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UP में इन पांच मुद्दों को हथियार बनाकर कांग्रेस करेगी भाजपा पर वार Gorakhpur News

UP में 2022 के विधान सभा चुनाव में सत्ता वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस जनसमस्याओं को मुद्दा बनाकर सड़क पर उतरने की तैयारी में है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 04:47 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 04:47 PM (IST)
UP में इन पांच मुद्दों को हथियार बनाकर कांग्रेस करेगी भाजपा पर वार Gorakhpur News
UP में इन पांच मुद्दों को हथियार बनाकर कांग्रेस करेगी भाजपा पर वार Gorakhpur News

राजेश्वर शुक्ला, गोरखपुर। यूपी में 2022 के विधान सभा चुनाव में सत्ता वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस जनसमस्याओं को मुद्दा बनाकर सड़क पर उतरने की तैयारी में है। केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमलावर हो चुकी कांग्रेस ने पांच मुद्दों के बल पर आम जनता के बीच में जाने का फैसला किया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बढ़ती बेरोजगारी, किसानों को उनकी उपज का उचित समर्थन मूल्य, प्रदेश की लगातार गिर रही जीडीपी, छोटे दुकानदारों के व्यवसायिक हितों पर कुठाराघात समेत आर्थिक आपातकाल के विरुद्ध सड़क से सदन तक विरोध-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।

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बेरोजगारी का मुद्दा अहम

कांग्रेस अब प्रदेश सरकार पर सुनियोजित तरीके से वार करने की तैयारी कर रही है। इसमें सबसे अहम मुद्दा युवाओं की बेरोजगारी का है। पार्टी का आरोप है कि प्रदेश में रोजगार तेजी से खत्म हो रहा है। शिक्षा मित्र, अनुदेशक, होमगार्ड्स, आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइया, रोजगार सेवक, मदरसा शिक्षक व पैरामेडिकल क्षेत्रों में नौकरियां खत्म हो रही हैं। भाजपा सरकार ने सरकारी नौकरियों को खत्म कर ठेकेदारी प्रथा लागू कर सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण कर रही है। प्रदेश में बेरोजगारी दर 23 फीसद तक पहुंच गई है जो 72 वर्षों में सर्वाधिक है।

गिरती अर्थव्यवस्था व आरसेप को लेकर मंगलवार से 15 नवंबर तक धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। आरसेप लागू होने से दुग्ध व्यवसाय समेत अन्य लघु उद्योग खत्म हो जाएंगे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों व बुनकरों की समस्याओं पर निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी। - अजय कुमार लल्लू, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी

किसानों की समस्याओं पर भी है नजर

पार्टी का मुख्य फोकस किसानों की समस्याओं पर है। पार्टी का कहना है कि धान-गेहूं व गन्ना किसानों की हालत बेहद खराब है। पेराई सत्र 2017-18 की चीनी मिलों पर सहकारी क्षेत्र में 1171 करोड़ रुपये, निगम क्षेत्र में 29 करोड़ और निजी क्षेत्र में 9197 करोड़ रुपये किसानों का गन्ना मूल्य बकाया है। आलू उत्पादकों की स्थिति खराब है। सरकार ने खाद पर पांच फीसद, कीटनाशक दवाइयों पर 18 फीसद व ट्रैक्टर उपकरण पर 12 फीसद जीएसटी लगा दिया है फिर भी सरकार किसानों की हितैषी होने का दावा कर रही है।

जीडीपी की स्थिति भी चिंताजनक

पूर्व जिलाध्यक्ष डा.जमाल अहमद का कहना है कि देश व प्रदेश की जीडीपी लगातार गिर रही है। राजस्व घाटा लगातार बढ़ रहा है। आबीआइ ने 2014 से 2019 के बीच भाजपा सरकार को 3.89 लाख हजार करोड़ रुपये दिए। बैंकों का एनपीए बढ़कर आठ लाख करोड़ रुपये हो गया है। प्रदेश सरकार आज जनता का पैसा राजनीतिक प्रचार में फूंक रही है।

छोटे व्यवसाइयों व दुकानदारों के लिए भी फिक्रमंद

पार्टी के मुताबिक आरसेप (रीजनल कम्प्रेहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) से देश में आयातित प्रोडक्ट पर आयत शुल्क में करीब 80 फीसद कटौती करनी पड़ेगी जिससे यहां पर चीन सहित अन्य देशों के उत्पाद सस्ती कीमतों पर उपलब्ध होंगे। प्रदेश के चमड़ा, पीतल, साड़ी व कालीन उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगे।

15 नवंबर तक होगा जिला व ब्लाक स्तर पर प्रदर्शन

कांग्रेस पार्टी बिगड़ती अर्थव्यवस्था समेत अन्य मुद्दों को लेकर मंगलवार से 15 नवंबर तक जिला स्तर से लगायत ब्लाक स्तर पर धरना-प्रदर्शन करेगी। इस दौरान नुक्कड़ सभाओं व गोष्ठियों का आयोजन भी किया जाएगा। यह जानकारी जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान ने दी।


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