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Rajasthan: सरकारी कर्मचारियों को बोनस देगी गहलोत सरकार, वेतन कटौती अब स्वैच्छिक

Rajasthan राजस्थान के 7.30 लाख कर्मचारियों तदर्थ बोनस दिए जाने से सरकारी खजाने पर करीब 500 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। गहलोत ने कहा कि वित्तीय संसाधनों की कमी केंद्र सरकार से जीएसटी के बदले मिलने वाली रकम नहीं मिलने से सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 05:30 PM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 06:31 PM (IST)
Rajasthan: सरकारी कर्मचारियों को बोनस देगी गहलोत सरकार, वेतन कटौती अब स्वैच्छिक
गहलोत सरकार दिवाली पर सरकारी कर्मचारियों को बोनस देगी। (फाइल फोटो)

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान सरकार कोविड-19 महामारी के बावजूद सरकारी कर्मचारियों को दिवाली पर तदर्थ बोनस देगी। इसके साथ ही सरकार ने तय किया कि कोरोना महामारी के दौरान शुरू की गई कर्मचारियों की वेतन कटौती स्वैच्छिक की गई है। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार रात आदेश जारी किए। कर्मचारी संगठन बोनस देने और वेतन कटौती रोकने की मांग कर रहे थे। आदेश के अनुसार, कर्मचारियोें को बोनस का 25 प्रतिशत हिस्सा नगद मिलेगा और 75 फीसद उनके जीपीएफ खाते में जमा होगा। इसी तरह एक जनवरी, 2004 या इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को देय तदर्थ बोनस राज्य सरकार द्वारा अलग से योजना तैयार कर के उसमें जमा कराया जाएगा।

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प्रदेश के 7.30 लाख कर्मचारियों तदर्थ बोनस दिए जाने से सरकारी खजाने पर करीब 500 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा। गहलोत ने कहा कि वित्तीय संसाधनों की कमी केंद्र सरकार से जीएसटी के बदले मिलने वाली रकम नहीं मिलने से सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। सरकार 5500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले रही है। गहलोत ने कहा कि पूर्व में अकाल, बाढ़, भूकंप, अतिवृष्टि व भू-स्खलन जैसी आपदाओं के समय कर्मचारियों ने आगे बढ़कर स्वेच्छा से वेतन कटौती करवाकर योगदान दिया है। साथ ही, ऐसे समय में जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों, भामाशाह, एनजीओ, प्रवासियों सहित सभी लोगों का सहयोग मिलता रहा है। मार्च में कोविड-19 का प्रकोप सामने आने पर अधिकारियों-कर्मचारियों के 29 संगठनों ने सरकार को संक्रमण रोकने और पीड़ितों की सहायतार्थ वेतन से कटौती का अनुरोध किया था। बाद में मुख्य सचिव व एसीएस (वित्त) के साथ 20 अगस्त, 2020 को विभिन्न कर्मचारी संगठनों की बैठक में भी वेतन कटौती पर सहमति बनी थी, लेकिन कुछ कर्मचारी साथियों के वेतन कटौती समाप्त करने के अनुरोध पर आगे से यह कटौती स्वैच्छिक किए जाने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार व इस महामारी में जरूरतमंद लोगों की सहायता करते हुए कोविड-19 का उत्कृष्ट प्रबंधन किया है। जिसकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है। उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में जीवन और जीविका बचाना ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारा प्रयास है कि जैसा उत्कृष्ट प्रबंधन अब तक किया गया, वैसा ही आगे भी बना रहे। वित्तीय संसाधनों के कारण यह विपरीत रूप से प्रभावित नहीं हो, इसके लिए प्रदेश को केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति की पूर्ण राशि नहीं मिलने के बावजूद राज्य सरकार वर्तमान में 5500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले रही है।

गहलोत ने कहा कि वेतन कटौती से प्राप्त राशि का उपयोग कोविड-19 से प्रभावित जरूरतमंदों की सहायता, कोरोना प्रबंधन तथा वित्तीय संसाधनों को सुदृढ़ करने में किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर रहे करीब 55.47 लाख जरूरतमंद एवं गरीब परिवारों को 10 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति और दो किलो चना प्रति परिवार निःशुल्क वितरण किया है। इसी तरह, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित गरीबों, निर्माण श्रमिकों, असहाय, रिक्शा चालक, स्ट्रीट वेंडर आदि विभिन्न श्रेणी के 32.27 लाख परिवारों को प्रति परिवार 3500 रुपये के हिसाब से कुल 1144.39 करोड़ रुपये की नगद सहायता दी गई। साथ ही, करीब 80 लाख पेंशनरों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत तीन माह की करीब 1950 करोड़ रुपये की पेंशन का अग्रिम भुगतान मात्र 35 दिन में ही किया गया, ताकि इस विकट कोरोनाकाल में उनकी वित्तीय तरलता बनी रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विषम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार इस महामारी से मुकाबले व जरूरतमंदों की सहायता के लिए संसाधनों में किसी तरह की कमी नहीं रखेगी।


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