प्रोटेम स्पीकर संतोष गंगवार सभी लोकसभा सदस्यों को दिलाएंगे शपथ
संतोष गंगवार आठवीं बार बरेली से सांसद बने हैं। संतोष गंगवार आज नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के शपथ ग्रहण के बाद सभी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे।
लखनऊ, जेएनएन। देश के सबसे अनुभवी सांसद संतोष गंगवार को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। बरेली से सांसद संतोष गंगवार आठवीं बार लोकसभा में पहुंचे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे संतोष गंगवार ने पहला लोकसभा चुनाव 1989 में जीता था।
17वीं लोकसभा के सदस्यों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी वरिष्ठतम सांसद संतोष गंगवार को सौंपी गई है। भाजपा सांसद संतोष गंगवार 17वीं लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। संतोष गंगवार आठवीं बार बरेली से सांसद बने हैं। संतोष गंगवार आज नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के शपथ ग्रहण के बाद सभी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे।17वीं लोकसभा के चुनाव में संतोष गंगवार ने गठबंधन प्रत्याशी समाजवादी पार्टी (सपा) के भगवत शरण गंगवार को 1,67,282 वोटों से पराजित किया।
1989 में पहली बार जीते संतोष
संतोष गंगवार ने 1989 में लोकसभा चुनाव में भाजपा से पहली जीत हासिल की और इसके बाद उन्होंने बरेली को अपना गढ़ बना लिया। वह 1989 से लेकर 2004 तक लगातार छह बार बरेली से चुनाव जीते। 2009 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2014 के चुनाव में एक बार फिर बड़े अंतर से वह जीत कर लौटे और केंद्र में मंत्री बने।
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कौन है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ होता है- 'कुछ समय के लिएÓ। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक लोकसभा या विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती। प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलवाता है और शपथ ग्रहण का पूरा कार्यक्रम इन्हीं की देखरेख में होता है। सदन में जब तक सांसद शपथ नहीं ले लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता। सबसे पहले सांसद को शपथ दिलाई जाती है। जब सांसदों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद यह सभी लोकसभा स्पीकर का चुनाव करते हैं। संसदीय परंपरा के मुताबिक राष्ट्रपति सदन में वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं। यही व्यवस्था लोकसभा के अलावा विधानसभा के लिए होती है। अभी तक सामान्यत: सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
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