दलित वोट पर सियासत की नई 'शतरंज'...बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने को कांग्रेस मार रही हाथ-पैर
उत्तर प्रदेश की राजनीति बहुत हद तक जातीय समीकरणों पर ही टिकी है। लिहाजा दलों की रणनीति भी इसी पर है। अपनी मुट्ठी से हर वोट बैंक को गंवा चुकी कांग्रेस अब लगातार प्रयासरत है।
लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। लगभग 20 फीसद दलित वोट की हिस्सेदारी के लिए यूपी में शुरू हुई होड़ के साथ ही राजनीति का नया दांव नजर आ रहा है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की शिद्दत से मुखालफत और अब दलित आरक्षण के हक में मुहिम छेड़ कांग्रेस ने इशारा कर दिया है कि वह दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे विधानसभा चुनाव में उतरना चाहती है। इधर, बसपा के प्राण इसी गठजोड़ में बसते हैं तो सपा को भी मुस्लिम वोट का आसरा है। ऐसे में बसपा के लिए हालात और कठिन होने जा रहे हैं तो अपने दलित वोट को मजबूती से थामे रखने की चुनौती भाजपा के लिए भी होगी।
उत्तर प्रदेश की राजनीति बहुत हद तक जातीय समीकरणों पर ही टिकी है। लिहाजा, दलों की रणनीति भी इसी पर है। अपनी मुट्ठी से हर वोट बैंक को गंवा चुकी कांग्रेस अब लगातार प्रयासरत है। उत्तराखंड के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नौकरियों में दलित-आदिवासियों को आरक्षण के खिलाफ आया तो कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ उठा लिया। उत्तर प्रदेश के हर ब्लॉक में संविधान पंचायत का अभियान शुरू कर दिया। प्रयास यही है कि दलितों को भाजपा से दूर किया जाए।
कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव पर है। इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रियंका वाड्रा सहित पूरी पार्टी यूपी में माहौल बनाने का प्रयास करती रही। कांग्रेस के यह कदम बताते हैं कि वर्ष 2022 के दंगल में वह किस रास्ते पहुंचना चाहती है। वह उसी दलित-मुस्लिम गठजोड़ के नुस्खे को अपनाना चाहती है, जिसने बसपा की मदद यहां तक के सफर में की है, मगर इस गठजोड़ की उम्मीदों में तमाम गांठें हैं।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 403 में से 312 सीटें भाजपा जीती और बसपा 19 पर सिमट गई। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 17 सुरक्षित सीटों में से 15 जीत लीं। इससे साफ है कि भाजपा दलित वोट बैंक में मजबूत सेंध लगा चुकी है। अब इसमें हिस्सेदारी के कांग्रेस के प्रयास बसपा के लिए नई चुनौती खड़ी करेंगे तो भाजपा को भी सतर्कता बरतनी ही होगी।
कांग्रेस के कदमों से सतर्क बसपा
कानपुर देहात के मंगटा गांव में दलितों के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद उनकी तरफ कांग्रेस तेजी से लपकी। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और नेता विधायक दल आराधना मिश्रा सहित सांसद पीएल पुनिया जैसे वरिष्ठ नेता मिलने शनिवार को पहुंच गए। यह देख मायावती ने भी घोषणा कर दी कि रविवार को बसपा का प्रतिनिधिमंडल मंगटा जाएगा।