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पानी पर फिर गर्मी, पंजाब ने केंद्र से कहा- किसी और राज्य को न दिया जाए हमारी नदियों का जल

पंजाब ने अपनी नदियों का पानी किसी और राज्‍य को देने से इन्‍कार किया है। पंजाब सरकार ने केंद्र से कहा है कि हमारी नदियों का पानी अन्‍य राज्‍य को न दिया जाए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 11:03 AM (IST)
पानी पर फिर गर्मी, पंजाब ने केंद्र से कहा- किसी और राज्य को न दिया जाए हमारी नदियों का जल
पानी पर फिर गर्मी, पंजाब ने केंद्र से कहा- किसी और राज्य को न दिया जाए हमारी नदियों का जल

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में पानी पर माहौल फिर गर्मा गया है। पंजाब ने कहा है कि वह अपनी नदियों का पानी किसी भी सूरत में अन्‍य राज्‍यों को नहीं दे सकता। पंजाब में गहराते जल संकट को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक केवल नदी जल विवाद पर सीमित होकर रह गई। सभी दलों ने कहा कि पंजाब की नदियों में दूसरे राज्यों को देने के लिए पानी नहीं है। इस बात को केंद्र सरकार गंभीरता से समझे। कैप्‍टन अमरिंदर ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब की नदियाें का पानी किसी अन्‍य राज्‍य को न दे।

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सर्वदलीय बैठक में एकसुर में बोले- एसवाइएल नहर का निर्माण पंजाब के लिए घातक

बैठक में सतलुज यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं पारित किया गया, लेकिन अकाली दल व आप सहित सभी पार्टियों ने कहा कि एसवाइएल नहर का बनना पंजाब के लिए घातक होगा। अकाली दल के महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने तो यहां तक कह दिया कि यदि एसवाइएल नहर बनी तो पंजाब में आतंकवाद फिर से लौट सकता है।

अंतरराज्यीय नदी जल विवाद एक्ट में संशोधन की मांग करेगा पंजाब

ग्रेवाल ने कहा कि वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के उस बयान को ही दोहरा रहे हैैं जिसमें उन्होंने कहा था कि एसवाइएल नहर बनने से पंजाब में हिंसा बढ़ सकती है और आतंकवाद के वापस आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सभी दलों को एकजुट होकर लड़ाई लडऩे की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि पंजाब एवं हरियाणा के बीच एसवाइएल नहर का विवाद चार दशक से भी ज्यादा पुराना है। मामला काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट विवाद सुलझाने के लिए चेतावनी भी दे चुका है।

बैठक में सर्वसम्मति से केंद्र से अंतरराज्यीय नदी जल विवाद एक्ट में संशोधन की मांग करने का फैसला हुआ। नदियों के पानी की उपलब्धता का पुन: मुल्यांकन करने की मांग उठी। कहा गया कि भारत सरकार को यह यकीनी बनाना चाहिए कि पंजाब की तीन नदियों का पानी किसी भी हालत में बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में स्थानांतरित न किया जाए।

कहा- ट्रिब्यूनल बनाया जाए

सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से नए ट्रिब्यूनल बनाने के लिए प्रस्तावित अंतरराज्यीय नदी जल विवाद एक्ट में जरूरी संशोधन करने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि पंजाब की कुल मांग और भावी पीढिय़ों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त पानी मुहैया करवाना जरूरी है।

कैप्टन ने कहा, सभी दलों के साथ प्रधानमंत्री से मिलेंगे

मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इराडी कमीशन के अनुसार पंजाब के नदियों में पानी 17 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) से घटकर अब 13 एमएएफ रह गया है। मेरी सरकार ने प्रधानमंत्री के समक्ष मांग रखी है कि पंजाब की तीन नदियों में पानी का मौजूदा स्तर पता करने के लिए नया कमीशन स्थापित किया जाए। मौजूदा हालात को देखते यह बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वह समय मांगेंगे और सभी दलों के साथ मिलकर फिर इसके लिए अपील करेंगे। उनकी सरकार संबंधित महत्वपूर्ण मसलों पर विचार करने के लिए हर छह महीनों बाद सर्वदलीय बैठक बुलाएगी।

गिरते भूजल पर नहीं रहा फोकस

बैठक में गिरते भूजल स्तर, प्रदूषित होते नदियों के पानी आदि पर कोई फोकस दिखाई नहीं दिया। भूजल बचाने के लिए वैकल्पिक फसलों की कोई कार्ययोजना भी बैठक से नहीं निकल सकी।

यह है प्रस्ताव

'पंजाब के पास फालतू पानी नहीं है और भूजल का स्तर तेजी से घटने और दरियायी पानी की कमी के कारण पंजाब के मरुस्थल बनने की आशंका है। पंजाब में 73 प्रतिशत सिंचाई जरूरतों को पूरा करने वाला भूजल अब बहुत नीचे जा चुका है। इस वजह से किसानों और गरीब लोगों की रोजी-रोटी का बड़ा खतरा बना हुआ है। यह सर्वसम्मति से संकल्प किया जाता है कि भारत सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि पंजाब के दरियायी पानी को तीन दरियाओं (रावी, सतलुज व ब्यास) के बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में दुनिया भर में अपनाए गए तटीय सिद्धांत (रिपेरियन प्रिंसिपल) के मुताबिक किसी भी सूरत में स्थानांतरित न किया जाए। पानी की उपलब्धता का पुन: मुल्यांकन करने के लिए प्रस्तावित अंतरराज्यीय नदी जल विवाद एक्ट के अधीन नया ट्रिब्यूनल स्थापित करने संबंधी संशोधन करना भी शामिल है।

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दूसरी बार सर्वदलीय बैठक

पानी को लेकर पंजाब सरकार की ओर से दूसरी बार सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इससे पहले 2004 में बुलाई गई थी। तब भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ही थे।

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बैैंस बंधुओं ने दिया धरना

पानी के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार द्वारा बुलाई सर्वदलीय बैठक में लोक इंसाफ पार्टी को न बुलाए जाने पर विधायक बैैंस बंधुओं ने पंजाब भवन के बाहर धरना दिया। जबरन प्रवेश की कोशिश पर पुलिस ने उन्हें धक्के मार कर गेट से बाहर कर दिया।

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