दिल्ली व बिहार सरकार ने कराई एंबुलेंस की व्यवस्था, ट्रेन से शव ले जाने की बात पर भड़के परिजन
मृतकों में अधिकतर लोग बिहार के रहने वाले थे। ऐसे में परिजन शव को ले जाने को लेकर चिंतित थे। निजी एंबुलेंस वाले इसके लिए 30-40 हजार रुपये मांग रहे थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मृतकों के शव एंबुलेंस की जगह ट्रेन से ले जाने को कहा गया तो मोर्चरी पर मौजूद उनके परिवार वालों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मोर्चरी के बाहर हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत करने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। बिहार व दिल्ली सरकार द्वारा शवों को बिहार भेजने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराए जाने का आश्वासन दिए जाने पर ही वे शांत हुए।
मृतकों में अधिकतर लोग बिहार के रहने वाले थे। ऐसे में परिजन शव को ले जाने को लेकर चिंतित थे। निजी एंबुलेंस वाले इसके लिए 30-40 हजार रुपये मांग रहे थे। हालांकि, सुबह दिल्ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन ने सभी शवों को एंबुलेंस से बिहार भिजवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन, दोपहर बाद बिहार प्रशासन द्वारा शवों को ट्रेन से ले जाए जाने की बात कही गई। इस पर मृतकों के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि बेशक सड़क द्वारा उन्हें हजारों किमी की दूरी तय करनी पड़े, लेकिन ट्रेन से नहीं जाएंगे।
बिहार के मधुबनी निवासी जाकिर हुसैन के भाई साकिर की हादसे में मौत हो गई थी। जाकिर का कहना था कि पहले एंबुलेंस से शव भेजने की बात हुई थी, लेकिन फिर ट्रेन से बोला जा रहा है। रेलवे स्टेशन से उनका गांव दूर है। वहीं, बेगूसराय के रहने वाले मो. शमशीर ने बताया कि उन्हें स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन से भेजा जा रहा था, जो कि समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर रुकती। वहां से उनका गांव करीब 70 किमी दूर है। शमशीर को अपने पड़ोसी नवीन का शव बेगूसराय लेकर जाना था।
बिहार भवन में तैनात संयुक्त श्रम आयुक्त कुमार दिग्विजय ने कहा कि शवों को ट्रेन से भेजने के लिए पीयूष गोयल से आग्रह कर अतिरिक्त कोच की भी व्यवस्था की गई थी, लेकिन लोगों के न मानने पर एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। एक एंबुलेंस से दो शवों को भेजा जा रहा है।