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Maharashtra: मेट्रो कारशेड को लेकर केंद्र व उद्धव सरकार में टकराव

Metro Car Shed उद्धव सरकार मेट्रो कारशेड का काम आरे कालोनी से हटाकर कांजुरमार्ग में शुरू करवा चुकी थी।सोमवार को अचानक केंद्र सरकार के उप नमक आयुक्त ने उस जगह पर अपने विभाग का दावा करते हुए एक बोर्ड लगा दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 05:27 PM (IST)
Maharashtra: मेट्रो कारशेड को लेकर केंद्र व उद्धव सरकार में टकराव
मेट्रो कारशेड को लेकर केंद्र व उद्धव सरकार में टकराव।

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Metro Car Shed: मेट्रो कारशेड की नई जगह को लेकर केंद्र व उद्धव सरकार में टकराव की स्थिति बनती दिखाई दे रही है। उद्धव सरकार मेट्रो कारशेड का काम आरे कालोनी से हटाकर कांजुरमार्ग में शुरू करवा चुकी थी।सोमवार को अचानक केंद्र सरकार के उप नमक आयुक्त ने उस जगह पर अपने विभाग का दावा करते हुए एक बोर्ड लगा दिया है। केंद्र सरकार के उद्योग संवर्द्धन व आंतरिक व्यापार मंत्रालय ने राज्य को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भी नई जगह पर मेट्रो कारशेड का काम शुरू करने पर आपत्ति जताई है। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटी आरे कालोनी में मेट्रो कारशेड बनाने की योजना पहले की देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने बनाई थी। लेकिन वहां मेट्रो कारशेड के निर्माण पर शिवसेना को शुरू से एतराज था।

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पिछले नवंबर में राज्य में शिवसेनानीत महाविकास आघाड़ी की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आरे कालोनी में मेट्रो कारशेड के निर्माण पर तत्काल रोक लगा दी थी। कुछ माह पहले ही मेट्रो कारशेड के लिए कांजुरमार्ग (पूर्व) स्थित एक नया भूखंड घोषित किया गया और राज्य सरकार के आदेश पर एमएमआरडीए ने तुरंत वहां काम भी शुरू कर दिया, लेकिन सोमवार को दोपहर बाद उप नमक आयुक्त की तरफ से वहां एक बोर्ड लगाकर उक्त भूक्त केंद्र सरकार का होने का दावा कर दिया गया है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार के उद्यो संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार मंत्रालय की ओर से मुख्य सचिव सचिन कुमार को पत्र भेजकर भी आपत्ति दर्ज कराई गई है। पत्र में लिखा गया कि कांजुरमार्ग का भूखंड नमक विभाग का है। उस पर हमने अपना दावा छोड़ा नहीं है। एमएमआरडीए ने इस भूखंड पर पहले भी किसी परियोजना का प्रस्ताव भेजा था, जिसे हम ठुकरा चुके हैं। अब इसी भूखंड पर मेट्रो कारशेड के निर्माण की शुरुआत गलत है। इससे केंद्र सरकार का बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए एमएमआरडीए को तुरंत यह काम बंद करना चाहिए।

दूसरी ओर, मुंबई की महापौर किशोरी पेडणेकर ने फड़नवीस सरकार के समय उच्च न्यायालय में दिए गए एक हरफनामे के आधार पर इस भूखंड को राज्य सरकार का बताया है। पेडणेकर के अनुसार, फड़नवीस सरकार के समय मुंबई उच्चन्यायालय में पेश हलफनामा अब भी कोर्ट में मौजूद है। इसमें इस भूखंड को राज्य सरकार का बताया गया था। किशोरी सवाल करती हैं कि क्या मुख्यमंत्री बदलने से भूखंड का टायटल बदल जाता है ? इस मामले में अब सियासत भी शुरू हो गई है। राकांपा सांसद सुप्रिया सुले कहती हैं कि किसी भी कानून से जिस राज्य में जमीन होती है, उस पर पहला अधिकार उस राज्य का ही होता है। सुले का आरोप है कि यह केंद्र सरकार राज्य के सभी अधिकार छीनने का प्रयास कर रही है। ये निंदनीय है।

जमीन महाराष्ट्र की है, जिसका उपयोग विकास कार्य के लिए किया जा रहा है। जबकि भाजपा की ओर से मोर्चा संभालते हुए पूर्व सांसद किरीट सोमैया उद्धव सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री को मालूम था कि यह जगह केंद्र की है। यहां मेट्रो कारशेड बनाने में दिक्कत आएगी। इसके बावजूद उन्होंने यहां काम शुरू करवाया। उद्धव में हिम्मत हो तो वह मनोज सौनिक एवं अजोय मेहता समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करें। बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरे कालोनी में मेट्रो कारशेड के लिए वृक्ष कटाई पर बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। उस समय भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद शिवसेना उस प्रदर्शन का हिस्सा बनी थी, और वायदा किया था कि उसकी सरकार बनी तो वह आरे कालोनी से मेट्रो कारशेड स्थानांतरित करेगी।


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