लालू जेल में मनाएंगे नया साल, कपिल सिब्बल की दलीलें भी नहीं दिला पाईं राहत
Lalu Prasad Yadav. झारखंड हाई कोर्ट में राजद सुप्रीमो ने अपनी गंभीर बीमारियों का हवाला देते हुए चारा घोटाले के तीन मामलों में जमानत याचिका दाखिल की है।
रांची, राज्य ब्यूरो। चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता और फिलवक्त रांची के रिम्स में अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे पूर्व रेल मंत्री सह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का नया साल भी जेल में ही मनेगा। उनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई। सीबीआइ को ओर से उनकी जमानत याचिका पर बहस के लिए उच्च न्यायालय से समय लिया गया है। अब 4 जनवरी को लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। मकर संक्रांति, होली, दशहरा, दीवाली और छठ पर्व पर भी लालू जेल में ही थे।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की तरफ से चारा घोटाला मामले में दायर याचिका पर सुनवाई 4 जनवरी तक टाले जाने को लेकर सीबीआइ के वकील राजीव सिन्हा ने मेरिट के आधार पर बहस के लिए अदालत से समय की मांग की। उन्हाेंने कोर्ट से कहा कि पिछली सुनवाई पर वे जब बहस की तैयारी में थे तब लालू के वकील बहस से पीछे हट गए और इस बार सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील कपिल सिब्बल को आगे कर वे जमानत लेने की तैयारी में थे। सुनवाई पर बहस के लिए उन्हें लालू के वकील की ओर से एक सप्ताह पहले सूचित किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसलिए हाई कोर्ट से सीबीआइ ने समय की मांग की है।
बता दें कि लालू प्रसाद यादव ने अपनी बढ़ती उम्र (71 वर्ष) और करीब 11 तरह की गंभीर बीमारियों का हवाला देकर हाई कोर्ट से जमानत मांगी थी। उन्होंने चारा घोटाले से जुड़े देवघर, चाईबासा और दुमका मामले में जमानत याचिका दाखिल की है। इधर चारा घोटाले के इन तीन मामलों में लालू काे राहत दिलाने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के बड़े नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत में सीबीआइ ने बहस के लिए समय की मांग की है। इसमें टाइम की क्या जरूरत है। यह बहुत पुराना मैटर है, इसमें सीबीआइ को बहस करनी चाहिए थी। कपिल सिब्बल ने कहा कि लालू प्रसाद यादव को उनकी बीमारी को देखते हुए अदालत को जमानत दे देेना चाहिए।
बता दें कि परिवार में मचे उथल-पुथल से चिंतित चारा घोटाला में सजायाफ्ता राजद प्रमुख लालू प्रसाद की जमानत की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी लेकिन सीबीआइ के आग्रह को स्वीकार करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तिथि तय कर दी क्योंकि लालू प्रसाद की ओर से सीबीआइ के वकील को कोई नोटिस नहीं दिया गया था। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि चार जनवरी निर्धारित की है। लालू प्रसाद की ओर से पक्ष रखने हाई कोर्ट पहुंचे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम इस मामले में बहस करने को तैयार थे, लेकिन सीबीआइ ही बहस करने को तैयार नहीं हुई। इस कारण कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि दी है।
सुनवाई टलने पर हुई बयानबाजी : जमानत पर सुनवाई टलने पर कपिल सिब्बल ने तंज कसते हुए कहा कि सीबीआइ इतने सालों से तैयार हो रही है, लेकिन तैयारी के लिए अभी भी समय मांग रही है। हम उम्मीद करते हैं कि चार जनवरी को सीबीआइ तैयार होकर कोर्ट में पक्ष रखेगी। अधिवक्ता कपिल सिब्बल के बयान पर सीबीआइ के अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने कहा कि हाई कोर्ट में चारा घोटाले से संबंधित कई मामलों की सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने भी माना है कि मेरिट पर सुनवाई से एक सप्ताह पहले सीबीआइ कार्यालय को सूचित करना होगा ताकि सीबीआइ तैयारी कर सके।
लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला था। जब याचिका दाखिल हुई थी और पिछले सप्ताह सुनवाई के लिए मामला सूचीबद्ध था तो उनकी ओर से इस मामले में बहस करने के बारे में पूछा गया था, लेकिन लालू प्रसार की ओर से उस दिन बहस करने से इन्कार किया गया था। इस सप्ताह मामला फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया, लेकिन लालू प्रसाद के अधिवक्ता की ओर से इसकी कोई सूचना नहीं दी गई।
इसके बाद वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल का यह कहना कि सीबीआइ बहस के लिए तैयार नहीं है, यह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि यह कोर्ट की परंपरा है कि बहस से पहले उन्हें सूचित करना होगा। शायद वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल को नहीं पता होगा। लालू प्रसाद के ऑन रिकॉर्ड अधिवक्ता को इसकी जानकारी है। सिर्फ लालू प्रसाद के ही मामले में ऐसा नहीं है, यह चारा घोटाला के सभी मामलों में लागू होता है। लालू प्रसाद का मामला राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मामला है, इसलिए सीबीआइ हमेशा बहस करने के लिए तैयार रहती है।
तीन मामलों में दाखिल है जमानत : लालू ने चारा घोटाले के दुमका, चाईबासा और देवघर मामले में अदालत से नियमित जमानत देने का आग्रह किया है। तीनों मामलों में निचली अदालत ने लालू प्रसाद को सजा सुनाई है। याचिका में बढ़ती उम्र व की तरह की बीमारियों का हवाला दिया गया है। इसके अलावे उन्होंने जन प्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए भी चुनाव में पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटन करने के लिए भी जमानत देने का आग्रह किया है।