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जम्मू-कश्मीर: चार महीने का राशन इकट्ठा करने की सलाह वाले पत्र पर RPF की सफाई- इसका कोई आधार नहीं

कश्मीर में बिगड़ सकते हैं हालात हो सके तो परिवार को घाटी से बाहर छोड़ आएं। कश्मीर में सुरक्षाबलों की सौ अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती से अफवाहों का बाजार गर्म है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 09:34 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर: चार महीने का राशन इकट्ठा करने की सलाह वाले पत्र पर RPF की सफाई- इसका कोई आधार नहीं
जम्मू-कश्मीर: चार महीने का राशन इकट्ठा करने की सलाह वाले पत्र पर RPF की सफाई- इसका कोई आधार नहीं

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में सुरक्षाबलों की सौ अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती से अफवाहों का बाजार गर्म है। एक ओर जहां कश्मीर में आने वाले दिनों में कानून एवं व्यवस्था खराब होने की बात की जा रही है, वहीं राजनीतिक दलों ने इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं,बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने पत्र लिखकर कर्मचारियों से लंबे समय तक कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के कारण राशन जमा करने समेत अन्य कदम उठाने का आह्वान किया। हालांकि, रेलवे ने इस पर सफाई दी है और कहा है कि पत्र का कोई आधार नहीं है।

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रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी ने कर्मियों को लिखा पत्र 

बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने पत्र लिखकर कर्मचारियों से ‘लंबे समय तक' कश्मीर घाटी में ‘कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका' के कारण राशन जमा करने समेत अन्य कदम उठाने का आह्वान किया।जानकारी हो कि सोशल मीडिया पर रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स का एक पत्र तेजी के साथ वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि आने वाले तीन से चार महीने में कश्मीर में कानून एवं व्यवस्था खराब हो सकती है। इसमें चार महीने का राशन एडवांस में खरीदने के लिए कहा गया है। सात दिनों के लिए पानी स्टोर करने, स्टाफ को पूरे सामान सहित पिट्ठू बैग तैयार रखने, गाड़ियों में पेट्रोल भरवा कर उन्हें गैराज में पार्क करने, रेलवे के पास भीड़ को न आने देने सहित अपने परिजनों को कश्मीर में ठहरने न देने सहित कई बातें लिखी गई हैं।

इस पत्र के बाद विभाग में खलबली मच गयी और रेलवे ने स्पष्ट किया कि इस पत्र का कोई आधार नहीं है और इसे जारी करने का संबंधित अधिकारी के पास कोई अधिकार नहीं है। आरपीएफ बडगाम के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल के इस पत्र को व्यापक रूप से सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है, ‘कश्मीर घाटी में लंबे समय तक स्थिति के बिगड़ने की आशंका और कानून-व्यवस्था के संबंध में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और एसएसपी/जीआरपी/ एसआईएनए से मिली जानकारी के अनुरूप 27 जुलाई को एहतियात सुरक्षा बैठक हुई। 

जानकारी के अनुसार, नुग्याल ने कर्मचारियों से कम से कम चार महीने के लिए राशन इकट्ठा कर लेने और अपने परिवार को घाटी के बाहर पहुंचा आने समेत एहतियाती कदम उठाने का आह्वान किया, लेकिन रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि यह पत्र वरिष्ठ संभागीय सुरक्षा आयुक्त से बस एक पद नीचे के अधिकारी द्वारा बिना किसी अधिकार के पत्र भेजा गया, जबकि वह 26 जुलाई से एक साल के अध्ययन अवकाश पर गये है।प्रवक्ता ने कहा कि इस अधिकारी ने अपनी धारणा के आधार पर यह पत्र जारी किया जिसका कोई आधार नहीं है और वह ऐसा पत्र जारी करने के लिए अधिकृत भी नहीं है।

प्रवक्ता ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इस पत्र को अधिकृत करने वाले प्राधिकार से कोई मंजूरी नहीं मिली थी। आरपीएफ के महानिरीक्षक (एनआर) को स्थिति के आकलन और सुधार के कदम उठाने के लिए भेजा जा रहा है। यह विवाद ऐसे समय में खड़ा हुआ है जब राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 100 और कंपनियां राज्य में भेजे जाने को लेकर कश्मीरी नेताओं का एक वर्ग केंद्र की आलोचना कर रहा है।  

यह पत्र वायरल होने के बाद पहले से ही अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात होने के कारण कश्मीर केंद्रित दलों के निशाने पर आई केंद्र सरकार को फिर से निशाने पर लेना शुरू कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री व नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने वायरल हुए दो पत्रों को ट्विटर पर अपलोड किया है।

उमर ने लिखा है कि कश्मीर के लोगों को अफवाहें फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, लेकिन ऐसे अधिकारियों के पत्रों का क्या करें जो कि कश्मीर में आने वाले दिनों में हालात खराब होने की बात कह रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि हालात अधिक दिनों तक खराब रह सकते हैं। ऐसे में अब केंद्र सरकार चुप क्यों है। उमर ने एक अन्य ट्वीट में एसएसपी रेलवे के एक पत्र का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स से कहा है कि उन्होंने हालात खराब होने के बारे में किसी को कोई सूचना नहीं दी है। उन्होंने ऐसी गलत सूचनाएं न देने के लिए अनुरोध किया है।

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