हरियाणा के इन नेताओं का भी राजनीतिक भविष्य तय करेगा कर्नाटक चुनाव
यदि कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनती है तो सुरक्षित दुर्ग की तालश कर रहे ज्यादातर नेता भाजपा की ओर रुख कर जाएंगे और यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो ये कांग्रेस में चले जाएंगे।
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। कर्नाटक चुनाव के नतीजे बेशक भाजपा और कांग्रेस के लिए काफी अहम हैं, मगर हरियाणा के करीब एक दर्जन नेताओं की नजर भी इन चुनावों पर है। असल में अपनी राजनीति के लिए सुरक्षित दुर्ग की तलाश कर रहे इन नेताओं का मानना है कि हरियाणा की राजनीति में कर्नाटक चुनाव परिणाम का सीधा असर होगा। यदि कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनती है तो सुरक्षित दुर्ग की तालश कर रहे ज्यादातर नेता भाजपा की ओर रुख कर जाएंगे और यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो ये कांग्रेस में चले जाएंगे।
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री विनोद शर्मा, निर्दलीय विधायक एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जयप्रकाश, पूर्व सांसद डॉ.अरविंद शर्मा, राज्य सरकार के पूर्व मंत्री करतार भड़ाना, गोपाल कांडा, जगदीश यादव, सुखबीर कटारिया और राज्य के मौजूदा पांच निर्दलीय विधायक अपने लिए 2019 में सुरक्षित राजनीतिक दुर्ग चाहते हैं। ये नेता दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं से नियमित रूप से मिलते रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इन नेताओं को शीघ्र अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश भी दिया हुआ है मगर ये नेता कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद ही अपना रुख बताएंगे।
राज्य में ब्राह्मण राजनीति के चेहरे हैं विनोद शर्मा। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री विनोद शर्मा का नाम उन दिग्गज नेताओं में आता है जिन्होंने 2005 में कांग्रेस की जीत के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनवाने में सार्थक पहल की थी मगर बाद में शर्मा ने हुड्डा का साथ छोड़ दिया था। ब्राह्मण राजनीति के दिग्गज नेता विनोद शर्मा और सोनीपत व करनाल से सांसद रहे डॉ.अरविंद शर्मा कर्नाटक चुनाव के बाद अपने राजनीतिक पत्ते खोलेंगे। 2014 विधानसभा चुनाव में बसपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी रहे डॉ.अरविंद शर्मा ने फिलहाल इनेलो-बसपा गठबंधन से दूरी बनाई हुई है मगर वे भाजपा और कांग्रेस के बारे में सकारात्मक बोल रहे हैं।
राज्य में कोई राजनीतिक गुल अवश्य खिलाएगी भड़ाना बंधुओं की राजनीति
गुर्जर मतदाताओं पर प्रभाव रखने वाले फरीदाबाद के पूर्व सांसद एवं उत्तर प्रदेश से भाजपा के मौजूदा विधायक अवतार भड़ाना और उनके बड़े भाई एवं राज्य सरकार के पूर्व मंत्री करतार भड़ाना भी राज्य की राजनीति में कोई न कोई खुल अवश्य खिलाएंगे। अवतार भड़ाना उत्तर प्रदेश के विधायक होने के बावजूद फरीदाबाद में सक्रिय हैं और खुलकर अपने समर्थकों से फरीदाबाद लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कहलवा रहे हैं। इसके साथ ही उनके बड़े भाई कई दल बदलने के बाद अब कांग्रेस की ओर रुख कर रहे हैं। पिछले छह माह में करतार ने कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा सहित कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला से संपर्क बनाया हुआ है।
चार साल से तटस्थ रहे जयप्रकाश की भी रहेगी अहम भूमिका
2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पूर्व हिसार जिला के प्रमुख दिग्गज नेता एवं निर्दलीय विधायक जयप्रकश की भी भूमिका राज्य की राजनीति में काफी अहम रहेगी। जयप्रकाश पिछले चार साल से तटस्थ भूमिका में हैं और उनके संबंध भाजपा व कांग्रेस के नेताओं से मधुर बने हुए हैं। कांग्रेस में वे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को काफी पसंद करते हैं मगर चुनाव पूर्व वे भाजपा व कांग्रेस में से उसी दल को चुनेंगे जो राज्य में सरकार बनाने की कूबत रखता हो।
2014 में भी कांग्रेस नेताओं ने किया था सुरक्षित दुर्ग में प्रवेश
मोदी लहर को भांपते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मौजूदा केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह, भिवानी से सांसद धर्मवीर सिंह जैसे प्रमुख नेताओं ने कांग्रेस को तिलांजलि देते हुए भाजपा के सुरक्षित दुर्ग में प्रवेश किया था। राव इंद्रजीत सिंह चुनाव से ठीक एक साल पहले अपने रंग में रंगे नजर आते हैं। इस बार भी उनके तेवर कुछ इसी तरह के हैं। उन्होंने अहीरवाल में अपनी रैली में कुछ ऐसे सवाल उठाए हैं जिनसे सभी दल असहज हैं। भिवानी से मौजूदा भाजपा सांसद धर्मवीर सिंह ने यह घोषणा तो की हुई है कि वे अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की बजाए तोशाम से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। बेशक वे खुलेतौर पर भाजपा प्रदेश स्तरीय नेतृत्व पर कुछ नहीं बाेलते हैं मगर उनका अप्रत्यक्ष निशाना प्रदेश नेतृत्व पर ही रहता है।
ऐसे नेताओं को भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने बताया मौसम वैज्ञानिक
हाल ही में अहीरवाल की रैली में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बयान पर कटाक्ष करते हुए कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने उन्हें मौसम वैज्ञानिक बताया। उन्होंने कि है राव इंद्रजीत को तो चुनाव से पहले ही कर्नाटक चुनाव के परिणामों की जानकारी है। राव इंद्रजीत चुनाव से ठीक पहले उसी दल में होंगे जिसमें जीत की संभावनाएं होंगी।