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JNU Violence case: हिंसा के 2 दिन बाद खुलासा, दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई

JNU Violence case जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 08:31 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 08:31 AM (IST)
JNU Violence case: हिंसा के 2 दिन बाद खुलासा, दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई
JNU Violence case: हिंसा के 2 दिन बाद खुलासा, दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। JNU Violence case: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है। पांच जनवरी को हुए बवाल से पहले वामपंथी छात्र संगठनों के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने तीन और चार जनवरी को लगातार दो दिनों तक प्रशासनिक ब्लॉक स्थित सर्वर रूम में जबरन घुसकर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाया था। कर्मचारियों से मारपीट भी की थी। यहां तक कर्मचारियों के अंदर होते हुए भी सर्वर रूम में बाहर से ताला जड़ दिया गया था। दोनों ही दिन जेएनयू के मुख्य सुरक्षा अधिकारी श्याम सिंह ने स्थानीय पुलिस थाने में लिखित शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। नतीजन हंगामा करने वाले छात्र संगठनों को बल मिलता गया और अंतत: रविवार पांच जनवरी को लाठी-डंडे और रॉड से लैस नकाबपोश लोगों ने पूरे परिसर में जमकर उत्पात किया। छात्रों-शिक्षकों को पीटा और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया।

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सर्वर रूम में जड़ दिया था ताला

जेएनयू की तरफ से पुलिस को पहली शिकायत तीन जनवरी को दी गई। शिकायत में बताया गया कि एक जनवरी से विंटर सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई। तीन जनवरी की दोपहर एक बजे सैकड़ों की संख्या में नकाब पहने विद्यार्थी प्रशासनिक ब्लॉक स्थित सेंटर ऑफ इंफरेमेशन सिस्टम के कार्यालय में जबरन घुस गए। वहां उन्होंने सिस्टम की बिजली काट दी। कर्मचारियों ने जब विरोध जताया तब नकाबपोशों ने उन्हें बाहर निकालकर सर्वर रूम में ताला जड़ दिया। इससे विश्वविद्यालय बायोमीट्रिक और सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम का कार्य ठप हो गया। इस दौरान जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष अन्य कई छात्रों के साथ मौजूद थीं। अन्य छात्रों की पहचान नहीं की जा सकी। इस शिकायत पर पुलिस ने दो दिन बाद पांच जनवरी को बवाल के बाद रात 8.44 बजे मुकदमा दर्ज किया गया।

दूसरी शिकायत पर भी नहीं खुली नींद

इसी प्रकार चार जनवरी को मुख्य सुरक्षा अधिकारी श्याम सिंह ने थाने में दूसरी शिकायत देकर बताया कि सुबह छह बजे सुरक्षा गार्डो ने जब सर्वर रूम को खुलवाने का प्रयास किया, तब छात्रों ने गार्डो से मारपीट की, गालियां भी दीं। यही नहीं कर्मियों को सर्वर रूम खोलने पर बुरा परिणाम भुगतने की धमकी दी। उस मौके पर भी आईशी घोष अन्य छात्रों के साथ मौजूद थीं। जेएनयू प्रशासन ने जब दोबारा सर्वर रूम को खोलने की कोशिश की तो छात्रों ने फिर कर्मचारियों और सुरक्षा गार्ड को पीटा। हालांकि उस दौरान कुछ कर्मचारी सर्वर रूम में प्रवेश करने में सफल हो गए और सिस्टम को ठीक कर दिया। उसके कुछ देर बाद बड़ी संख्या में छात्र कार्यालय में प्रवेश कर गए। उन्होंने गाली-गलौज करते हुए कर्मियों को सर्वर रूम से बाहर निकाल दिया और उन्हें काम करने से रोक दिया। बवाल बढ़ने पर जेएनयू प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी। थानाध्यक्ष ने मौके पर आकर मुआयना भी किया। उनके जाने के बाद दोपहर करीब एक बजे कुछ छात्र पिछले गेट से फिर सर्वर रूम में घुस गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इस मामले में भी पुलिस ने पांच जनवरी की रात 8.49 बजे मुकदमा दर्ज किया। इस संबंध में दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एडिशनल पुलिस कमिश्नर मंदीप सिंह रंधावा का कहना है कि छात्रों के मामले संवेदनशील होते हैं। जो शिकायतें मिली हैं, उनके तथ्यों की जांच की गई। उसके बाद एफआइआर दर्ज की गई। अतिरिक्त सतर्कता बरतने के कारण ही एफआइआर दर्ज करने में देरी हुई।

पुलिस इजाजत का इंतजार करती रही

हिंसा वाले दिन पुलिस ने थोड़ी भी सक्रियता दिखाई होती तो नकाबपोश इतना नुकसान नहीं पहुंचा पाते। पुलिस ने एफआइआर में माना है कि रविवार को उसे सौ से ज्यादा कॉल आए थे। पुलिस के मुताबिक शाम 5:58 बजे विवि प्रशासन ने झगड़े की सूचना दी थी। पुलिस जेएनयू पहुंची भी लेकिन अंदर नहीं गई। इस दौरान नकाबपोश छात्रों व शिक्षकों को निशाना बनाते रहे। विवि प्रशासन से रात 8:15 बजे भारी ¨हसा की दोबारा सूचना मिलने और कुलपति की लिखित इजाजत के बाद पुलिस ने परिसर में प्रवेश किया।


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