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संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश की वैधता चुनौती याचिका पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उप्र लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020 की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से 25 मार्च तक जवाब मांगा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 02:43 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 05:45 PM (IST)
संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश की वैधता चुनौती याचिका पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब
संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश की वैधता चुनौती याचिका पर हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020 की वैधता की चुनौती याचिका पर यूपी सरकार से 25 मार्च तक जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 27 मार्च को होगी। कोर्ट ने फिलहाल याचिका पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। यूपी में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के फोटो सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित करने को अवैध करार देने के हाई कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार 15 मार्च को यह अध्यादेश लाई है। 

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने शशांक श्री त्रिपाठी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में अध्यादेश को निजता के अधिकार के विपरीत होने के आधार पर असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।

उत्तर प्रदेश में हड़ताल, बंद, दंगों और लोक उपद्रव के कारण सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई कराने के लिए बनाया गया 'उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020' लागू हो गया। राजनीतिक जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए राज्य सरकार संपत्ति क्षय दावा अधिकरणों का गठन करेगी।

दावा अधिकरण को सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी और वह उसी रूप में काम करेगा। उसका फैसला अंतिम होगा और उसके खिलाफ किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकेगी। क्षतिपूर्ति पाने के लिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना के तीन माह के अंदर दावा अधिकरण के समक्ष आवेदन करना होगा। आवेदन में 30 दिन के विलंब को अधिकरण माफ कर सकता है, यदि आवेदक इसकी वाजिब वजह बताता है।

अध्यादेश के मुताबिक संपत्ति को नुकसान की एफआइआर पर आधारित संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट और इस दौरान एकत्र की गई अन्य सूचनाएं प्राप्त होने पर डीएम या पुलिस कमिश्नर या कार्यालय प्रमुख को लोक संपत्ति को क्षति पहुंचाए जाने की तारीख से तीन माह के अंदर अधिकरण के समक्ष दावा याचिका दाखिल करने के लिए कदम उठाना होगा। वहीं क्षतिग्रस्त हुई निजी संपत्ति के मालिक को संबंधित थानाध्यक्ष या थाना प्रभारी से ऐसी रिपोर्ट की प्रति हासिल करने के बाद अपनी दावा याचिका तीन माह के अंदर दाखिल करनी होगी।


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