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कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक शुरू, AAP-कांग्रेस गठबंधन का हो सकता है ऐलान!

कांग्रेस महासचिव और दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको ने कहा था कि राहुल गांधी फैसला कर सकते हैं कि भाजपा को दिल्ली शिकस्त देने और रोकने के लिए AAP से गठबंधन होगा या नहीं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 08:46 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 11:35 AM (IST)
कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक शुरू, AAP-कांग्रेस गठबंधन का हो सकता है ऐलान!
कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक शुरू, AAP-कांग्रेस गठबंधन का हो सकता है ऐलान!

नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019:  लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP)) और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर तकरीबन एक महीने से जारी माथापच्ची अब फैसले पर पहुंच चुकी है। AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन के लिए सोमवार का दिन अहम है। 

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मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को कार्यसमिति की बैठक ले रहे हैं। इस बैठक में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) अध्यक्ष शीला और प्रभारी पीसी चाको, तीनों कार्यकारी अध्यक्षों और सभी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समेत दिल्ली के करीब कई नेताओं मौजूद हैैं। इसमें फैसला हो जाएगा कि AAP से कांग्रेस का गठबंधन होगा या नहीं। वहीं, सूत्रों के मुताबिक गठबंधन पर मुहर लगने के प्रबल आसार हैं और दोनों के बीच सीटों को लेकर 3-3-1 का ही रह सकता है। 

वहीं, इससे पहले कांग्रेस महासचिव और दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको ने कहा था कि राहुल गांधी फैसला कर सकते हैं कि भाजपा को दिल्ली शिकस्त देने और रोकने के लिए AAP से गठबंधन होगा या नहीं। पीसी चाको के मुताबिक, इस मुद्दे पर चर्चा के लिए वह हुल गांधी से सोमवार मिलेंगे और मीडिया को भी जानकारी मिल जाएगी कि कांग्रेस अकेले लड़ेगी या फिर AAP से गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी।

यहां पर बता दें कि भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव (2014) में 46.39 फीसद मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 15.2 फीसद और AAP को 33.1 फीसद मत हासिल हुए थे। यदि AAP व कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है और दोनों पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होती है तो निश्चित रूप से भाजपा की विजयी रथ की राह मुश्किल हो जाएगी। इस स्थिति से पार पाने के लिए भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाना होगा।

भाजपा नेताओं को लगता है कि वर्तमान सियासी हालात में मिशन 51 को पूरा करना मुमकिन है। उनका कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के साथ ही केजरीवाल के प्रति एक वर्ग का रुझान था। अब स्थिति बदल गई है। जनकल्याणकारी योजनाओं व उपलब्धियों और देशहित में किए गए काम से मोदी की लोकप्रियता बनी हुई है। दूसरी ओर, केजरीवाल सरकार प्रत्येक मोर्चे पर विफल रही है, जिससे उसका बड़ा वोट बैंक अब उससे दूर चला गया है।

वहीं गुलाम कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा विस्फोट के बाद पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक करने से मोदी सशक्त नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं। उनके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है जिसका लाभ भाजपा को होगा, इसलिए कार्यकर्ता मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए परिश्रम कर रहे हैं।


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