EU Delegation in Kashmir: कश्मीर पहुंचे यूरोपियन संघ के सदस्यों ने की डल झील की सैर, सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों का पहला दल अक्तूबर 2019 के अंतिम सप्ताह के दौरान कश्मीर आया था। अलबत्ताउस समय इस दौरे को यूरोपीय संघ का अनाधिकृत दौरा कहा गया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के हालात विशेषकर कश्मीर घाटी की मौजूदा स्थिति का जायजा लेने बुधवार को ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय संघ के 25 सांसदों ने दौरे के पहले दिन डल झील की सैर की। श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंचने पर सबसे पहले यूरोपियन संघ के सदस्य कड़ी सुरक्षा के बीच होटल गए, वहां चाय नाश्ता किया और फिर डल झील पहुंच गए। शिकारा में डल झील की सेर करते हुए यूरोपियन संघ के सदस्यों ने वादियों के बीच डल झील की खूबसूरती का पूरा आनंद उठाया। कई सांसद सदस्यों ने तो इन खूबसूरत पलों को अपने कैमरों में भी कैद किया। सैर करने के बाद जब सांसद पुन: घाट पर पहुंचे तो उन्होंने वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को बताया कि इस तरह की खूबसूरती व शांत वातावरण उन्होंने कहीं नहीं देखा।
होटली पहुंचने के बाद ये दल स्थानीय सामाजिक, राजनीतिक, मजहबी और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के अलावा श्रीनगर में भी विभिन्न वर्गाें से मिलेगा। इस बार कश्मीर की कुछ महिला पत्रकार भी यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों संग जम्मू कश्मीर के बदलाव पर अपना पक्ष रखते हुए, उन्हें पाकिस्तान व जिहादी तत्वों की साजिशों से अवगत कराएंगी।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि यूरोपीय संघ के सांसदों की मौजूदगी में आतंकियों द्वारा किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिए जाने की आशंका को देखते हुए पूरी वादी में विशेषकर श्रीनगर, बारामुला और बडगाम में सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त किया गया है। श्रीनगर में जिस जगह विदेशी सांसदों को ठहराया जा रहा है, उस तरफ आने जाने वाली सभी सड़कों को सील करते हुए आम लोगों की आवाजाही को सीमित किया गया है। इसके अलावा डल झील में भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ायी गई है। सीआरपीएफ व जम्मू कश्मीर के पुलिस वॉटर विंग द्वारा लगातार झील में गश्त की जा रही है।
कश्मीर पहुंचे विदेशी राजनियकों ने अधिकारियों से मिलने के बाद डल झील की सैर भी की। इस दौरान बुल्वोर्ड रोड का एक हिस्सा आम वाहनों के लिए भी बंद रखा गया था। सभी सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को पूरा एहतियात बरतने, किसी भी आतंकी मंसूबे को पूरी तरह नाकाम बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। इस दो दिवसीय दौरे के दौरान राजनियकों का उड़ी व एलआेसी पर जाने का भी कार्यक्रम था परंतु मौसम खराब होने की वजह से उसे रद कर दिया गया है। दौरे के अंतिम दिन वे जम्मू आएंगे आैर इस दौरान वे उपराज्यपाल जीसी जीसी मुर्मू के अलावा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में विदेशी राजनियकों का यह तीसरा और यूरोपीय संघ में शामिल देशोें के प्रतिनिधियों का यह दूसरा दौरा है। गत माह यूरोपीय संसद में जम्मू कश्मीर मुददे पर लाए गए प्रस्ताव पर अगले माह होने जा रहे मतदान से पूर्व यह दौरा बहुत अहम माना जा रहा है।
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों का पहला दल अक्तूबर 2019 के अंतिम सप्ताह के दौरान कश्मीर आया था। अलबत्ता,उस समय इस दौरे को यूरोपीय संघ का अनाधिकृत दौरा कहा गया था। इसके बाद जनवरी 2020 में संयुक्त राज्य अमरीका के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाईजिरिया, गुआना, अर्जेंटिना, नार्वे, फिलपींस, मालदीव, टोगो, फिजी,पेरु, बांग्लादेश और वियतनाम समेत 15 मुल्कों के दिल्ली स्थित राजदूतों ने केंद्रिय विदेश मंत्रालय के निमंत्रण पर जम्मू कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरे में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था,लेकिन उन्होंने अलग से दौरा करने की इच्छा जतायी थी और वह जनवरी में नहीं आए।