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Rajasthan: कांग्रेस में कलह शांत हुई तो भाजपा ने भी ली राहत की सांस

Rajasthan Congress राजस्थान कांग्रेस की कलह शांत होने से कांग्रेस ही नहीं राजस्थान भाजपा ने भी राहत की सांस ली है। वहीं राजस्थान भाजपा में भी सब कुछ ठीक नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 04:01 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 04:01 PM (IST)
Rajasthan: कांग्रेस में कलह शांत हुई तो भाजपा ने भी ली राहत की सांस
Rajasthan: कांग्रेस में कलह शांत हुई तो भाजपा ने भी ली राहत की सांस

जयपुर, मनीष गोधा। Rajasthan Congress: राजस्थान के सियासी संकट में कांग्रेस की कलह शांत होने से कांग्रेस ही नहीं राजस्थान भाजपा ने भी राहत की सांस ली है। इस पूरे प्रकरण में राजस्थान भाजपा की गुटबाजी सतह पर आते-आते रह गई। हालांकि इस बात के संकेत जरूर मिल गए कि राजस्थान भाजपा में भी सब कुछ ठीक नहीं है। पूरे एक महीने तक चले इस सियासी संकट में भाजपा कहने को तो एकजुट दिख रही थी। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में शीर्ष पर बैठे तीनों नेता प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ हर मौके पर साथ दिखे और लगातार हमलावर भी रहे। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी लगातार हमलावर रहे। उन्हें सरकार ने जांच एजेंसियों के चंगुल में भी फंसाया, हालांकि वे भी अपनी लड़ाई अकेले ही लड़ते नजर आए।

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लेकिन राजस्थान के संगठन में किसी पद पर नही होने के बावजूद जनाधार और विधायकों में पैठ के लिहाज से अहमियत रखने वाली पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे की चुप्पी इस बात के संकेत दे रही थी कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है। इस पूरे प्रकरण में राजे ने सिर्फ एक बार ट्वीट किया। वे पूरे समय धौलपुर रहीं। वहां से निकलीं तो सीधे दिल्ली जा पहुंचीं। इस बीच, राजस्थान में भाजपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल खुल कर राजे और गहलोत के बीच गठबंधन के आरोप लगाते रहे। पार्टी की ओर से इसका कड़ा प्रतिवाद नहीं किया गया। वहीं, पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी भी इसी दौरान घोषित हुई, जिसमें राजे के विरोधी माने जाने वाले नेताओं को अहम पद दिए गए। इन दो घटनाओं ने जहां राजे की नाराजगी बढ़ाई, वहीं इस धारणा को भी पुष्ट किया कि यहां भी खेमेबाजी पनप रही है।

इसका प्रमाण भी जल्द ही देखने को मिल गया, जब भाजपा ने अपने विधायकों को घेरेबंदी के तहत गुजरात भेजना चाहा। पार्टी जितने लोगों को भेजना चाहती थी, उतने लोगों को नही भेज पाई और फिर यह फैसला करना पड़ा कि 11 अगस्त यानी मंगलवार को जयपुर में ही विधायक दल की औपचारिक बैठक बुलवा कर यहीं घेरेबंदी कर ली जाए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह संकट जारी रहता तो मंगलवार को होने वाली बैठक में पार्टी की एकजुटता की परख हो जाती। पर अब चूंकि संकट टल गया है तो फिलहाल के लिए भाजपा का संकट भी टला हुआ माना जा सकता है, लेकिन यह कभी भी सतह पर आ सकता है। विधायक दल की बैठक अब 13 अगस्त को पार्टी मुख्यालय पर ही बुलाई गई है। वसुंधरा राजे के भी तब तक जयपुर पहुंचने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर पार्टी की रणनीति और उस पर राजे और उनके समर्थक विधायकों का रुख बहुत अहमियत रखेगा।


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