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राजनीति के लिए सुखद नहीं रहा 2019, दिल्‍ली के दो पूर्व CM का हुआ निधन

राजनीति के कई सारे दिग्‍ग्‍ज नेता 2019 में एक-एक कर पंचतत्‍व में विलीन होते गए। इनमें ज्यादातर नेता कांग्रेस और भाजपा से जुड़े थे और इन सभी ने किसी-न-किसी रूप में इतिहास रचा था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 08:35 PM (IST)Updated: Sun, 29 Dec 2019 08:43 PM (IST)
राजनीति के लिए सुखद नहीं रहा 2019, दिल्‍ली के दो पूर्व CM का हुआ निधन
राजनीति के लिए सुखद नहीं रहा 2019, दिल्‍ली के दो पूर्व CM का हुआ निधन

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। राजनीति के लिए साल 2019 सुखद नहीं रहा। इस साल दिल्‍ली ने अपने सारे पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को खो दिया। यह साल दिल्‍ली के लिए ही नहीं बल्‍कि राजनीति के लिए भी कुल मिलाकर ठीक नहीं रहा। राजनीति के कई सारे दिग्‍ग्‍ज कहे जाने वाले नेता एक-एक कर पंचतत्‍व में विलीन होते गए। इनमें ज्यादातर नेता कांग्रेस और भाजपा से जुड़े थे और इन सभी ने किसी-न-किसी रूप में इतिहास रचा था। राजनीति में अपना सिक्‍का जमाने वाले नेताओं पर आइए एक नजर डालते हैं जिन्‍होंने साल 2019 में अंतिम सांसे लीं।

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शीला दीक्षित जो लोगों के बीच थीं काफी चहेती सीएम (20 जुलाई)

शीला दीक्षित, कांग्रेस की वह कार्यकर्ता जो दिल्‍ली की गद्दी पर 15 साल तक राज कीं। हालांकि अपने अंतिम चुनाव में वह भाजपा के उम्‍मीदवार मनोज तिवारी के सामने हार गईं। अगर उनकी लोकप्रियता की बात करें तो वह लोगों के बीच काफी प्रिय रहीं। कांग्रेस की अध्‍यक्ष और दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने 81 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को 20 जुलाई को अलविदा कहा। उन्‍हें दिल्‍ली के विकास के लिए हमेशा-हमेशा याद रखा जाएगा। उन्‍होंने ही दिल्‍ली के विकास को रफ्तार दी और इस शहर का नक्‍शा बदल दिया। आज बिना रेड लाइट के फ्लाइओवर पर तेज रफ्तार फर्राटे भरने वाली सड़क उन्‍ही के कार्यकाल की देन हैं। शीला दीक्षित के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने लगातार तीन पर दिल्ली में सरकार बनाई और वह साल 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में वह अब तक की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहीं।

सुषमा स्वराज भाजपा को दिल्‍ली में दिलाई पहचान (6 अगस्त)

भारत की काफी लोकप्रिय पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्‍वराज (67 वर्षीय) का निधन छह अगस्‍त को हुआ था। रात को घर पर उन्‍हें दिल का दौरा पड़ा फिर उन्‍हें दिल्ली के ही एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्‍होंने इस दुनिया का अलविदा कहा। 2018 में ही सुषमा स्‍वराज ने कहा था कि वह अब चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं वह मात्र 25 साल की उम्र में ही राजनीति की कखग सीख कर इंट्री मार दी थीं। गुरु के तौर पर उन्‍होंने भारतीय जनता पार्टी के संस्‍थापक सदस्‍य लालकृष्‍ण आडवाणी को माना था। वह 41 साल से सक्रिय राजनीति में रहीं। इनके निधन के बाद से ही दिल्‍ली ने अपने पूर्व मुख्‍यमंत्रियों की कतार में आखिरी सीएम को खो दिया।

अरुण जेटली: राजनीतिक के दिग्‍गज जिन्‍होंने क्रिकेट के लिए काफी काम किया (24 अगस्‍त)

पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का निधन 24 अगस्‍त हो हुआ था। उन्‍होंने 67 साल की उम्र में इस संसार को अलविदा कहा। वह कई दिनों से बीमार थे और दिल्‍ली के ही एम्‍स में अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्‍होंने शनिवार की दोपहर 12 बजकर सात मिनट पर आखिरी सांसे लीं। जेटली का अंतिम संस्कार दिल्ली के ही निगम बोध घाट पर हुआ था जिसमें देश के कई दिग्‍गज नेता पहुंचे थे। उन्‍होंने अपने राजनीतिक जीवन में दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ से लेकर देश के वित्‍त मंत्री तक का काम बखूबी संभाला। उन्‍होंने अपने कैरियर के दौरान क्रिकेट के लिए काफी काम किया।

और कई नेताओं का हुआ निधन

दिल्‍ली के कई नेताओं के अलावा बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री जगन्नाथ मिश्र का निधन भी इसी साल 19 अगस्‍त में हुआ था। गोवा के मुख्‍यमंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन भी इसी साल 17 मार्च को हुआ था। गोवा के सीएम रहे पर्रिकर का राजनीतिक जीवन काफी साफ और सादगी से भरा रहा। वह अपने रक्षा मंत्री के कार्यकाल में भारत के लिए कई रक्षा सौदे कर भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को मजबूत किया था। वहीं बाबू लाल गौर का निधन भी अगस्त महीने में हुआ। बता दें कि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले बाबू लाल गौर ने मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर एक इतिहास ही रचा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयपाल रेड्डी का 28 जुलाई, 2019 को हैदराबाद में निधन हुआ था। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी कई दिनों से बीमार चल रहे थे।

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