मायावती की आरएसएस प्रमुख को सलाह, कहा- लोगों को हिंदू के बजाए भारतीय मानने से होगा देश का भला
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि भाजपा सरकारों की जातिवादी और सांप्रदायिक सोच के कारण ही आम लोगों का जीवन बीते कुछ सालों से काफी कष्ट से बीता है।
लखनऊ, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती का पलटवार करते हुए कहा कि देश की लगभग 130 करोड़ आम जनता को 'हिंदू' मानकर चलने के बजाए उन्हें सही व सांविधानिक आधार पर 'भारतीय' मानने से ही देश का भला हो सकता है।उन्होंने कहा कि कुछ दल जो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए राजनीति कर रहे हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। देश में शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए। नव वर्ष पर लोगों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि केंद्र व यूपी की सरकारों से बेहतरी की उम्मीद के बजाए खुद की मेहनत से भविष्य उज्ज्वल बनाने का विशेषकर युवाओं का संकल्प लेना सराहनीय है।
मायावती ने कहा कि भाजपा सरकारों की जातिवादी और सांप्रदायिक सोच के कारण ही आम लोगों का जीवन बीते कुछ सालों से काफी कष्ट से बीता है। इसलिए लोग सरकार से उम्मीद छोड़कर खुद ही देश की भलाई के लिए आगे आ रहे हैं। यही कारण है कि देश की लोकतांत्रिक संरचना में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को असंविधानिक मानकर इसके खिलाफ जिस प्रकार से आम लोग खासकर शिक्षित और बेरोजगार युवा शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतरा उससे केंद्र व राज्य सरकारों की नींद उड़ गई है। इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश में खासकर भाजपा शासित राज्यों में ही हिंसा फैली।
मायावती ने कहा कि अब सीएए, एनआरसी और एनपीआर के जरिये पूरे देश में असम जैसी आशंति फैलाने की साजिश रची जा रही है, ताकि संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति की जा सके। मायावती ने उम्मीद जताई कि बेरोजगारी, गरीबी, नोटबंदी, जीएसटी और महंगाई से परेशान जानता वर्ष 2020 में खुद ही रास्ता निकाल लेगी और निश्चत ही आने वाला साल पिछले से बेहतर होगा।
बता दें कि मोहन भागवत ने कहा था कि जब आरएसएस किसी को हिंदू कहता है तो उसका मतलब होता है कि जो लोग भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं और इससे प्रेम करते हैं। भारत माता का बेटा भले ही वह किसी भी भाषा में संवाद करता हो, वह जिस किसी भी धर्म को मानता हो, वह पूजा-प्रार्थना के किसी तरीके का पालन करता हो या नहीं, वह एक हिंदू है, इसलिए संघ के लिए भारत के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू समुदाय के हैं। आरएसएस हर किसी को अपना मानता है और हर किसी का विकास चाहता है।