Rajasthan Politics: आदिवासी क्षेत्र में बीटीपी की गतिविधियों से नाखुश कांग्रेस और भाजपा के नेता
आदिवासी क्षेत्र में बीटीपी की गतिविधियों से नाखुश कांग्रेस और भाजपा के नेता सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के प्रयासों का आरोप
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के आदिवासी इलाके में सक्रिय भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) की गतिविधियों से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के नेता नाखुश है। कांग्रेस नेताओं की पीड़ा यह है कि बीटीपी के दो विधायक अशोक गहलोत सरकार को समर्थन कर रहे हैं, लेकिन आदिवासी इलाकों में वे पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बीटीपी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा रही है।
गहलोत सरकार को समर्थन देने के बदले बीटीपी के दो विधायक अपनी मन-मर्जी के विकास कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में करा रहे हैं । इसका असर यह हो रहा है कि आदिवासी कांग्रेस नेताओं के बजाय बीटीपी के विधायकों को अपना अधिक हितैषी मानने लगे हैं। बीटीपी आदिवासियों के बीच लगातार कांग्रेस को कमजोर कर खुद की जड़े मजबूत कर रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के नेताओं को बीटीपी की गतिविधियों को लेकर भी आपत्ति है। बीटीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा धार्मिक स्थलों अपनी पार्टी के झंडे लगाना व साधु-संतों के साथ मारपीट की घटनाएं लगातार अंजाम दिया जा रहा है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं का आरोप है कि बीटीपी के कार्यकर्ता सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने में जुटे हैं।
कटारिया का पुलिस महानिदेशक को पत्र
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर उदयपुर सम्भाग में बीटीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर की जा रही समाज विरोधी गतिविधियों से अवगत कराया। पत्र में लिखा गया है कि क्षेत्र के जनजातीय समाज के संतों-महंतों ने बीटीपी पर वैधानिक कार्रवाई की मांग करते हुए जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है।
उन्होंने संतों की ओर से दिए गए ज्ञापन के माध्यम से बताया कि बीटीपी समर्थक लगातार दक्षिण राजस्थान में जनजातीय संस्कृति को नुकसान पहुंचाकर समाज में वैमनस्य पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यमों से अनर्गल संदेश प्रसारित कर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की भी कोशिश कर रहे हैं।
आरोप के मुताबिक बीटीपी समर्थकों ने क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में पताके को हटाकर अराजकता फैलाने वाले नारे लगाए। उदयपुर जिले के सलूंबर स्थित सोनार माता मंदिर में धर्म ध्वजा को हटाकर बीटीपी का झंडा लगाया गया। पुजारी व भक्तों के साथ मारपीट की गई।
बीटीपी का विरोध करने वालों को धमकियां दी जा रही है। बीटीपी की इन गतिविधियों से समस्त जनजाति समाज गुस्से में है, जिससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा है। कटारिया ने पुलिस महानिदेशक से आग्रह किया कि समय रहते ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करें। समय रहते इन गतिविधियों पर रोक लगानी जरूरी है।
कांग्रेस के आदिवासी नेता दुविधा में
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रघुवीर मीणा, पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा, पूर्व मंत्री दयाराम परमार व मांगीलाल गरासिया जैसे आदिवासी नेताओं की दुविधा यह है कि बीटीपी के दो विधायक रामप्रसाद व राजकुमार रोत अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। ऐसे में इनकी मर्जी से आदिवासी इलाकों में काम कराए जा रहे हैं।
वहीं कांग्रेस के नेताओं की सिफारिश को सरकार में अधिक महतव नहीं मिल पा रहा। कांग्रेस के आदिवासी नेताओं की पीड़ा है कि बीटीपी पार्टी के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा रही है,वहीं सरकार चलाने के लिए दोनों विधायकों का समर्थन लिया जा रहा है।