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दीपावली पर दिल्ली के व्यापारियों को बड़ी राहत, उपमुख्यमंत्री ने जारी किया ये आदेश

उपमुख्यमंत्री ने अपने आदेश में कहा कि छापे या सर्वे के 5-5 महीनों बाद तक रिपोर्ट तैयार नहीं की जाती है। अब 24 घंटे में रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 04:34 PM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 04:34 PM (IST)
दीपावली पर दिल्ली के व्यापारियों को बड़ी राहत, उपमुख्यमंत्री ने जारी किया ये आदेश
दीपावली पर दिल्ली के व्यापारियों को बड़ी राहत, उपमुख्यमंत्री ने जारी किया ये आदेश

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली सरकार ने दीपावली के त्यौहारी सीजन पर व्यापारियों को बड़ी राहत प्रदान की है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने वैट (ट्रेड एंड टैक्सेज) विभाग को आदेश दिया है कि दीपावली तक किसी भी दुकान, डीलर या व्यापारी के यहां छापा न मारा जाए। दीपावली तक इनके यहां कोई सर्वे भी नहीं किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने पिछले सात महीनों में हुए सर्वे ऑपरेशन के परिणामों को उदाहरण के तौर पर रखा है।

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छापा न मारने के आदेश में उपमुख्यमंत्री ने लिखा है कि पिछले सात महीने में जितने भी सर्वे ऑपरेशन हुए हैं, उनका कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला है। इन सर्वे व छापों से सरकारी खजाने में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। उन्होंने मौजूदा वित्तीय वर्ष में किए गए हर सर्वे की रिपोर्ट भी तलब की है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि ये सर्वे और छापेमारी व्यापारियों को परेशान करने के लिए ही होती है। मनीष सिसोदिया ने एनफोर्समेंट ब्रांच के साथ सर्वे करने में कई महत्वपूर्ण बदलावों को लागू करने का आदेश दिया है।

इस वित्तीय वर्ष के हर छापे की रिपोर्ट तलब

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने डिपार्टमेंट से कहा है कि वित्त वर्ष 2018 में 1 अप्रैल से लेकर अब तक वैट, GST को लेकर जितने छापे मारे हैं। सर्वे किए गए हैं। जितनी भी ऑडिट रिपोर्ट हैं, उनकी डिटेल रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। छापे की तारीख डीलर का नाम, जीएसटी नंबर, बिजनेस, सर्वे टीम की डिटेल, सर्वे के परिणामों की हर छोटी से छोटी जानकारी दी जाए।

डिप्टी सीएम ने सर्वे पर सवाल उठाते हुए कहा पिछले 110 सर्वे लिस्ट को देखने से पता चलता है कि केवल एक केस में 72 लाख रुपये की रिकवरी हुई है। बाकी केसों में कोई रिजल्ट नहीं निकला। सर्वे टीम की कोई जवाबदेही नजर नहीं आती और इससे करप्शन को बढ़ावा मिलता है। छापे के पांच- पांच महीनों बाद भी टीम ने रिपोर्ट फाइनल नहीं की । जबकि छापे के तुरंत बाद रिपोर्ट बननी चाहिए ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका न रहें। उन्होंने कहा कि एनफोर्समेंट ब्रांच कमिश्नर कार्य प्रणाली को ठीक से सुपरवाइज नहीं कर पा रहे हैं। इस ब्रांच में हर ऑफिसर की नियुक्ति कमिश्नर की मंजूरी के बाद ही होती है।

छापे से पहले कारण बता लेनी होगी मंजूरी

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने वैट कमिश्नर को निर्देश दिया है कि किसी भी छापे से पहले प्रिंसिपल सेक्रेटरी (फाइनैंस) की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। गोपनीय फाइल में प्रस्तावित सर्वे के कारणों के बारे में बताना होगा। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अभी तक जो सर्वे ऑपरेशंस कंडक्ट किए जा रहे हैं, उनको लेकर अधिकारियों में गंभीरता नहीं दिख रही हैं। सर्वे टीम में जिसे भी शामिल किया जाए, उसके बारे में डिप्टी सीएम ऑफिस को भी बताया जाए। कमिश्नर को कंडक्ट किए गए सभी सर्वे की वीकली रिपोर्ट देनी होगी ताकि सरकार को यह पता चले कि सर्वे से कितना राजस्व मिला। विभाग को सर्वे डिप्लॉयमेंट रजिस्टर भी मेनटेन करना होगा।

छापे के 24 घंटे में देनी होगी रिपोर्ट

उपमुख्यमंत्री ने अपने आदेश में कहा कि छापे या सर्वे के 5-5 महीनों बाद तक रिपोर्ट तैयार नहीं की जाती है। अब 24 घंटे में रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। 24 घंटे में रिपोर्ट तैयार होने से डीलर या सर्वे ऑफिसर द्वारा रिपोर्ट में छेड़छाड़ की संभावना खत्म होगी। वैट डिपार्टमेंट को सर्वे रजिस्टर बनाना होगा और उसमें हर छापे के लिए तैनात किए जाने वाले अधिकारियों की लिस्ट होगी।


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