Move to Jagran APP

अखिलेश पड़े नरम, बसपा प्रमुख को दी जन्मदिन की बधाई ; मायावती ने दिखाए तेवर

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के प्रति नरम पड़ गए हैं। अखिलेश यादव ने बुधवार को मायावती के 64वें जन्मदिन पर उनको ट्वीट कर बधाई दी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 02:08 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 03:19 PM (IST)
अखिलेश पड़े नरम, बसपा प्रमुख को दी जन्मदिन की बधाई ; मायावती ने दिखाए तेवर
अखिलेश पड़े नरम, बसपा प्रमुख को दी जन्मदिन की बधाई ; मायावती ने दिखाए तेवर

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन के दौरान बेहद करीब रहे बसपा प्रमुख मायावती तथा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तल्खी चुनाव परिणाम आने के बाद बढ़ी और गठबंधन टूट गया। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के प्रति नरम पड़ गए हैं। अखिलेश यादव ने बुधवार को मायावती के 64वें जन्मदिन पर उनको ट्वीट कर बधाई दी लेकिन रिटर्न गिफ्ट के तौर पर कुछ नहीं मिला। इतना ही नहीं बहनजी की ओर से बधाई पर धन्यवाद कहना भी उचित नहीं समझा गया। यानी अबकी माहौल एक वर्ष पहले जैसा न था। समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हेंडल पर लिखा है, ‘‘बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई!’’ अखिलेश यादव ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हेंडल से मायावदी को जन्मदिन की बधाई देने के लिए यही संदेश लिखा है।

loksabha election banner

पिछले वर्ष जब सपा-बसपा के बीच दोस्ताना रिश्ते थे तब मायावती को जन्मदिन की बधाई देने के लिए अखिलेश कश्मीरी शॉल लेकर उनके पास पहुंचे थे। तब बसपा प्रमुख ने न केवल बधाई स्वीकार की थी वरन रिटर्न गिफ्ट के तौर पर डिंपल यादव को पुष्प गुच्छ व उपहार दिए थे। उल्लेखनीय है कि अखिलेश की पत्नी डिंपल का जन्मदिन भी 15 जनवरी है। अखिलेश की ओर से बधाई ट्वीट का जवाब देना भी मायावती ने उचित न समझा।

सपा के प्रति बसपा प्रमुख की बेरुखी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि पत्रकारों द्वारा अखिलेश यादव से जुड़े सवाल पूछे जाने पर उन्होंने तल्खी भरे जवाब दिए। जन्मदिन पर पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जब मायावती से पूछा गया कि आप समाजवादी पार्टी को लेकर कुछ नहीं बोल रही हैं। बसपा प्रमुख का जवाब तंज भरा था। उन्होंने कहा कि अभी राष्ट्रीय मुद्दों व दलों पर ही बात होगी। प्रदेश स्तर पर बोलने को बहुत वक्त चाहिए। बात घुमाते हुए उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया।

बसपा प्रमुख ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर अखिलेश यादव के आह्वान को खारिज किया। जब उनसे पूछा गया कि एनआरसी फार्म का आप भरेगी या नहीं तो मायावती ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अभी ऐसा कुछ भी लागू नहीं हुआ। जब ऐसा होगा तब ही देखा जाएगा लेकिन आप मुझे उससे क्यूं जोड़ते हो? इतना कह मायावती प्रेस कांफ्रेंस से चली गयी।

प्रदेश की राजनीति में कभी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक दूसरे का कट्टर विरोधी समझा जाता था। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए अखिलेश यादव और मायावती ने हाथ मिलाया और मिलकर चुनाव लड़ा था, राज्य की 80 सीटों में से 38 पर बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे जबकि समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर प्रत्याशी दिए, बाकी 5 में से 3 सीटें राष्ट्रीय लोकदल को छोड़ी गई और 2 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई। दोनों के एक साथ चुनाव लड़ने के बावजूद वे राज्य में भारतीय जनता पार्टी को टक्कर नहीं दे पाए। समाजवादी पार्टी की सिर्फ 5 सीटों पर जीत हुई और बहुजन समाज पार्टी के 11 सांसद जीते। चुनाव में उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने के बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी और उसके बाद राज्य में हुए उप चुनावों में दोनो पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.