Kashmir Situation: जम्मू कश्मीर में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी और इंतजार
Lokayukta in Jammu Kashmir राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। कमेटी ने रिपोर्ट जमा करने के लिए प्रशासन से कुछ और समय मांगा
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। इस सिलसिले में गठित कमेटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जमा करने के लिए प्रशासन से अपने कार्यकाल में कुछ और समय बढ़ाने का आग्रह किया है। कमेटी को 13 दिसंबर 2019 तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी।
पहली जनवरी 2014 को राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही लोकायुक्त अधिनियम पूरे देश में लागू किया गया था। जम्मू कश्मीर में यह कानून लागू नहीं हो पाया था क्योंकि उस समय राज्य का अपना संविधान था। सर्वाेच्च न्यायालय ने 23 मार्च 2018 को जम्मू कश्मीर समेत 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी लोकायुक्त की नियुक्ति न करने का कारण पूछा था।
जम्मू कश्मीर सरकार ने 10 जुलाई 2018 को सर्वाेच्च न्यायालय को बताया था कि जम्मू कश्मीर राज्य में राज्य सतर्कता आयोग अधिनियम 2011 है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में एक एहतिसाब आयोग भी है जो लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम के बराबर ही प्रभावी है। एहतिसाब आयोग का गठन जम्मू कश्मीर अकाउंटबिलिटी कमीशन एक्ट 2002 के तहत किया गया था।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के प्रभावी होने के साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य संविधान समाप्त हो गया। इसके बाद केंद्र शाासित जम्मू कश्मीर राज्य में केंद्रीय कानूनों को लागू करने के संदर्भ में जस्टिस (सेवानिवृत्त) एमके हंजूरा की अध्यक्षता में गठित लॉ कमीशन ने मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम को सौंपी अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के पीछे मुख्य मकसद हमारे समाज को कैंसर की तरह खा रहे भ्रष्टाचार को मिटाना है। भ्रष्टाचार के राक्षस को समाप्त करने के लिए केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य में लोकायुक्त हो।
लॉ कमीशन की रिपोर्ट और विभिन्न हलकों में उठ रही मांग का संज्ञान लेते हुए उप राज्यपाल जीसी मुर्मू ने 27 नवंबर को आदेश जारी कर राज्य में लोकायुक्त की स्थापना की संभावना के लिए कमेटी गठित की थी। कानून विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित इस पांच सदस्यीय समिति में निदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, अतिरिक्त सचिव महाप्रशासनिक विभाग के अलावा कानून, न्यााय एवं संसदीय मामले विभाग के दो अधिकारियों को शामिल किया गया है।
समय विस्तार के लिए यह दिए तर्कसमय विस्तार की मांग करते हुए कमेटी ने लिखा है कि जम्मू कश्मीर में लोकायुक्त अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने से पूर्व उन पर कानूनविदों की राय लिया जाना जरूरी है। संबंधित अधिनियम के अध्ययन के दौरान पाया गया है कि किसी विभाग विशेष के अधिकारी अन्य विभागों के अधिकारियों के खिलाफ जांच नहीं कर सकते, जबकि कुछ प्रावधान इसकी अनुमति देते हैं। इसके अलावा यह भी देखना है कि क्या लोकायुक्त की संस्था को पूरी तरह बहाल किए जाने तक अन्य विभागों के अधिकारी जांच कर सकते हैं या नहीं।
सदस्यों की संख्या पर भी लेनी है राय
लोकायुक्त को जम्मू कश्मीर में पूरी तरह प्रभावी बनाने के लिए कमेटी लोकायुक्त की संस्था में सदस्यों की संख्या को लेकर विशेषज्ञों की राय लेना चाहती है। साथ ही वह यह भी स्पष्ट करना चाहती है कि क्या सभी सदस्यों का न्यायिक पृष्ठभूमि का होना आवश्यक है या नहीं। जस्टिस (सेवानिवृत्त) एमके हंजूरा ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि लोकायुक्त में एक अध्यक्ष व चार अन्य सदस्य हों। अध्यक्ष पद पर उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस रह चुके या किसी पूर्व जज को ही नियुक्त किया जाए। सदस्यों में दो सदस्यों का न्यायिक सेवा से संबंधित होना जरूरी है।