Delhi Air pollution : नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अफसरों को अब दंडित करने का वक्त आ गया है
Air pollution matter in Delhi and NCR दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ने प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
नई दिल्ली, एएनआइ। Air pollution matter in Delhi and NCR: दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा करोड़ों लोगों के जीने-मरने का सवाल है। शर्म आनी चाहिए.. लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है। प्रदूषण की स्थिति पर बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को फटकार लगाई। कहा कि अफसरों को अब दंडित करने का वक्त आ गया है।
जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से अपने ऐसे सभी लघु और सीमांत किसानों को सात दिन के भीतर प्रति क्विंटल सौ रुपये देने के निर्देश दिए, जिन्होंने पराली नहीं जलाई है। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर सजा देना पर्याप्त नहीं है। किसानों को सहायता और विकल्प देने की जरूरत है। कोर्ट ने सरकारों को पराली की समस्या से निपटने के लिए मशीनें किराए पर लेकर किसानों को मुहैया कराने को भी कहा है। दिल्ली और तीनों राज्यों को तीन महीने के भीतर प्रदूषण से निपटने के लिए समग्र योजना तैयार करने का निर्देश भी दिया गया है। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा प्रदूषण पर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को तलब किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला भी दर्ज किया था।
कुछ कर नहीं सकते तो सत्ता में रहने का अधिकार नहीं
सरकारों के शिथिल रवैये पर कोर्ट ने कहा, आप इसके लिए तैयार क्यों नहीं थे? अगर राज्य सरकारें कुछ कर नहीं सकती हैं तो सत्ता में बने रहने का अधिकार भी नहीं है। प्रदूषण के कारण लोगों को कैंसर, अस्थमा और कई बीमारियां हो रही हैं। दुर्भाग्य की बात है कि उन्हें लाचार लोगों की परवाह नहीं है। आप बस इमारतों में बैठकर शासन करना चाहते हैं। क्या आप प्रदूषण के कारण लोगों को मरने के लिए छोड़ सकते हैं? क्या आप देश को 100 साल पीछे ले जाना चाहते हैं?’
सात दिन में नहीं सुधरे हालात तो आपके टॉप बॉस को बुला लेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के लिहाज के 13 हॉट स्पॉट चुने गए हैं। सात दिन में यदि इनके प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आई तो आपके टॉप बॉस को बुला लेंगे। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तीन महीने के भीतर सड़कों के सारे गड्ढे भरने के निर्देश दिए और मुख्य सचिव से कहा, ‘आप सड़क की धूल, तोड़-फोड़ और कचरे से निपट नहीं सकते तो कुर्सी पर क्यों बैठे हैं? दिल्ली की कॉलोनियों में गए हैं? वहां रोड तक नहीं है।’ दिल्ली सरकार पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘राज्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के लिए विश्व बैंक से मिलने वाले अनुदान का सरकार करती क्या है? इतना पैसा आता है, आखिर स्मार्ट सिटी का कॉन्सेप्ट कहां है?’ मुख्य सचिव ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सात दिन में प्रदूषण कम करेंगे।
केंद्र के तर्कों से कोर्ट असहमत
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल वेणुगोपाल के तर्कों से भी असहमति जताई और कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार कैसे कह सकती है कि कुछ नहीं किया जा सकता है। पराली को जलाना ही एक मात्र समाधान क्यों है? वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा था कि किसान पराली जलाने से रोकने के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। कोर्ट ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश को भी सख्त चेतावनी दी और कहा कि पराली बिल्कुल भी नहीं जलनी चाहिए।
पंजाब के मुख्य सचिव से कहा-अभी यहीं निलंबित कर देंगे
निर्देश के बाद भी पराली जलाने की घटनाएं नहीं रुकने के सवाल पर पंजाब के मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए कोई मैजिक नहीं है। वह किसानों को मशीनें दे रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा, ‘राजनीतिक भाषण मत दीजिए। आप राज्य के सबसे बड़े अधिकारी हैं और इस तरह की बात कर रहे हैं। लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है। यह आपकी विफलता है कि आप अपनी मशीनरी को संभाल नहीं पा रहे हैं। अभी तुरंत यहीं पर निलंबित कर देंगे।’