Bihar Lok Sabha Election Results: बेगूसराय में हार गए कन्हैया, मिनी मास्को में वामपंथ को मिली शिकस्त
Bihar Lok Sabha Election Results बिहार का बेगूसराय कभी मिनी मास्को कहा जाता था। वहां वामपंथ को कन्हैया में उम्मीद दिखी। लेकिन वे बीजेपी के गिरिराज के समाने नहीं टिक सके।
पटना [जेएनएन]। बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट पर पूरे चुनाव देश भर की नजरें लगीं रहीं। इस हॉट सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के फायरब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar)को शिकस्त दी। मिनी मास्को कहे जाने वाले बेगूसराय में एक चरम राष्ट्रवादी की चरम साम्यवादी पर बड़ी जीत है।
कभी मिनी मास्को रहे बेगूसराय में लहराया भगवा
भाजपा के फायरब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जेनएयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को सवा चार लाख के बड़े अंतर से पछाड़ कर बेगूसराय का ताज पहना है। हालांकि, महागठबंधन और भाकपा के अलग-अलग उम्मीदवारी के बाद से गिरिराज सिंह की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन बड़े फासले ने यह साबित कर दिया है कि बेगूसराय के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी और गिरिराज सिंह को ही पसंद किया। इस जीत से एक जमाने में मिनी मास्को कहे जाने वाले बेगूसराय को फिर से लाल रंग में सराबोर करने का भाकपा का मंसूबा चकनाचूर हो गया। अब वहां भगवा लहरा रहा है।
दो विपरीत ध्रुवों की थी लड़ाई
कन्हैया और गिरिराज दोनों की पहचान चरमपंथी की रही है। एक राष्ट्रवाद के चरम पर तो दूसरा साम्यवाद के चरम पर। दो विपरीत ध्रुवों की लड़ाई को ले देश भर में हॉट सीट बने बेगूसराय पर सबकी नजरें टिकी थीं, लेकिन मतगणना के एक दो चरण के बाद ही गिरिराज ने करीब 50 हजार से बढ़त बना ली। यह बढ़त अगले हर चरण में लगातार बढ़ता ही रहा और अंत पर यह फासला सवा चार लाख तक पहुंच गया। यह राज्य में किसी भी राजग प्रत्याशी की दूसरी सबसे बड़ी जीत है।
कन्हैया गांव-गांव घूमे, गिरिराज ने कहा हर कार्यकर्ता है गिरिराज
चुनाव की अधिसूचना जारी होने के छह माह पूर्व से ही भाकपा प्रत्याशी कन्हैया गांव-गांव जाकर अपने ऊपर लगे देशद्रोह के आरोपों को लेकर सफाई देते रहे। वहीं गिरिराज ने नामांकन के पूर्व अपनी पहली जनसभा में ही यह साफ कर दिया था कि वे इतने कम समय में हर मतदाताओं से संपर्क नहीं कर सकते इसलिए एनडीए का हर कार्यकर्ता अपने को गिरिराज समझे। कन्हैया के चुनाव पूर्व के कैंपेन के दौरान युवाओं में उनका ग्लैमर भी दिखा, लेकिन इस ग्लैमर ने महागठबंधन उम्मीदवार तनवीर हसन को तीसरे नंबर पर धकेल दिया।
बेअसर रहा वामपंथियों और स्टार प्रचारकों का कैंपेन
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया की उम्मीदवारी और जीत के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। कन्हैया की जीत के लिए शहला रशीद, फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी, प्रकाश राज, जावेद अख्तर समेत देश भर की एआइएसफ की टीम लगातार प्रचार करती रही, लेकिन सब मिलकर भी बेगूसराय के मतदाताओं को मूड नहीं बदल सके।
भाकपा प्रत्याशी के नामांकन में देश भर के समर्थक जुटे थे। भाकपा ने भी जिले की पूरी ताकत लगा दी थी। नामांकन जुलूस में डफली बजाते युवाओं की टोली समेत समर्थकों की भारी भीड़ देख कर युवाओं में आकर्षण दिखा। लेकिन कन्हैया इस आकर्षण को मतदान के दिन तक कायम नहीं रख सके। चुनाव प्रचार के दौरान लोहियानगर, मटिहानी के जिल्ला पुनर्वास समेत कई जगहों पर उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा जिसे कन्हैया ने गिरिराज के समर्थकों की साजिश करार दिया था।
कन्हैया के काफिले में चल रहे कुछ युवाओं द्वारा प्रचार वाहन में लाठी, डंडे रखे जाने का भी नकारात्मक प्रभाव ही पड़ा। यह दूरी इतनी बढ़ गई के वामपंथ को गढ़ माने जाने वाले तेघड़ा, चेरियाबरियारपुर, बखरी में भी गिरिराज सिंह ने कन्हैया को पछाड़ दिया।
नहीं चला क्षेत्रवाद का मुद्दा
चुनाव प्रचार के दौरान गिरिराज सिंह को बाहरी प्रत्याशी और खुद को बेगूसराय का बेटा बता कर कन्हैया ने क्षेत्रवाद का पासा फेंका, लेकिन यह बात फिट नहीं बैठी। विराधी के साथ ही भाजपा के एक नेता ने भी क्षेत्रवाद के मामले को हवा देने का काम किया था। गिरिराज की जीत को नरेन्द्र मोदी की लहर का असर कहें या फिर गिरिराज ङ्क्षसह की चुनाव प्रबंधन नीति की सफलता लेकिन, इतना तो तय है कि बेगूसराय के मतदाताओं ने गिरिराज को रिकार्ड वोटों से जीत का ताज पहना दिया।
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