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जम्मू- कश्मीर और लद्दाख के बीच संपत्तियों और देनदारियों का बंटवारा, केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे हुआ बंटवारा

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुनर्गठन कानून के तहत पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की संपत्तियां और देनदारियों को दोनों केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के बीच बांट दिया है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 10:03 AM (IST)
जम्मू- कश्मीर और लद्दाख के बीच संपत्तियों और देनदारियों का बंटवारा, केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे हुआ बंटवारा
केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे हुआ बंटवारा

जम्मू,  राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुनर्गठन कानून के तहत पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की संपत्तियां और देनदारियों को दोनों केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-श्मीर और लद्दाख के बीच बांट दिया है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

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जम्मू- कश्मीर पुनर्गठन की धारा 84 और 85 में प्रावधान है कि पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की संपत्तियों और देनदारियों को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के बीच बांटा जाए। इन संपत्तियों, देनदारियों और अधिकारों का बंटवारा करने के लिए सलाहकार कमेटी का गठन किया गया था। सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी संजय मित्रा की अध्यक्षता में सलाहकार कमेटी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी थी।

जम्मू कश्मीर और लद्दाख की प्रदेश सरकारों ने सलाहकार कमेटी की सिफारिशें मांगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दोनों सरकारों के साथ सलाह मशविरा किया और समझौते के अनुसार 28 अक्टूबर को आदेश जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने सलाहकार कमेटी की सिफारिशें को स्वीकार किया। अधिसूचना के अनुसार, सपत्तियों और देनदारियों का बंटवारा 31 अक्टूबर से लागू माना जाएगा।

 केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे हुआ बंटवारा

जम्मू-कश्मीर राज्य वन निगम, इलाकाई देहाती बैंक, जम्मू-कश्मीर मिनलर्स, जम्मू-कश्मीर प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉरपोरशन, जम्मू-कश्मीर पुलिस हाउ¨सग कॉरपोरशन, जम्मू-कश्मीर स्टेट ओवरसीज इंप्लाइमेंट, जम्मू-कश्मीर टूरिज्म डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन, सिटिजन कोआपरेटिव बैंक समेत 32 कंपनियां और कॉरपोरेशन जम्मू कश्मीर सरकार के नियंत्रण में रहेंगी। हिस्सेदारी और निवेश या ऋण का कोई बंटवारा नहीं होगा।

छह कंपनियों की 20 फीसद संपत्तियों की हिस्सेदारी और ऋण केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को स्थानांतरित किए गए हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर स्टेट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन, जम्मू-कश्मीर ग्रामीण बैंक शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन, जम्मू-कश्मीर के अधीन ही रहेगा। इसकी हिस्सेदारी का बंटवारा नहीं होगा। लद्दाख में चल रही 19 बसें और 20 अतिरिक्त बसें लद्दाख को दी जाएंगी।

जम्मू-कश्मीर बैंक दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में काम करेगा। जेके बैंक में 51 फीसद की हिस्सेदारी जम्मू-कश्मीर के पास रहेगी, जबकि 8.23 फीसद की हिस्सेदारी लद्दाख को स्थनांतरित की जाएगी। बैंक में निदेशक का एक पद लद्दाख को दिया जाएगा। बैंक में कर्मचारियों की भर्ती का हिस्सा भी लद्दाख को मिलेगा। इसके लिए बैंक योजना बनाएगा।-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की संयुक्त फाइनांस कॉरपोरेशन बनाई जाएगी। बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन 2020-21 स्तर के लिए लद्दाख में ही काम करेगा। लद्दाख अपनी रोड सेफ्टी काउंसिल बनाएगा और जम्मू-कश्मीर इसके लिए 2.25 करोड लद्दाख को देगा।

बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एक्जामिनेशन लद्दाख के लिए भी काम करेगा। जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू-कश्मीर के पास रहेगी। अकादमी के कार्यालय जिन प्रदेशों में होंगे, वहीं के हो जाएंगे।-वक्फ की संपत्ति जम्मू कश्मीर के पास रहेगी। हज कमेटियां जम्मू कश्मीर के पास रहेंगी। शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जम्मू-कश्मीर में ही काम करता रहेगा।

एक अप्रैल 2020 को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत लद्दाख के लिए आई धन राशि, जो जम्मू-कश्मीर के पास थी, उसे लद्दाख स्थानांतरित कर दिया जाएगा। पूर्व जम्मू कश्मीर की अचल संपत्तियों का बंटवारा नहीं होगा। जो संपत्ति जहां है, वहीं रहेंगी।

चाणक्य पुरी नई दिल्ली में जेके गेस्ट हाउस की तीसरी मंजिल का इस्तेमाल 31 दिसंबर 2021 तक जम्मू-कश्मीर के पास रहेगा। उसके बाद इसे लद्दाख को शिफ्ट कर दिया जाएगा। नई दिल्ली में पृथ्वी राज रोड पर जेके हाउस, राजा जी मार्ग पर संपत्ति, बाबा खडक मार्ग पर इंपोरियम, अमृतसर में गेस्ट हाउस और चंडीगढ़ के सेक्टर 17-ए में गेस्ट हाउस जम्मू-कश्मीर के पास रहेगा। चंडीगढ़ के सेक्टर पांच-ए में संपत्ति, मुंबई में इंजीनियरिंग इमारत और लद्दाख पहाड़ी विकास काउंसिल की जम्मू और श्रीनगर में संपत्तियां लद्दाख के पास रहेंगी। जम्मू-कश्मीर में गेस्ट हाउस और सर्किट हाउस जम्मू-कश्मीर के पास रहेंगे, लेकिन लद्दाख के अधिकारियों के लिए उपलब्ध रहेंगे। 


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