Baroda By-Elections 2020: कांग्रेस के अन्य दावेदारों पर इस वजह से भारी पड़े इंदुराज नरवाल
बरोदा उपचुनाव में टिकट को लेकर सबसे अधिक माथापच्ची कांग्रेस को करनी पड़ी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले बरोदा सीट के लिए कांग्रेस के कई दावेदार थे। दूसरे दल के भी नेता कांग्रेस की टिकट के इच्छुक थे।
सोनीपत [संजय निधि]। तमाम अटकलों, उठा-पटक, कई दौर की बैठकों के बाद आखिरकार कांग्रेस ने पूर्व जिला पार्षद और अपने पुराने कार्यकर्ता इंदुराज नरवाल उर्फ भालू पर भरोसा जताया। इस एक तीर से कांग्रेस ने कई निशाने साधने का प्रयास किया है। पुराने कांग्रेसी नरवाल की छवि क्षेत्र में अच्छी है। शुरुआत से ही उनका परिवार कांग्रेसी रहा है और इस वजह से उनपर कोई बाहरी का ठप्पा नहीं लगा सकता। पुराने कार्यकर्ता को टिकट मिलने से दावेदार खुलकर विरोध नहीं सकेंगे। यही नहीं, सांसद दीपेंद्र के करीबी होने के कारण कोई इन्हें हुड्डा से अलग करके भी नहीं देख पाएगा।
बरोदा उपचुनाव में टिकट को लेकर सबसे अधिक माथापच्ची कांग्रेस को करनी पड़ी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले बरोदा सीट के लिए कांग्रेस के कई दावेदार थे। दूसरे दल के भी नेता कांग्रेस की टिकट के इच्छुक थे। हालांकि हुड्डा ने पहले पिछले वर्ष भाजपा में शामिल हुए डॉ. कपूर नरवाल का नाम आगे किया था। क्योंकि डॉ. कपूर को बरोदा का सबसे सशक्त प्रत्याशी माना जा रहा है। उनके नाम की घोषणा को लेकर लगभग सभी तैयारी भी हो चुकी थी, लेकिन इसकी भनक लगते ही क्षेत्र में काम करने वाले पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें पार्टी कैडर से बाहर का प्रत्याशी बताकर विरोध शुरू कर दिया। हुड्डा का विरोधी खेमा इसको लेकर ज्यादा सक्रिय हो गया। अंत तक सहमति नहीं बन पाने पर हुड्डा ने बीच का रास्ता निकाला और पुराने कांग्रेसी इंदुराज नरवाल का नाम आगे कर दिया।
इंदुराज पिछली बार भी टिकट मांग रहे थे। हुड्डा परिवार का नाता इंदुराज के परिवार के साथ काफी पुराना है। इंदुराज के पिता धूप सिंह नरवाल भूपेंद्र हुड्डा के काफी करीबी माने जाते थे। चौटाला सरकार में हुए कंडेला कांड के विरोध में भूपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश में पदयात्रा निकाली थी। इसमें धूप सिंह ने बढ़-चढ़कर उनका साथ दिया था और इसके बाद से दोनों और करीब आ गए थे। अब हुड्डा ने इंदुराज को टिकट देकर विरोध करने और टिकट अन्य दावेदारों को चुप करा दिया है। यही नहीं, डॉ. कपूर को बाहरी बताकर पाला बदलने की सोच रखने वालों को भी उन्होंने शांत करने का काम किया है।
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