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Bihar Assembly Elections : जानिए कैसे, मोदी लहर ने 1967 में सुगौली में रोक दिया था कांग्रेस का विजयी रथ

Bihar Assembly Elections 2020 वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव में मोहन लाल मोदी को मिले थे 12 656 वोट। दूसरे नंबर पर रही संघटा सोशलिस्ट पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी कांग्रेस।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 09:58 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:58 AM (IST)
Bihar Assembly Elections : जानिए कैसे, मोदी लहर ने 1967 में सुगौली में रोक दिया था कांग्रेस का विजयी रथ
Bihar Assembly Elections : जानिए कैसे, मोदी लहर ने 1967 में सुगौली में रोक दिया था कांग्रेस का विजयी रथ

मुजफ्फरपुर, [ अजय पांडेय ] । नेपाल की सीमा से सटा सुगौली। वर्ष 1816 की संधि से यहां का भूगोल बदला तो 1857 की क्रांति से इतिहास। आजादी के बाद यह धरती कांग्रेस और कम्युनिस्टों का गढ़ रही। वो दौर था, जब बिहार की सियासत में कांग्रेस का प्रभुत्व था। शख्सियत और विचारधारा, दोनों केंद्रित थी, तब वर्ष 1967 में सुगौली में मोदी लहर चल पड़ी थी। लगातार दो बार से अविजित कांग्रेस के विजय रथ को भारतीय जनसंघ के मोहन लाल मोदी ने रोक दिया। वह पहले से तीसरे नंबर पर पहुंच गई। संघटा सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के उम्मीदवार ए हफीज दूसरे नंबर पर रहे। इस दौर में मोहन लाल जनसंघ नेता के रूप में चंपारण की राजनीति के केंद्र में आ चुके थे।

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कांग्रेस के लिए भारी पड़ गई थी एसएसपी की वोट शेयरिंग

वर्ष 1967 के चुनाव में एसएसपी ने कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इलाके का एक बड़ा समाजवादी वर्ग उसकी ओर रुख कर गया। हालांकि, तब राजनीतिक वोट बैंक जैसी कोई परिपाटी नहीं हुआ करती थी, पर विचारधारा अहम पहलू थी। इसी का फायदा उसे मिला। एसएसपी की वोट शेयरिंग उसके लिए भारी पड़ गई और जनसंघ प्रत्याशी मोहन लाल मोदी 12,656 वोट के साथ जीत गए। हालांकि, वे जीत का क्रम बरकरार नहीं रख पाए। वर्ष 1969 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की। बद्री नारायण झा ने एसएसपी के अजीजुल हक को 1871 वोट से परास्त कर दिया। उस साल मोहन लाल तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे।

1985 के बाद कभी नहीं जीती कांग्रेस

वर्ष 1972 के चुनाव में मोहन लाल ने फिर वापसी की, लेकिन यह जीत में तब्दील न हो सकी। इस चुनाव में वे मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे और अजीजुल हक जीत गए। कांग्रेस के राजाजी झा चौथे स्थान पर खिसक गए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) के रामाश्रय सिंह तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद के दो चुनावों 1977 और 1980 में कम्युनिस्ट पार्टी का वर्चस्व रहा। रामाश्रय सिंह लगातार दो टर्म विधायक चुने गए। वर्ष 1985 में कांग्रेस की जरूर वापसी हुई। सुरेश कुमार मिश्रा विधायक चुने गए, लेकिन अगले साल फिर सीपीआइ की जीत हुई। इसके बाद कांग्रेस की कभी जीत नहीं हुई।  


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