संविधान दिवस पर फिर बरसे राज्यपाल धनखड़, कहा- संवैधानिक प्रमुख के पद से करना पड़ रहा समझौता
संविधान दिवस पर विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में ममता सरकार पर फिर बरसे धनखड़ कहा-यह स्थिति अभूतपूर्व व चुनौतीपूर्ण
कोलकाता, जागरण संवाददाता। राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच तल्खी गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 70वें संविधान दिवस पर बंगाल विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में भी राज्यपाल के अभिभाषण में यह साफ झलकी। राज्यपाल ने इस दिन लिखित बयान पढ़ने की परंपरा से इतर खुद से वक्तव्य रखा।
उन्होंने सत्तारूढ़ दल के विधायकों पर सीधे हमला बोलते हुए कहा-'कुछ विधायक मेरे खिलाफ बोलते चले जा रहे हैं लेकिन मैं संविधान की रक्षा के लिए आखिरी समय तक प्रयास करता रहूंगा। मुझे राज्य के संवैधानिक प्रमुख के पद से गंभीर रूप से समझौता करना पड़ रहा है। यह स्थिति अभूतपूर्व व चुनौतीपूर्ण है।'
धनखड़ ने विधानसभा में आयोजित इस कार्यक्रम की टाइमिंग पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा-'राजभवन में भी संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस बाबत मुख्यमंत्री व अन्य लोगों को एक माह पहले आमंत्रित किया जा चुका है लेकिन विस के कार्यक्रम में मुझे शार्ट नोटिस पर आना पड़ा। राजभवन के कार्यक्रम से इसका समय टकरा रहा है।'
राज्यपाल ने इस मौके पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 लागू होने के कारण ही कश्मीर में आतंकवाद व्याप्त था।'
तृणमूल विधायकों ने लगाए 'जय बांग्ला' के नारे
राज्यपाल के अभिभाषण खत्म कर सदन से निकलते वक्त तृणमूल विधायकों ने उनके विरोध में 'जय बांग्ला' के नारे लगाए। इस मौके पर विस स्पीकर विमान बनर्जी ने राज्यपाल को दो उपहार दिए। एक राज्यपाल व दूसरा उनकी पत्नी के लिए था। राज्यपाल ने शुरू में दूसरा उपहार लेने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि इस समारोह में उनकी पत्नी को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसपर स्पीकर ने कहा कि उन्हें राज्य की प्रथम महिला के भी आने की उम्मीद थी। इसपर जवाब देते हुए राज्यपाल ने कहा कि फिर तो उन्हें भी न्योता दिया जाना चाहिए था।
विस में दिखा अजब सा नजारा
संविधान दिवस पर बंगाल विधानसभा में अजब सा नजारा दिखा। राज्य के संवैधानिक प्रमुख यानी राज्यपाल जगदीप धनखड़ और प्रशासनिक प्रमुख यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोनों एक जगह मौजूद थे लेकिन उनमें तनिक भी बातचीत नहीं हुई। यहां तक कि दोनों ने एक-दूसरे का शिष्टाचार के तौर पर भी अभिवादन नहीं किया। इससे यह बात फिर साफ हो गई कि दोनों के बीच की कड़वाहट अभी खत्म नहीं हुई है बल्कि और बढ़ गई है।
मंगलवार को संविधान दिवस के उपलक्ष में विधानसभा में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल पहुंचे थे। उन्होंने वहां मौजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को देखकर भी पूरी तरह नजरंदाज किया। उन्होंने ममता से कोई बात नहीं की और आगे बढ़ गए। हालांकि बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से पहले राज्यपाल की नजर जब विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान पर नजर पड़ी तो उनका हालचाल जरूर पूछा।