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Punjab में आप की नवजोत सिद्धू पर खास निगाह, दिया खुला ऑफर, बिखरे तिनके समेटने की काेशिश

पंजाब में आपअपने झाड़ू के बिखरे तिनकों को समेटना चाहती है। वह पिछले दिनों पार्टी छोड़कर गए नेताओं को फिर खुद के साथ जोड़ना चाहती है। इसके साथ उसकी नवजोत सिंह सिद्धू पर खास नजर है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 12:22 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 11:32 PM (IST)
Punjab में आप की नवजोत सिद्धू पर खास निगाह, दिया खुला ऑफर, बिखरे तिनके समेटने की काेशिश
Punjab में आप की नवजोत सिद्धू पर खास निगाह, दिया खुला ऑफर, बिखरे तिनके समेटने की काेशिश

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में आम आदमी पार्टी खुद को फिर मजबूत करने में जुट गई है। वह पार्टी के बिखरे झाड़ू की तिनकों को समेटने की कोशिश में है। आप चाहती है कि पिछले तीन साल में पार्टी से दूर हो गए नेताओं और विधायकाें को फिर साथ लाया जाए। इसके साथ ही पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर उसकी खास निगाह है। दोनों मुहिम में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खास जरनैल सिंह लग गए हैं। जरनैल सिंह काे हाल में ही पंजाब आप का प्रभारी बनाया गया है।

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पंजाब आप के नए प्रभारी जरनैल सिंह ने सिद्धू को दिया पार्टी में आने का ऑफर

पंजाब में दिल्ली के तिलक नगर इलाके से आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह पंजाब में झाड़ू के बिखरे हुए तिनकों को इकट्ठा करेंगे। बता दें के प्रदेश में आप गुटबाजी की शिकार है। बीते तीन साल में कई विधायक और नेता पार्टी छोड़ चुके हैैं तो कुछ नाराज चल रहे हैैं। आप के नेताओं के अनुसार, पार्टी को फिर पटरी पर लाने के लिए जरनैल को पंजाब का प्रभारी बनाया गया है। प्रभारी बनने ही जरनैल ने अपने इरादे जाहिर कर दिए और नवजोत सिंह सिद्धू को आप में आने का ऑफर दे दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब की बेहतरी के लिए नवजोत सिद्धू को आम आदमी पार्टी में आना चाहिए।

माना जा रहा है कि जरनैल सिंह ने यह बयान राज्य की लीडरशिप से बात करने से पहले दिया है। दूसरी ओर पंजाब आप के प्रधान सांसद भगवंत मान ने चार दिन पहले ही कहा था कि पंजाब में चेहरे की कोई अहमियत नहीं है। यहां सिर्फ काम चलता है। मान ने यह बयान विपक्ष के पार्टी के विधायक व विपक्ष के नेता हरपाल चीमा की मौजूदगी में दिया था। ऐसे में जरनैल सिंह का बयान पंजाब आप में नया रंग ले सकता है।

सिद्धू को आप में आने के न्‍यौते से पंजाब आप में मच सकती है खलबली, भगवंत मान के रुख पर नजर

नवजोत सिद्धू को आप में आने के जरनैल सिंह के ऑफर से स्थानीय लीडरशिप में खलबली मच सकती है। भगवंत मान के बारे में पहले से ही कहा जा रहा है कि वह अपने से बड़े कद के नेताओं को पार्टी में टिकने नहीं देते। अब जबकि जरनैल ने सिद्धू को पार्टी में आने का खुला न्योता दे दिया है तो निश्चित तौर पर पार्टी में खलबली मचेगी और भगवंत मान के रुख पर सबकी नजर होगी। सुच्चा सिंह छोटेपुर, डॉ. दलजीत सिंह, गुरप्रीत घुग्गी, एचएस फूलका, सुखपाल खैहरा और कंवर संधू जैसे नेता पार्टी से अलग हो चुके हैैं। सवाल उठता है कि क्या इन सभी नेताओं को फिर से जरनैल पार्टी में लाएंगे?

जरनैल सिंह झाड़ू के बिखरे हुए तिनके को इक्‍टठा करने में जुटे

जरनैल सिंह को मनीष सिसोदिया की जगह प्रभारी बनाया गया। यह ऐसा मौका है कि  दो साल बाद पार्टी को पंजाब विधानसभा के चुनाव में उतरना है। पार्टी ने अभी से इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सवाल यह भी है कि क्या जरनैल सिंह पंजाब में आप के झाड़ू के बिखरे हुए तिनकों को समेट सकेंगे या फिर नया झाड़ू तैयार करेंगे।

बताया जाता है कि जरनैल सिंह दो दिन बाद पंजाब आएंगे और यहां की लीडरशिप से बात करेंगे।

जरनैल सिंह ने दिल्ली में बयान दिया है कि वह नवजोत सिंह सिद्धू को आम आदमी पार्टी में लाने की कोशिश करेंगे। इसका सीधा अर्थ है कि पार्टी अब नए चेहरों को आगे करेगी। उन्हें मनीष सिसोदिया की जगह पंजाब का प्रभारी बनाकर पार्टी ने कुछ संकेत भी दिए हैं। पहला तो यह कि वह अपनी उन गलतियों को नहीं दोहराएगी जो पिछले चुनाव के दौरान की थीं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की लहर के बावजूद बाहरियों के टैग को पार्टी नहीं हटा सकी थी, लिहाजा 20 सीटों पर सिमट कर रह गई थी।

संजय सिंह की जगह सिसोदिया बने थे प्रभारी

आप ने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब मामलों का प्रभारी संजय सिंह को बनाया था। उनके साथ संगठन सचिव के रूप में दुर्गेश पाठक काम कर रहे थे। विधानसभा चुनाव के बाद संजय सिंह की जगह यह कमान मनीष सिसोदिया को सौंपी गई थी। उनके साथ राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह को सह प्रभारी बनाकर भेजा गया था, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। जरनैल को तब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ लंबी सीट पर चुनाव में भी उतार दिया गया जिसके चलते उन्हें अपनी सीट से इस्तीफा देना पड़ा। वह लंबी में चुनाव बुरी तरह से हार गए।

दिल्ली की टीम को सौंपी थी कमान

संजय सिंह और दुर्गेश पाठक ने हर हलके के प्रभारी के रूप में दिल्ली से लाई गई टीम को ही कमान सौंपी थी। स्थानीय लीडरशिप को उनके अधीन कर दिया गया था। हर फैसला व नीति उनके जरिए ही बनती थी। राजनीतिक मामलों के जानकार मालविंदर सिंह माली का मानना है कि पंजाबी किसी भी बाहरी व्यक्ति की धौंस बर्दाश्त नहीं करते। इसी कारण उनकी कभी भी दिल्ली के हुक्मरानों से नहीं बनी।

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