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Delhi Election Results 2020: भाजपा ने आरक्षित सीटों पर लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त खोई

राजधानी के 70 में से 12 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए इन क्षेत्रों में जीत जरूरी है और भाजपा की यह कमजोर कड़ी रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 11:46 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 07:28 AM (IST)
Delhi Election Results 2020: भाजपा ने आरक्षित सीटों पर लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त खोई
Delhi Election Results 2020: भाजपा ने आरक्षित सीटों पर लोकसभा चुनावों में मिली बढ़त खोई

 नई दिल्ली, संतोष कुमार सिंह। राजधानी के 70 में से 12 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए इन क्षेत्रों में जीत जरूरी है और भाजपा की यह कमजोर कड़ी रही है। मुस्लिम बहुल नौ सीटों के साथ ही 12 आरक्षित क्षेत्रों में कमजोर प्रदर्शन की वजह से वह दिल्ली फतह करने से चूक गई।

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सत्ता तक पहुंचने के लिए इन सीटों पर जीत जरूरी

पार्टी 1998 से विपक्ष में रहने को मजबूर है। लोकसभा चुनाव में आरक्षित सीटों पर जिस तरह से भाजपा को बढ़त मिली थी, उससे पार्टी के रणनीतिकारों की उम्मीद बढ़ी थी, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में फिर से निराशा हाथ लगी। इन सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को लोकसभा की तुलना में बहुत कम मत मिले हैं। हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा मत मिले हैं, लेकिन यह बढ़ोतरी जीत दिलाने लायक नहीं है। यही कारण है कि इन सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी बड़े अंतर से हारे हैं।

कांग्रेस की पकड़ कमजोर होते ही वह भी सत्ता से बाहर हुई

वर्ष 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 12 में से सिर्फ दो-दो आरक्षित सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 2015 विधानसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी। सभी सीटें आप के खाते में गई थीं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। कांग्रेस को 15 वर्षो तक यहां की सत्ता पर काबिज रखने में भी इस वर्ग के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनका साथ छूटते ही कांग्रेस भी सत्ता से दूर चली गई। वर्ष 2008 में कांग्रेस को नौ आरक्षित सीटों पर जीत मिली थी और प्रदेश में उसकी सरकार बनी थी। वहीं, वर्ष 2013 में उसका यह मजबूत वोट बैंक आम आदमी पार्टी (आप) के पाले में चला गया था। आप नौ आरक्षित सीटों पर जीत हासिल कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी।

परिणाम में नहीं दिखा योजनाओं का असर

अनुसूचित जाति के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए भाजपा पिछले कई वर्षो से लगातार काम कर रही है। इसके लिए ठोस रणनीति बनाकर अनुसूचित जाति मोर्चा को इसे जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी। मोदी सरकार की योजनाओं से लोगों को मिले लाभ और भारतीय अनुसूचित जाति मोर्चा के कार्यकर्ताओं की मेहनत ने लोकसभा चुनाव में रंग भी दिखाया और पार्टी जीत हासिल करने में सफल रही थी। उसके बाद विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पार्टी ने कई कार्यक्रम आयोजित किए। विभिन्न अनुसूचित जाति के समाजों के सम्मेलन करने के साथ ही दिल्ली भर में छोटी-छोटी बैठकें की गई। झुग्गी झोपडि़यों, पुनर्वास कॉलोनियों, अनधिकृत कॉलोनियों में जनसंपर्क अभियान चलाने का दावा किया गया, लेकिन जब विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आए तो इसका कहीं असर नहीं दिखा।


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