Bihar Assembly Elections 2020 : विधानसभा चुनाव के दौरान तिरहुत में आधी दूरी ही नाप सकी आधी आबादी
Bihar Assembly Elections 2020 प्रमंडल की 49 विस सीटों में अब तक 24 पर ही महिला प्रतिनिधियों को मिली है जीत। नौतन से कांग्रेस की पार्बती देवी ने वर्ष 1952 दर्ज की थी जीत। मुजफ्फरपुर की 11 सीटों में सात पर महिलाओं को नहीं मिली सफलता।
मुजफ्फरपुर, [ अजय पांडेय ]। सूबे की एक चौथाई आबादी वाला तिरहुत प्रमंडल। एक करोड़ से अधिक महिलाएं हर बार चुनाव में बढ़-चढ़कर वोट डालती हैं। लेकिन, राजनीतिक सहभागिता में हर बार पीछे रह जातीं। आजादी से लेकर 2015 तक के चुनाव में संख्या भले ही अलग-अलग रही हो, पर स्थितियां एक सी रही हैं। यहां के छह जिलों की 49 में 24 विधानसभा सीटों पर महिलाओं को कभी प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला। इनमें मुजफ्फरपुर की सात, पश्चिम चंपारण की चार, पूर्वी चंपारण की सात, शिवहर की एक, सीतामढ़ी की तीन और वैशाली की दो विधानसभा सीटें हैं। मुजफ्फरपुर, वैशाली और सीतामढ़ी की नगर सीट भी हैं, जहां किसी महिला को सफलता नहीं मिली।
63 साल में एक बार महिला प्रत्याशी रही मुख्य प्रतिद्वंद्वी
लोकसभा चुनाव के दौरान प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख 40 हजार महिला मतदाता हैं। उसी चुनाव में उनका वोटिंग प्रतिशत पुरुषों के समतुल्य रहा। लेकिन, दलगत लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बॉटम लेवल (निम्न स्तर) पर है। वर्ष 1952 से लेकर 2015 तक के विधानसभा चुनाव में एकमात्र 2005 (अक्टूबर) का चुनाव ऐसा रहा, जब कोई महिला प्रत्याशी मुख्य प्रतिद्वंद्वी रही। उस साल विजेंद्र चौधरी निर्दल मैदान में थे, जबकि कांग्रेस की ओर से विनीता विजय को उम्मीदवार बनाया गया था। समीर कुमार लोजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन, विजेंद्र ने विनीता को 24,838 वोट के अंतर से परास्त किया था।
मां जानकी की धरती भी महिला नेतृत्व विहीन
मां जानकी की धरती सीतामढ़ी की आठ विधानसभा सीटों में नगर से भी अब तक किसी महिला की जीत नहीं हो सकी है। आजादी के इतने वर्षों में किसी दल ने महिला चेहरे को तवज्जो नहीं दी। वर्ष 2010 में कांग्रेस ने कुमारी रूपम को जरूर आगे किया, लेकिन वे चौथे स्थान पर रहीं। इसके बाद कभी कोई महिला फ्रंट फेस नहीं बनी। लोकसभा सीट पर भी स्थिति यथावत रही है। सभी ने सुरक्षित और विनिंग चेहरे पर ही दांव खेला। इधर, पड़ोसी शिवहर का भी यही हाल है। वर्ष 2010 में बहुजन समाज पार्टी की प्रतिमा देवी मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहीं, जबकि 2015 में 'हमÓ की लवली आनंद ने जदयू के सर्फुद्दीन को टक्कर दी थी।
चंपारण में दिखती है उदारता
चंपारण की 21 में 11 सीटों पर अब तक किसी महिला की जीत नहीं हो सकी है। इनमें पश्चिम चंपारण की चार और पूर्वी चंपारण की सात सीटें शामिल हैं। हालांकि, चंपारण क्षेत्र में टिकट देने के मामले में दलों ने और जगह की तुलना में उदारता जरूर दिखाई है। शुरुआती दौर में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी आगे रही। बाद के दिनों में राजद और जदयू भी आगे आए। केसरिया, मोतिहारी, हरसिद्धी सीटों पर 60 के दशक में महिलाओं ने कांग्रेस के बैनर तले जीत दर्ज की। प्रभावती देवी ने तो कांग्रेस के टिकट पर 1952 में केसरिया सीट से जीत दर्ज की। नौतन से भी पार्बती देवी ने उसी साल जीत दर्ज की थी।
इन सीटों पर कभी नहीं जीतीं महिलाएं :
01. मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर नगर, कुढऩी, सकरा, मीनापुर, साहेबगंज, औराई और बरुराज।
02. पश्चिमी चंपारण : वाल्मीकिनगर, सिकटा, बगहा और लौरिया।
03. पूर्वी चंपारण : रक्सौल, नरकटिया, ढाका, चिरैया, सुगौली, कल्याणपुर और पीपरा।
04. शिवहर : शिवहर
05. सीतामढ़ी : रीगा, बथनाहा और सीतामढ़ी।
06. वैशाली : हाजीपुर और राजापाकड़।