हाई कोर्ट ने रामपुर के मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की बाउंड्रीवॉल गिराने पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट मौलाना मो. अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर की बाउंड्रीवॉल गिराने के मामले में 31 मार्च तक रोक लगा दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर के समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद मोहम्मद आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर की बाउंड्रीवॉल गिराने के मामले में 31 मार्च तक रोक लगा दिया है। हाई कोर्ट ने तहसीलदार के 20 फरवरी, 2020 के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ एसडीएम के समक्ष पुनरीक्षण अर्जी दाखिल करने की छूट भी दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने मोहम्मद जौहर अली ट्रस्ट की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। सरकारी वकील ने कहा कि तहसीलदार के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की जा सकती है। याचिका पोषणीय नहीं है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत व सफदर काजमी ने बहस की। तहसीलदार ने किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। याचिका में उस आदेश को चुनौती दी गई है।
20 फरवरी को जौहर यूनिवर्सिटी में चला था बुलडोजर
रामपुर प्रशासन ने 20 फरवरी, 2020 को सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी में बुलडोजर चलवा दिया था। उपजिलाधिकारी सदर प्रेम प्रकाश तिवारी और तहसीलदार प्रमोद कुमार पुलिस फोर्स के साथ यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां चक रोड की जमीन पर बनी चारदीवारी पर बुलडोजर चलवा दिया। मेडिकल कॉलेज और कुलपति आवास के सामने की दीवार भी तोड़ी गई। इसके बाद जिला सहकारी बैंक की ओर की और दक्षिण दिशा में बनी चारदीवारी पर भी बुलडोजर चला दिया गया। चकरोडों की जमीन खाली कराने को लेकर काफी दिन से प्रक्रिया चल रही थी। उप जिलाधिकारी ने बताया कि तीन स्थानों पर 12-12 फीट चारदीवारी तोड़ दी गई थी। इस पर यूनिवर्सिटी के कुलपति सुल्तान मुहम्मद खान का कहना था कि चारदीवारी का मुकदमा तहसील सदर और राजस्व परिषद में विचाराधीन है। इसके बाद भी एसडीएम ने चारदीवारी पर बुलडोजर चलवा दिया।
चकरोड की जमीन को मिला लिया था यूनिवर्सिटी में
सपा शासनकाल में चकरोड की जमीन को जौहर यूनिवर्सिटी में मिला लिया गया था और इसके बदले में दूसरी जमीन ग्राम पंचायत को दे दी गई थी। इस मामले में पिछले दिनों राजस्व परिषद ने चकरोड की जमीन को कब्जामुक्त कराने का आदेश दिया। परिषद ने जमीनों की अदला-बदली को भी गलत माना था। इसके बाद प्रशासन ने पैमाइश कर चकरोड की जमीन पर कब्जा ले लिया और ग्राम पंचायत सींगनखेड़ा के सिपुर्द कर दिया। साथ ही उप जिलाधिकारी ने जमीन पर बने निर्माण को हटाने के लिए यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और कुलाधिपति सांसद आजम खां को भी नोटिस जारी किया। निर्माण हटाने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया था, जो 16 फरवरी को पूरा हो गया था। निर्धारित अवधि में निर्माण नहीं हटाया गया तो प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया।