CM आवास पर सफाई कर्मियों ने जाम की सड़क, केजरीवाल ने बताया BJP की चाल
पिछले महीने 12 सितंबर से पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल की वजह से पूर्वी दिल्ली में गंदगी पसरी हुई है। जगह-जगह कूड़ा बिखरा हुआ है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पिछले महीने (सितंबर) से हड़ताल कर रहे पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) के हजारों सफाई कर्मचारी बृहस्पतिवार को एक बार फिर उग्र हो गए। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। उधर, केजरीवाल ने सफाई कर्मियों के प्रदर्शन को भाजपा की चाल बताया है।
दोपहर में नाराज कर्मचारियों ने सीएम आवास के बाहर सड़क जाम कर दी। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी शामिल हुए। प्रदर्शनकारी सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि उन्हें सैलरी नियमित रूप से दी जाए, जो कभी मिलती है कभी नहीं मिलती। साथ ही एरियर भी दिया जाए।
वहीं, केजरीवाल ने ट्वीट कर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है। ट्वीट में लिखा है- 'सफ़ाई कर्मचारी मेरे घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें भाजपा ने झूठ बोलकर बरगलाया है। मैं उनसे सीधे बात करने उनके बीच जा रहा हूं। उनको सच बताऊँगा। सारे तथ्य उनके और दिल्ली की जनता के सामने रखूंगा।'
वहीं, अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा है- 'दिल्ली की सफ़ाई व्यवस्था को लेकर मैं बेहद चिंतित हूं। भाजपा की केंद्र और MCD की सरकारों ने दिल्ली की सफ़ाई व्यवस्था को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है। मैं अपने सफ़ाई कर्मचारियों को लेकर भी बेहद चिंतित हूं। हर दो महीनों में इनको अपनी तनख़्वाह लेने के लिए हड़ताल करनी पड़ती है।'
गौरतलब है कि पिछले महीने 12 सितंबर से पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल की वजह से पूर्वी दिल्ली में गंदगी पसरी हुई है। जगह-जगह कूड़ा बिखरा हुआ है।
इससे पहले दिल्ली सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह दो दिनों के भीतर नगर निगम को 500 करोड़ रुपये देगी। वेतन न मिलने के कारण पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे कि इलाके में सफाई का काम नहीं हो पा रहा है।
साथ ही फंड की कमी से दूसरे नगर निगमों की स्थिति ठीक नहीं है। इस पर पीठ ने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के हड़ताल पर होने के कारण कूड़ों का अंबार लग गया है। इसे लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल का पक्ष अलग-अलग है।