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Jammu & Kashmir:वकीलों की मनमानी पर बरसीं चीफ जस्टिस, कोर्ट अवमानना की हो सकती है कार्रवाई

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने स्पष्ट किया है कि वकीलों की मनमानी के मामले में उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने की कार्रवाई की जा सकती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 09:29 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 09:29 AM (IST)
Jammu & Kashmir:वकीलों की मनमानी पर बरसीं चीफ जस्टिस, कोर्ट अवमानना की हो सकती है कार्रवाई
Jammu & Kashmir:वकीलों की मनमानी पर बरसीं चीफ जस्टिस, कोर्ट अवमानना की हो सकती है कार्रवाई

जम्मू, जेएनएफ। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने स्पष्ट किया है कि वकीलों की मनमानी के मामले में उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने की कार्रवाई की जा सकती है। सीनियर एडवोकेट से अपनी वरिष्ठता का सम्मान करने की अपील करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट ने उन्हें जो सम्मान दिया गया है, उसका पूरा मान रखा जाना चाहिए।

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वैसे भी सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि अगर कोई एडवोकेट हड़ताल पर जाता है, कोर्ट का बहिष्कार करता है, कोर्ट में ताला जड़ता है या दूसरों के प्रवेश पर रोक लगाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा करने पर जम्मू-कश्मीर एडवोकेट एक्ट के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है।

चीफ जस्टिस जमीन की रजिस्ट्री के मुद्दे पर जारी हड़ताल के दौरान कुछ वकीलों की मनमानी के संदर्भ में यह बात कही।पुलिस हालात से निपटने में नाकाम, केंद्रीय सुरक्षाबलों को करें तैनात :चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की दोनों ¨वग व जिला कोर्ट परिसरों की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय सुरक्षाबलों को सौंपने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि दोनों ¨वग में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा स्थानीय पुलिस के सुपुर्द है, लेकिन पुलिस वकीलों को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस के सामने वकील गेट पर ताला लगाते हैं, फर्नीचर रखकर प्रवेश रोकते हैं और पुलिस कुछ नहीं कर पाती। ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के हाईकोर्ट व जिला कोर्ट परिसरों की सुरक्षा को लेकर उचित दिशानिर्देश दिए हैं और देश के दूसरे हिस्सों में भी इनकी सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय सुरक्षाबलों के पास है। चीफ जस्टिस ने पाया कि हाईकोर्ट की श्रीनगर ¨वग में भी सात सितंबर 2019 को फिदायीन हमले करने की धमकी भरे पोस्टर चिपकाए गए। जम्मू में भी एनआइए के कई संवेदनशील केसों की सुनवाई होती है। दूसरी तरफ वकील गेट पर ताला लगा देते हैं।

इससे जजों ही नहीं, कोर्ट में आने वाले आम लोगों की जान को भी खतरा पैदा होता है और पुलिस ऐसे हालात से निपटने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है, लिहाजा केंद्र सरकार यहां केंद्रीय सुरक्षाबलों को तैनात करे।सुरक्षा संबंधी सभी सकुर्लर पेश करने के निर्देश :हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को उच्च सुरक्षा क्षेत्र घोषित करने संबंधी सभी सर्कुलर पेश करने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य और अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में हाईकोर्ट की सुरक्षा से संबंधित जो भी सर्कुलर जारी किए गए हैं, वह बेंच के सामने पेश किए जाएं। बेंच ने कहा कि कोर्ट में अनुशासन व केसों की नियमित सुनवाई सुनिश्चित करवाना न्यायपालिका का भी दायित्व है, लिहाजा इस दिशा में कदम उठाने से पूर्व कोर्ट की सुरक्षा संबंधी सभी सर्कुलर बेंच के सामने पेश किए जाएं। 


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