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Baroda Bypoll 2020: बाहरी प्रत्याशियों पर ज्यादा मेहरबान रही है जनता, देवीलाल व हुड्डा के करीबियों को मिला टिकट

बरोदा हलका 1967 से 2005 तक आरक्षित रहा। जब तक हलका आरक्षित रहा यहां पर चौ. देवीलाल के परिवार का दबदबा रहा। 2005 में यह हलका ओपन हुआ और यहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का प्रभाव है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 07:52 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 07:52 PM (IST)
Baroda Bypoll 2020: बाहरी प्रत्याशियों पर ज्यादा मेहरबान रही है जनता, देवीलाल व हुड्डा के करीबियों को मिला टिकट
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह और देवी लाल की फाइल फोटो

गोहाना (सोनीपत) [परमजीत सिंह]। बरोदा हलका के विधानसभा चुनावों के इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो यहां बाहरी प्रत्याशियों का दबदबा रहा है। 53 साल में हलके में 13 बार विधानसभा चुनाव हुए और 9 बार बाहरी क्षेत्र के प्रत्याशी यहां से विधायक बने हैं। देवीलाल परिवार हों या पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बरोदा हलका के अपने ही दलों के स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज करके बाहरियों पर मेहरबानी दिखाई।

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देवीलाल परिवार के आशीर्वाद से हलके से बाहर के कई नेता विधायक बने। बरोदा के उपचुनाव में इस बार विभिन्न दल स्थानीय नेताओं पर मेहरबान होंगे या बाहरी को टिकट मिलेगा,16 अक्टूबर तक फैसला हो जाएगा।

53 साल में 13 बार हुए विधानसभा चुनाव

बरोदा हलका 1967 में अस्तित्व में आया था। 53 साल में यहां 13 बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं। 1968 के चुनाव में वीएचपी से श्यामचंद विधायक बने थे। श्याम चंद मूल रूप से गांव लाठ के रहने वाले थे, जो गोहाना विधानसभा क्षेत्र में आता है। 1972 के चुनाव में बरोदा से श्याम चंद को कांग्रेस ने मैदान में उतारा और विधायक बने। 1987 के चुनाव में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवीलाल ने एलकेडी की टिकट पर डॉ. कृपाराम पूनिया को मैदान में उतारा और वे विधायक बने। डॉ. पूनिया झज्जर के रहने वाले हैं।

चौ. देवीलाल ने 1991 के चुनाव में रमेश खटक को बरोदा से मैदान में उतारा और वे भी विधायक बने। 1996 के चुनाव में रमेश खटक को देवीलाल परिवार ने एसएपी की टिकट पर और 2000 के चुनाव में खटक को आइएनएलडी टिकट पर मैदान में उतारा और वे विधानसभा में पहुंचे। खटक लगातार तीन बार विधायक बने। खटक मूल रूप से गांव भठगांव के हैं जो इस समय गोहाना हलका में है।

श्रीकृष्ण हुड्डा भी थे बाहरी उम्मीदवार

रमेश खटक और डॉ. कृपाराम पूनिया अब बरोदा हलका में कभी-कभी ही नजर आते हैं। 2005 के चुनाव में रामफल आइएनएलडी से विधायक बने। रामफल गांव चिड़ाना के हैं जो बरोदा हलके में ही है। 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने श्रीकृष्ण हुड्डा को बरोदा से कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतारा और वे विधायक बनें। श्रीकृष्ण हुड्डा का गांव खिड़वाली है जो रोहतक जिले में है।

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16 अक्टूबर तक दाखिल होंगे नामांकन

बरोदा हलका 1967 से 2005 तक आरक्षित रहा। जब तक हलका आरक्षित रहा यहां पर चौ. देवीलाल के परिवार का दबदबा रहा। 2005 में यह हलका ओपन हुआ और यहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का प्रभाव है। बरोदा हलका से कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा का अप्रैल, 2020 में स्वर्गवास हो गया था और अब उपचुनाव हो रहा है। श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे जीता हुड्डा बरोदा की राजनीति में सक्रिय हैं और उनका गोहाना में कार्यालय भी है। हलके के 14 वें चुनाव में राजनीति दल बाहरियों पर मेहरबान होंगे या स्थानीय नेताओं को टिकट मिलेगी, इसका फैसला 16 अक्टूबर तक हो जाएगा। उपचुनाव में 16 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल होंगे।

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