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JNU Students Protest : देश के 4 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कम है जेएनयू की फीस, देखिये सूची

JNU Students Protest विश्वविद्यालय के 16 छात्रावासों पर प्रति वर्ष विश्वविद्यालय 10 करोड़ अपनी जेब से खर्च करता है इसका फंड यूजीसी से नहीं मिलता है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 08:25 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 08:25 AM (IST)
JNU Students Protest : देश के 4 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कम है जेएनयू की फीस, देखिये सूची
JNU Students Protest : देश के 4 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कम है जेएनयू की फीस, देखिये सूची

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जेएनयू प्रशासन की तरफ से गुरुवार को पांच केंद्रीय विश्वविद्यालय की वार्षिक ट्यूशन फीस का ब्योरा दिया गया। शिक्षकों ने कहा कि अकादमिक गतिविधियों को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए फीस बढ़ाने का निर्णय लिया गया। विश्वविद्यालय के 16 छात्रावासों पर प्रति वर्ष विश्वविद्यालय 10 करोड़ अपनी जेब से खर्च करता है, इसका फंड यूजीसी से नहीं मिलता है।

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शिक्षकों ने आंदोलन को वामपंथी साजिश बताया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रेसवार्ता में शिक्षकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि देश भर से वामपंथ का वैचारिक आधार खिसक रहा है, ऐसे में छात्रावास की फीस बढ़ोतरी के मुद्दे को एक साधन की तरह इस्तेमाल करते हुए अपने वैचारिक आधार को पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। छात्रों हित सिर्फ एक बहाना है, असल में इन्हें व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन खड़ा करना है।

जेएनयू के 113 शिक्षकों ने खुद को जेएनयू शिक्षक संघ से अलग कर दिया है। गुरुवार को कुछ शिक्षकों ने कहा कि महिला शिक्षिका के साथ छात्रों द्वारा खराब बर्ताव किए जाने पर शिक्षक संघ ने चुप्पी साधी। एसोसिएट डीन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वंदना मिश्र को आंदोलन कर रहे छात्रों ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज-2 की इमारत में करीब 30 घंटे तक बंधक बनाकर रखा।

इससे पहले 28 अक्टूबर को छात्र डीन प्रो. उमेश कुमार कदम के साथ भी खराब व्यवहार किया। इस तरह के अमानवीय आपराधिक कृत्य पर जेएनयू शिक्षक संघ ने आंदोलन कर रहे छात्रों को नहीं रोका और न ही इसकी निंदा की। गुरुवार को विश्वविद्यालय के प्रो. अश्विनी मोहापात्र, प्रो. बृजेश कुमार पांडेय, प्रो. मजहर आसिफ और डॉ. नागेंद्र श्रीनिवास ने विश्वविद्यालय में प्रेसवार्ता करते हुए कुल 113 शिक्षकों की राय के बारे में बताते हुए कहा कि शिक्षकों के साथ हुई हिंसक घटना के बाद शिक्षक संघ ने साजिशन तरीके से चुप्पी साधे रखी। लिहाजा कुल 113 शिक्षक जेएनयू शिक्षक संघ से नाता तोड़ रहे हैं।

साथ ही शिक्षकों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा जेएनयू में अकादमिक गतिविधियों के लिए सामान्य स्थित बहाल करने के लिए गठित की गई उच्चस्तरीय समिति को जेएनयू की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करार दिया है।

शिक्षक संघ का बयान

शिक्षक संघ के अध्यक्ष डीके लोबियाल ने कहा कि शिक्षकों के किसी भी खंड द्वारा इस तरह का कोई निर्णय लेने की जानकारी हमारे पास नहीं है। जेएनयू शिक्षक संघ सभी शिक्षकों का सामूहिक निकाय है, सभी शिक्षकों की चिंताओं को उचित तरीके से देखा जाता है।

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