Haryana Politics: चाचा के कुनबे में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की सेंध
Haryana Deputy CM Dushyant Chautala उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का जोर उन लोगों को पाले में लाने पर है जो कभी दादा-परदादा के सिपाही रहे थे।
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। Haryana Deputy CM Dushyant Chautala: राजनीति में वंशवाद को लेकर आए दिन बहस छिड़ी रहती है। मनोहरलाल जैसे अपवादों को छोड़ दें तो हरियाणा की हकीकत भी यही है। लालों की राजनीति के लिए विख्यात हरियाणा के चर्चित लाल स्व. चौ. देवीलाल ने संघर्ष से जो आधार तैयार किया था, उसका फायदा अब उनकी चौथी पीढ़ी उठा रही है। दुष्यंत चौटाला की अपने दादा-परदादा की राजनीतिक विरासत पर पूरी नजर है। उपमुख्यमंत्री का जोर उन लोगों को पाले में लाने पर है, जो कभी दादा-परदादा के सिपाही रहे थे। फिर बेशक चाचा अभय चौटाला के कुनबे में सेंध क्यों न लगानी पड़े। रविवार को दुष्यंत ने धारूहेड़ा पहुंचकर यही किया। एक जमाने में दादा-परदादा के मुरीद रहे जेलदार परिवार से जुड़े मंजीत राव को दुष्यंत पहले ही अपना बना चुके थे। रविवार को उन्हें जजपा का झंडा थमाकर इसकी औपचारिकता पूरी की गई। आखिर सत्ता पक्ष और विपक्ष का अंतर तो होता ही है।
आरती को मिली मनोहर तारीफ
अहीरवाल की राजनीति में ‘इंसाफ मंच’ की चर्चा तब से है जब से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस में रहते हुए अपने और इलाके के सम्मान तथा पानी की लड़ाई शुरू की थी। भाजपा में आने के बाद भी जब इंसाफ मंच का अस्तित्व बरकरार रहा तो राव विरोधी दिल्ली दरबार को यह समझाते रहे कि इंसाफ मंच की मौजूदगी का मतलब है राव भाजपा के साथ अभी घी-खिचड़ी नहीं होना चाहते, मगर कोरोना संक्रमण काल में राव अपने इस गैर राजनीतिक प्लेटफार्म को अपनी पार्टी के बीच सामाजिक संस्था की पहचान दिलाने में कामयाब रहे। कोरोना संकट में उनकी बेटी आरती राव ने मंच के माध्यम से रेवाड़ी से भिवानी तक जरूरतमंदों को राशन वितरित किया। उनके इस काम पर अब मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने मुहर लगा दी है। सीएम ने आरती राव को भेजे अपने पत्र में इंसाफ मंच द्वारा किए गए कामों की खूब तारीफ की है।
गुलाम नबी गए तो फौजी खुश
कांग्रेस में जब से गुलाम नबी आजाद की जगह प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के विवेक बंसल को मिली है तब से फौजी नेता (कैप्टन अजय सिंह यादव) के समर्थक बहुत खुश हैं। एक-दूसरे से अपनी खुशी सांझा करते हुए अतीत के दुखड़े भी सुनाना नहीं भूलते। कहते हैं एक समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा से यारी निभाने के लिए गुलाम नबी ने एक-एक करके कैप्टन के कई समर्थकों को ठिकाने लगा दिया था। फौजी का कद भी छह इंच छोटा कर दिया था और उन्हें उभरने नहीं दिया। हालांकि अब बदले वक्त में कैप्टन ने भूपेंद्र हुड्डा से फिर थोड़ा सा याराना कायम कर लिया है, मगर नए प्रदेश प्रभारी बंसल के आने से कैप्टन की खुशी छुपाए नहीं छुप रही है। कहते हैं कैप्टन और बंसल के बीच बहुत पुराना याराना है। अब कम से कम गुलाम नबी की तरह कैप्टन को राजनीतिक रगड़ा तो नहीं लग पाएगा।
हवा के विपरीत चलकर दिखाओ
पूर्व मंत्री जगदीश यादव की बोहरा जी के नाम से अधिक पहचान है। इनकी गिनती विनम्र नेताओं में होती है, मगर गलती से कोई अपना भी इनके सामने राव इंद्रजीत सिंह को जनाधारी नेता बता दे तो गुस्सा सातवें आसमान पर होता है। हालांकि पीठ पीछे बोहरा जी व राव समर्थकों के बीच खूब बहस होती है। बोहरा जी के खास समर्थक जहां राव के व्यक्तिगत जनाधार व पार्टी में उनके शक्तिशाली होने की बात नकारते हैं वहीं राव समर्थक अक्सर यह पूछते हैं कि अगर इंद्रजीत सिंह ताकतवर नहीं है तो नरबीर सिंह, रणधीर कापड़ीवास, संतोष यादव, जगदीश यादव, बिक्रम यादव व अरविंद यादव जैसे भाजपाई बैकफुट पर क्यों है। इसके जवाब में अब बोहरा जी के समर्थक भी पलटवार करके पूछने लगे हैं कि अभयसिंह यादव किसके विरोध के बावजूद जीते और सुनील यादव किसके समर्थन के बावजूद हारे। ताकत है तो हवा के विपरीत चलकर दिखाओ।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो