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पूर्व मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस को गांधी परिवार के हाथों में बताया सुरक्षित, फेसबुक पोस्‍ट में लिखी ये बातें

Ex CM Virbhadra Singh पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने फेसबुक पोस्‍ट कर पार्टी को गांधी परिवार के हाथों में सुरक्षित बताया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 11:55 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 11:55 AM (IST)
पूर्व मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस को गांधी परिवार के हाथों में बताया सुरक्षित, फेसबुक पोस्‍ट में लिखी ये बातें
पूर्व मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस को गांधी परिवार के हाथों में बताया सुरक्षित, फेसबुक पोस्‍ट में लिखी ये बातें

शिमला, जागरण संवाददाता। दिल्ली में हो रही कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक से ठीक पहले हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने फेसबुक पोस्‍ट कर पार्टी को गांधी परिवार के हाथों में सुरक्षित बताया है। उन्‍होंने कहा कांग्रेस गांधी परिवार के हाथों में सुरक्षित है। उनकी इस पोस्ट पर सैकड़ों लोग कमेंट कर चुके हैं। वीरभद्र सिंह ने लिखा कि नेहरू-गांधी परिवार ने राष्ट्र और पार्टी के लिए अपना योगदान दिया है। सोनिया गांधी के दूरदर्शी और सक्षम नेतृत्व में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार का गठन लगातार दो बार हुआ था। उन्होंने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर आस्था जताते हुए कहा वह उनके साथ खड़े हैं। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार के हाथों में सुरक्षित है।

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वीरभद्र सिंह का यह बयान कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से ठीक पहले आया है। वीरभद्र सिंह छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर वह वरिष्ठ नेताओं की श्रेणी में आते हैं, उनका कांग्रेस पार्टी में अपना अलग स्थान है। ऐसे में उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चाएं हैं। बीते रोज कांग्रेस पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आने वाले तूफान की ओर इशारा किया था। पत्र लिखने वालों में हिमाचल से संबंध रखने वाले आनंद शर्मा का नाम भी शामिल है।

हिमाचल में भी दिखेगा बदलाव का असर

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में भी धड़ेबाजी सामने आई है। पार्टी का एक धड़ा फिर से संगठन में बदलाव की मांग पर अड़ा हुआ है। बीते रोज कांगड़ा के मैक्लोडगंज में बैठक कर सुखविंद्र सिंह सुक्खू को एक बार फिर कमान सौंपने की मांग उठाई गई है। यदि दिल्ली में संगठनात्मक तौर पर कोई बदलाव होता है तो हिमाचल में भी इसका असर देखने को मिलेगा।


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