महागौरी का पूजन कर सीएम योगी ने उतारी आरती...कहा- सौहार्द्र और सद्भाव के साथ मनाएं महापर्व
शारदीय नवरात्र की अष्टमी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में भगवती के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की और आरती उतारी।
गोरखपु, जेएनएन। शारदीय नवरात्र की अष्टमी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में भगवती के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की और आरती उतारी। आनुष्ठानिक प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री ने पूजन किया और फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। अष्टमी समाप्ति और नवमी के शुभारंभ पर रविवार रात में शक्तिपीठ में विशेष संधि-पूजन हुआ। मान्यता है कि भगवान राम ने लंका पर आक्रमण से पहले रामेश्वरम में अष्टमी-नवमी के संधिकाल में पूजन किया था, तभी से विशेष पूजन की परंपरा है। नारियल, गन्ना, केला, जायफल आदि की सात्विक बलि के बाद योगी की महागौरी आराधना संपन्न हुई।
विजय दशमी के दिन आवास से निकलेंगे योगी
योगी परंपरा निर्वहन के लिए रविवार को अपने आवास में ही रहे। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक अब वह विजय दशमी पूजा के लिए मंगलवार को आवास से बाहर आएंगे और परंपरागत विजय जुलूस की अगुवाई करेंगे। विजय दशमी के दिन मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर में न्यायिक दंडाधिकारी की भूमिका में नजर आएंगे। देर रात होने वाली पात्र पूजा में नाथ पंथ के संतों के लिए अदालत लगेगी। अदालत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर संतों की समस्याओं को सुलझाएंगे। मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी के मुताबिक परंपरा के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित किए जाते हैं। नाथ संप्रदाय के साधु-संत और पुजारी पहले पात्र देवता की पूजा कर और दक्षिणा अर्पित करते हैं। अगले ही दिन वह दक्षिणा साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है। सुनवाई के दौरान यदि कोई साधु-संत नाथ परंपरा की विरुद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है तो पात्र देवता उसके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लेते हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी बधाई
शारदीय नवरात्र में महाअष्टमी, महानवमी, दुर्गा पूजा और विजयदशमी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेशवासियों से यह पर्व सौहार्द्र और सद्भाव के साथ मनाने का आह्वान किया है। अपने बधाई संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना मातृशक्ति के प्रति सनातन परंपरा के सम्मान का प्रतीक है। अष्टमी और नवमी पर बड़ी संख्या में भक्त कन्या पूजन करते हैं। यह पर्व केवल व्रत और उपवास का नहीं बल्कि नारी शक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है। शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा के सार्वजनिक एवं सामुदायिक आयोजन से सामाजिक समरसता सुदृढ़ होती है।