राजस्थान में प्रत्येक व्यक्ति पर है 40 हजार रुपये का कर्ज, राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले राजस्व खर्च में बढ़ोतरी
राजस्थान में प्रत्येक व्यक्ति पर 40 हजार रुपये का कर्जा है। राज्य विधानसभा में राज्य के महालेखा परीक्षक के वार्षिक प्रतिवेदन में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है।
जयपुर, जगारण संवाददाता। राजस्थान में प्रत्येक व्यक्ति पर 40 हजार रुपये का कर्जा है। पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार अपना तय बजट खर्च करने में नाकाम रही है। 15,990 करोड़ रुपये के पूरक प्रावधानों की राशि खर्च ही नहीं की गई। राज्य विधानसभा में राज्य के महालेखा परीक्षक के वार्षिक प्रतिवेदन में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है।
प्रतिवेदन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल राजकोषीय घाटा 25,342 करोड़ रुपये दर्शाया गया है। यह एफआरबीएम अधिनियम के तय लक्ष्य तीन प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा रहा है। कैग के आंकड़ों में यह 3.02 फीसदी पाया गया है. प्रतिवेदन में कैग अधिकारियों ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में 448.67 करोड़ रुपये की तय वसूली करने में सरकारी मशीनरी की नाकामी उजागर की है। खनन सेक्अर में विभिन्न मामलों में 147.33 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो सकी है। प्रदेश में एक तरफ जहां बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ा, वहीं दूसरी तरफ 30.37 वर्गमीटर सरकारी जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है।
राजस्व प्राप्तियों की तुलना में खर्च बढ़ा
प्रतिवेदन के अनुसार इस अवधि में 448.67 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली में कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल राजकोषीय घाटा 25,342 करोड़ रुपये रहा है। इन आंकड़ों के आधार पर प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर कर्ज 40 हजार रुपये के करीब है। 31 मार्च 2018 तक प्रदेश पर 2,81,182 करोड़ रुपये का कर्ज था। वहीं इस अवधि में राजस्व खर्च बढ़कर 1,45,842 करोड़ रुपये हो गया।
सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर किए गए खर्च में में भी एक साल में बढ़ोतरी हुई है। 2016-17 में यह खर्च कुल राजस्व खर्च का 26.30 प्रतिशत था जो 2017-18 में बढ़कर 29.50 प्रतिशत हो गया। प्रतिवेदन में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से अपने विभिन्न 49 सरकारी उपक्रमों में निवेश किए गए 44 हजार 281.63 करोड़ रुपये की राशि में से केवल 8 कंपनियों ने लाभांश दिया है। सरकार को लाभांश के रूप में 64.46 करोड़ रुपये मिले,जिनके बदले निवेश की गई राशि 573.71 करोड़ रुपये थी। महालेखा परीक्षक ने राजस्व रिपोर्ट में सरकारी तंत्र की लापरवाही पर भी रिपोर्ट दी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सोसायटियों के नियमन और जांच में लापरवाही बरती गई। वहीं राजस्व शुल्क के लिहाज से अहम 6 जिलों में डीएलसी की नियमित बैठक ही नहीं हुई।
जीएसटी के मामलों में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी
बिक्री, व्यापार और आपूर्ति में 30.41 करोड़ की कम वसूली दर्ज की गई है। जीएसटी के मामलों में करोड़ों रुपये की गड़बडी प्रतिवेदन में सामने आई है। परिवहन विभाग ने वाहनों पर कर वसूली में ढिलाई से बरती, जिससे प्रदेश को 38 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। राज्य आबकारी प्रावधानों से 5 करोड़ की वसूली पर भी असर दिखा। प्रतिवेदन में सरकार के घाटे में लगातार बढ़ोतरी और बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ने पर भी पर चिंता जाहिर की गई है।