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राजस्थान कांग्रेस की सियासी उठापटक पर भाजपा की पैनी नजर

Rajasthan Congress. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राजस्थान में कांग्रेस की धड़ेबाजी खुलकर सामने आ गई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 12:37 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 12:37 PM (IST)
राजस्थान कांग्रेस की सियासी उठापटक पर भाजपा की पैनी नजर
राजस्थान कांग्रेस की सियासी उठापटक पर भाजपा की पैनी नजर

मनीष गोधा, जयपुर। लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद राजस्थान कांग्रेस में चल रही सियासी उठापटक पर भाजपा की पैनी नजर बनी हुई है। हालांकि यहां कर्नाटक या मध्य प्रदेश जैसी स्थिति नहीं है और भाजपा को सत्ता में आने के लिए बहुमत जुटाना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन भाजपा नेता अपने बयानों से सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हैं। इसके साथ ही निर्दलीय विधायकों से भी संपर्क साधा जा रहा है, ताकि कांग्रेस में कोई बड़ी टूटफूट हो तो उसका पूरा फायदा उठाया जा सके। इसके साथ ही पार्टी कांग्रेस की खींचतान को नवंबर में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव तक मुद्दा बनाए रखने की रणनीति पर भी काम कर रही है।

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राजस्थान में कांग्रेस की धड़ेबाजी खुलकर सामने आ गई है और सरकार से लेकर संगठन तक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के खेमों के बीच खींचतान साफ नजर आ रही है। कांग्रेस नेताओं के बयान, सोशल मीडिया पर लिखी जा रही टिप्पणियों और दोनों नेताओं के लगातार दिल्ली दौरों ने यहां भाजपा नेताओं को सरकार के खिलाफ हमला बोलने का पूरा मौका दे दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित सभी छोटे-बड़े नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से इस्तीफा मांग चुके हैं। इन नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस जनता का विश्वास खो चुकी है। अब इस सरकार के बने रहने का कोई अर्थ नहीं है। बयानों के साथ ही भाजपा नेता कांग्रेस विधायकों के असंतुष्ट होने और भाजपा के संपर्क में होने के दावे भी कर रहे हैं।

विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने लोकसभा चुनाव से पहले ही इस तरह का दावा कर दिया था। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी कहा था कि चुनाव के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री बदल सकता है। अब हाल में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने भी यह दावा किया कि कांग्रेस के 20 से 25 विधायक असंतुष्ट हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक और नेताओं पर भाजपा की नजरें हैं। इसके अलावा प्रदेश के निर्दलीय विधायकों से भी भाजपा संपर्क में है। हाल में बसपा विधायकों द्वारा राज्यपाल से मिलने का समय मांगे जाने के घटनाक्रम को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

राजस्थान विधानसभा में अभी यह है दलीय स्थिति

200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 100 सीटें हैं। इसके अलावा एक विधायक राष्ट्रीय लोकदल का है, जिसने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। ऐसे में कांग्रेस के पास बहुमत की संख्या है।भाजपा के पास 73 सीट हैं। वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ हुए गठबंधन के बाद आरएलपी की 3 सीटें भी भाजपा के खाते में जुड़ती हैं। हालांकि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा और आरएलपी के एक-एक विधायक सांसद बन गए हैं। लिहाजा 2 सीटें भाजपा के खाते से कम हो गई हैं और अभी भाजपा के पास 74 सीटें हैं। इसी तरह 13 निर्दलीय, 2 माकपा, 6 बहुजन समाज पार्टी और 2 सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास हैं। निर्दलीयों में 12 विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दे रखा है और इनमें से ज्यादातर पूर्व कांग्रेसी हैं। इसके अलावा बसपा ने भी कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रखा है। ऐसे में भाजपा के लिए यहां बहुमत जुटाना बेहद मुश्किल काम है। 

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