच नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता से जोड़कर देख रही है। वहीं, अब भाजपा नेताओं को जेएनयू से भी अच्छी खबर आने की उम्मीद है। उनका कहना है कि जेएनयू में लगातार एबीवीपी का जनाधार बढ़ रहा है। यहां के विद्यार्थी वाम दलों से जुड़े छात्र संगठनों की सच्चाई जान गए हैं। इसलिए उनका अब उनसे मोह भंग हो रहा है।

रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ
इससे पहले जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के लिए शुक्रवार सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक वोट डाले गए। बीते कुछ वर्षों की तुलना में इस साल छात्रसंघ चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ। 68 फीसद विद्यार्थियों ने मतदान दिया। 8700 छात्रों से 7650 ने मतदान में हिस्सा लिया। जेएनयू में 1970 से चुनाव हो रहा है।
चुनाव समिति के मुख्य चुनाव अधिकारी हिमांशु कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट की लिंगदोह समिति की सिफारिशों को जेएनयू में लागू किया गया था। उसके बाद समिति की सिफारिशों के अनुरूप चुनाव होते रहे। बीते सात वर्षों में कभी भी 60 फीसद वोट नहीं डाले गए, जबकि इस बार 68 फीसद मतदान हुआ। हिमांशु ने कहा कि 40 वर्षों के इतिहास में मतदान का औसत क्या रहा, इस बारे में चुनाव समिति के अधिकारियों से पता करना होगा। इस साल भारी मतदान हुआ।

रोकनी पड़ी मतगणना
चुनाव समिति का आरोप है कि एक अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद के प्रत्याशी ने चुनाव समिति के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं उन्होंने चुनाव समिति की महिला सदस्यों के साथ भी मारपीट की गई है। यहां तक कि दरवाजे भी तोड़े गए। वाम संगठनों ने आरोप लगाया है कि देर रात एबीवीपी के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं ने उत्पात मचाया है। देर रात सभी काउंसलर पदों में हार की सूचना से बौखलाए एबीवीपी समर्थकों ने मारपीट और तोडफोड़ की है।

साजिश और धांधली का आरोप
एबीवीपी का आरोप है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति की तरफ से मतगणना के पहले राउंड की काउंटिंग जो साइंस स्कूल और अन्य स्पेशल सेंटर में शुरू हुई थी। उसके शुरू होने के समय एबीवीपी के काउंटिंग एजेंट को बुलाए बिना चुनाव समिति के सदस्यों ने लेफ्ट के कार्यकर्ताओं के साथ मतगणना शुरू कर दी। एबीवीपी की तरफ से कहा गया है कि 'चुनाव समिति के मेंबर्स और लेफ्ट दोनों मिलकर साजिश और धांधली कर रहे है। ऐसे चुनाव का हम नहीं मानते हैं। हमें काउंटिंग में नहीं बुलाया जा रहा है।'


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