शिया व सुन्नी वक्फ संपत्तियों में करोड़ों की लूट, कई पूर्व मंत्री से लेकर अफसर तक आएंगे लपेटे में...
शिया वक्फ बोर्ड में वसीम रिजवी व सुन्नी वक्फ बोर्ड में जुफर फारुकी अध्यक्ष हैं। सीबीआइ जांच में इनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। शिया और सुन्नी वक्फ संपत्तियों की लूट करोड़ों रुपये की है। दोनों ही वक्फ बोर्ड में पिछले 10 वर्षों में मिलीभगत कर यह संपत्तियां बेची गईं। सीबीआइ जांच में दोनों वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के साथ ही कई पूर्व मंत्री और अफसर तक लपेटे में आएंगे। इनमें जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, एसडीएम, लेखपाल व मुतवल्ली तक शामिल हैं। संपत्तियां बेचने के मामले में तो कई जगह मुतवल्लियों तक को बदला गया।
शिया वक्फ बोर्ड में वसीम रिजवी व सुन्नी वक्फ बोर्ड में जुफर फारुकी अध्यक्ष हैं। सीबीआइ जांच में इनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खास यह है कि जिन संपत्तियों को बेचा गया वह प्राइम लोकेशन में थीं। कई संपत्तियां तो पूर्व मंत्रियों ने परिवार व रिश्तेदारों के नाम करवा दीं।
आरोप है कि रामपुर में शिया वक्फ की 199 व 16 ए नंबर की संपत्तियां तो आजम खां की पत्नी व बेटों के नाम कर दी गईं। इनको वक्फ बोर्ड रिकॉर्ड से भी हटा दिया गया। गाजियाबाद में रेलवे स्टेशन के पास वक्फ नवाब इस्माइल खां की करीब 50 करोड़ रुपये की संपत्ति बेच दी गई। सीतापुर व बहराइच में भी करोड़ों रुपये की संपत्ति बेची गई। मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, प्रयागराज, लखनऊ सहित कई जिलों में वक्फ संपत्तियों को मिली भगत से बेचा गया। बरेली में वक्फ की 100 बीघा जमीन पर प्लाटिंग की गई। खास बात यह है जहां के मुतवल्ली संपत्तियों को बेचने में अड़ंगे लगाते थे वहां मनमुताबिक मुतवल्ली नियुक्त कर संपत्तियों को बेचा गया।
एक्सप्रेस-वे के मुआवजे में भी घपला
वक्फ मंत्री मोहसिन रजा ने बताया कि एक्सप्रेस-वे व हाईवे के लिए अधिग्रहीत वक्फ संपत्तियों के मुआवजे में भी बड़ा घपला हुआ। कई जिलों में मुआवजा मुतवल्लियों ने अकेले ही हड़प लिया। सरकार से मुआवजा लेने के लिए भी वक्फ बोर्डों ने पसंदीदा मुतवल्ली नियुक्त किए। इसी तरह जिन दरगाहों में ज्यादा चढ़ावा चढ़ता है वहां भी मनपसंद मुतवल्ली नियुक्त किए गए।
नीचे से ऊपर तक मिलीभगत
वक्फ संपत्तियां बेचने के मामले में नीचे से ऊपर तक मिलीभगत रही है। इसलिए कई जिलों में संपत्तियां बेचने के बाद उसे वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड से ही मिटा दिया गया। मामले इसलिए पकड़ में आए क्योंकि वक्फ संपत्तियां दो जगह दर्ज होती हैं। पहली सब रजिस्ट्रार कार्यालय व दूसरी वक्फ बोर्ड कार्यालय में। सब रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज रिकॉर्ड से इनका खुलासा हुआ।