JP Nadda: राजस्थान भाजपा में दिख रहा जेपी नड्डा की सीख का असर
JP Nadda भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले रविवार को पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक में एकजुटता से काम करने की सीख दी थी।
जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान भाजपा में एकजुटता बनाए रखने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा इस रविवार को दी गई सीख का असर होता दिख रहा है। संगठन की बैठक में वसुंधरा राजे मौजूदगी, पार्टी प्रवक्ताओं और पैनलिस्ट की सूची में उनके समर्थकों के नाम और उनके विरोधी माने जाने वाले घनश्याम तिवाडी की पार्टी में वापसी की चर्चाओं पर प्रदेश अध्यक्ष की ओर से लगाए गए विराम को पार्टी की एकजुटता की दिशा में उठाए गए कदम माना जा रहा है। राजस्थान में एक माह तक चले सियासी संकट में राजस्थान भाजपा में भी आपसी गुटबाजी सामने आ गई थी। सियासी संकट में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चुप्पी, इस दौरान घोषित प्रदेश कार्यकारिणी में उनके विरोधी माने जाने वाले नेताओं को अहम पद दिए जाने, वसुंधरा राजे का दिल्ली दौरा, उनके समर्थक माने जाने वाले विधायकों द्वारा पार्टी के निर्णय के खिलाफ घेराबंदी के लिए राज्य से बाहर जाने से इनकार और विधानसभा सत्र में विश्वास मत पर चर्चा के दौरान पार्टी के चार विधायकों के अचानक गायब हो जाने की घटनाओं को पार्टी के आंतरिक गुटबाजी के रूप में देखा गया था।
पिछले रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक को संबोधित किया था और इस बैठक में पार्टी को एकजुटता से काम करने की सीख दी थी। उन्होंने राजस्थान कांग्रेस में सामने आए फूट का उदाहरण देते हुए कहा था की छोटी-छोटी बातों से पार्टी में बिखराव आता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि भविष्य में हमें यहां सरकार बनानी है इसलिए पार्टी एकजुट होकर काम करे और विचारधारा को समर्पित कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाए। नड्डा की सीख पर पार्टी में अब काम होता दिख रहा है। पार्टी ने मंगलवार को पार्टी प्रवक्ताओं और मीडिया में जाने वाले पैनलिस्ट की सूची जारी की। इस सूची में प्रवक्ता बनाए गए अनिता भदेल और अभिषेक मटोरिया वसुंधरा समर्थक माने जाते हैं। इसके अलावा पैनलिस्टों की सूची में भी कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्हें वसुंधरा समर्थक माना जाता है। पिछले तीन-चार दिन से राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे घनश्याम तिवाडी की पार्टी में वापसी की चर्चाएं भी जोरों पर थी। तिवाडी वसुंधरा के धुर विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने पिछली भाजपा सरकार के समय ही पार्टी से बगावत कर पहले अपनी खुद की पार्टी बनाई और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी में इस बात की चर्चा थी कि वसुंधरा विरोधी नेताओं का एक गुट तिवाडी को पार्टी में वापस लाने के लिए प्रयास कर रहा है और वे जल्दी ही पार्टी में वापस आ जाएंगे। उनके साथ ही पिछले चुनाव में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह की भी पार्टी में वापसी की चर्चाएं थी।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कहा कि इस तरह की बातें सिर्फ चर्चाओं में है। इनमें परिपक्वता की कमी है। पूनिया ने कहा कि कौन कब आता है इसका फैसला गुण अवगुण और परिस्थितियों के आधार पर होता है। वसुंधरा राजे मंगलवार रात पार्टी मुख्यालय पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में भी शामिल हुईं। बैठक में पार्टी के प्रदेश प्रभारी वी सतीश, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मौजूद थे। बैठक में विधानसभा सत्र के दौरान गायब हुए विधायकों पर की जाने वाली कार्रवाई, सरकार को घेरने के लिए आगामी दिनों में होने वाले कार्यक्रमों और अन्य संगठनात्मक विषयों पर चर्चा हुई। पार्टी सूत्रों का कहना है इस बैठक का असर आने वाले दिनों में नजर आ सकता है। प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों और पार्टी के अग्रिम संगठनों के मुखियाओं की सूची में राजे समर्थक माने जाने वाले नेताओं के नाम देखने को मिल सकते हैं।