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झारखंड के 13 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति को लौटाया आधार-वोटर आइडी कार्ड, कहा-नहीं मानेंगे देश का कानून

राष्ट्रपति को भेजे गए सभी प्रमाण पत्रों व शपथ पत्रों की फाइल झारखंड पहुंची है इसमें सरकारी व्यवस्था व योजनाओं के बहिष्कार की घोषणा की गई है...

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 10:35 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 01:18 PM (IST)
झारखंड के 13 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति को लौटाया आधार-वोटर आइडी कार्ड, कहा-नहीं मानेंगे देश का कानून
झारखंड के 13 आदिवासी परिवारों ने राष्ट्रपति को लौटाया आधार-वोटर आइडी कार्ड, कहा-नहीं मानेंगे देश का कानून

रांची, [दिलीप कुमार]। पत्थलगड़ी की आड़ में समानांतर सरकार चलाने की साजिश में दर्ज सभी कांडों को वापस लेने के लिए एक तरफ हेमंत सरकार जहां पूरी कोशिश कर रही है, वहीं खूंटी के 13 ऐसे परिवार हैं, जिन्हें सरकारी सिस्टम पर भरोसा नहीं है। इन परिवारों के सभी सदस्यों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सरकारी व्यवस्था व योजनाओं का बहिष्कार किया है। अब राष्ट्रपति सचिवालय के आदेश पर फाइल झारखंड मंत्रालय पहुंच गई है। मुख्य सचिव डा. डीके तिवारी के आदेश पर यह फाइल राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को सौंपी गई है। इस फाइल पर गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से भी मंतव्य लिया जा रहा है। 

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जिन परिवारों ने यह कदम उठाया है, वे निहायत गरीब हैं। राशन कार्ड लौटा देने से उन्‍हें भोजन के लिए भी दिक्‍कत होगी। लौटाए गए फाइल में सभी 13 परिवारों के प्रमाण पत्र, वोटर आइडी कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड, जॉब कार्ड, गैस कार्ड, पैन कार्ड संलग्न हैं। बहिष्कार करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि वे केवल आदिवासी कानून मानेंगे, सरकारी कानून व सरकारी व्यवस्था तथा सरकारी योजनाओं से उनका कोई लेनादेना नहीं है।

सभी परिवार ने अलग-अलग जारी शपथ पत्र में क्या लिखा

हम आदिवासी भारत हैं। भारतीय नहीं, इसलिए हम आदिवासी कुदरती एवं प्राकृतिक रूलिंग से संचालित होते हैं। ये केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार भारतीय ज्यूडिशियल व्यवस्था से संचालित होते हैं। इसलिए ज्यूडिशियल व्यवस्था के कानून एवं प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड को हम सपरिवार अखिल आदिवासी वापस कर रहे हैं। 

बरगलाया जाता है आदिवासियों को

भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली व उनके अधिकारों को राज्यपाल की निगरानी में संवैधानिक संरक्षण दिया गया है। इसमें रूढि़ प्रथा एवं ग्राम सभा को परिभाषित किया गया। इसके तहत ऐसे क्षेत्र जिसे राष्ट्रपति के आदेश से अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया हो। पांचवीं अनुसूची के अनुसार ग्राम सभा सर्वोपरि होता है। खूंटी में पत्थलगड़ी के मामले में इस कानून को तोड़-मरोड़कर समझाने पर विवाद होता रहा है। भोले-भाले आदिवासियों को बरगला कर उन्हें प्रशासन और सरकार के खिलाफ भड़काया जाता है। इस विरोध को भी इसी की कड़ी माना जा रहा है।

 इन परिवारों ने किया बहिष्कार

  1. कुरचू मुंडा : ग्राम पोसेया तेलाईडीह, पोस्ट भंडरा, खूंटी।
  2. सोमा मुंडा : ग्राम पोसेया, तेलाईडीह, पोस्ट भंडरा, खूंटी।
  3. दोया मुंडा : ग्राम पोसेया, तेलाईडीह, पोस्ट भंडरा, खूंटी।
  4. खुदिया नाग : ग्राम चुकलू (टोला कुजाबेड़ा), बिरबांकी, अड़की, खूंटी।
  5. लक्ष्मण मुंडा : ग्राम पोसेया तेलाइडीह, पोस्ट भंडरा, खूंटी।
  6. लाडो मुंडा : ग्राम गुडुबुरू, मरंगहादा, मुरहू, खूंटी।
  7. हारी सिंह मुंडा : गुडुबुरू, मरंगहादा, मुरहू, खूंटी।
  8. दीपक मुंडा : गुडुबुरू, मरंगहादा, मुरहू, खूंटी।
  9. गंगु मुंडा : ग्राम गोवा, पोस्ट भुरजू, थाना मुरहू, खूंटी।
  10. कुरमू सिंह हस्सा : सिरूम, सेरेंगडीह, खूंटी।
  11. भाईयाराम मुंडा : सिरका, पोस्ट बुर्जू, मुरहू, खूंटी।
  12. सोमा मुंडा : ग्राम पोसेया, तेलाईडीह, पोस्ट भंडरा, खूंटी।
  13. जोगो मुंडा : पोसेया, तेलाइडीह, भंडरा, खूंटी।

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