विधायक राधा मोहन ने विधान सभा में उठाया बाहरी वार्डों के पिछड़ेपन का मुद्दा Gorakhpur News
भाजपा विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में नियम-51 के तहत गोरखपुर नगर निगम के बहाने प्रदेश की सभी नगर निगमों के विभिन्न बाहरी वार्डों के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाया।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर के विधायक (नगर) डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में नियम-51 के तहत गोरखपुर नगर निगम के बहाने प्रदेश की सभी नगर निगमों के विभिन्न बाहरी वार्डों के पिछड़ेपन का विषय उठाते हुये अवसंरचना एवं जनसांख्यिकी इन्डेक्स तैयार कराकर उसके आधार पर अलग-अलग वार्डों में विकास की आवश्यकता के अनुरूप धन के संवितरण की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने विषय की गंभीरता को स्वीकार करते सरकार को जवाब देने के लिए निर्देशित किया है।
बाहरी वार्डों का नहीं हो रहा समुचित विकास
नगर विधायक ने कहा कि गोरखपुर में 70 वार्ड हैं। शहर के बीचो-बीच के 30-35 पुराने वार्डों में बहुत दिनों से सडके, नालियां बनती रही हैं लेकिन नये जुड़े मोहरीपुर, बरगदवा, विकास नगर, मानवेला से लेकर शिवपुर साहबाजगंज, बिछिया, झरनाटोला होते हुए भक्ता तक के 35-40 वार्ड बहुत पिछडे हैं। यह दुखद स्थिति है कि नगर निगम बोर्ड फंड, अवस्थापना निधि, राज्य तथा केंद्र के वित्त आयोग की निधियों के धन का विभिन्न वार्डों में वितरण करते समय पिछड़े हुए वार्डों को अधिक धन देने की जगह सभी वार्डों को समान रूप से धन आंबटित कर देती है। बनी हुईं सडकें तोड़-तोड़कर बार-बार बनाई जाती हैं और बहुत पिछड़े वार्डों को उनके भाग्य पर रोने के लिये छोड़ दिया जाता है।
बाहरी वार्डों को अधिक धन मिले
नगर विधायक ने कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के विपरीत है। नगर निगमों को अपने विभिन्न वार्डों का सर्वेक्षण कराकर उनकी जनसंख्या- क्षेत्रफल-सडकों-नाले-नालियों आदि आवश्यकताओं का मूल्यांकन कराकर अवसंरचना एवं जनसांख्यिकी इन्डेक्स तैयार कराना चाहिए और कम इन्डेक्स वाले वार्डों को अधिक धन आवंटित करना चाहिए। बहुत से दूसरे प्रान्तों के नगर निगमों में यह व्यवस्था लागू है। नगर विधायक ने कहा कि प्रदेश में उत्तर प्रदेश नगर निगम (कक्ष समिति) नियमावली-2014 लागू है। अधिनियम की धारा-3 झ के तहत वार्ड समितियों को अधिकार दिया गया है कि वे अवसंरचना इन्डेक्स के पिछड़ेपन के आधार पर समानुपातिक धन प्राप्त करें। लेकिन नगर निगमो द्वारा वार्ड समितियों का प्रभावी गठन न किये जाने के कारण ऐसा संभव नहीं हो रहा है।
अलग से धन की हो व्यवस्था
नगर विधायक ने कहा कि भारत सरकार का नीति आयोग भी जब विभिन्न राज्यों को धन आबंटित करता है तो जनसंख्या, क्षेत्रफल, आर्थिक पिछड़ेपन को आधार बनाकर समानुपातिक धन देता है। इसके अतिरिक्त 150 अति पिछड़े जिलों को ऐस्पीरेशनल डिस्ट्रिक्ट घोषित करके विशेष धनावंटन करता है। यदि नगर निगमों का समतुल्य विकास करना है तो यह अवसंरचना एवं जनसांख्यिकी इन्डेक्स आधारित धन संवितरण किया जाये।